माँ पीड़ित बच्चों ने
माँ पीड़ित बच्चों ने, फिर तुम्हें पुकारा है।
हो पूत- कपूत भले, माँ ने ही सँवारा है॥
माँ हम अज्ञानी हैं, व्यसनों को पकड़े थे।
हो पास नहीं कुछ भी माँ, पर मद में अकड़े थे॥
तुमने ही पापों से माँ, भक्तों को उबारा है॥
मनमौजी मस्त रहे, कुछ ज्ञान न था हमको।
जब भूख- प्यास लगी माँ, तो याद किया तुमको॥
जग में कुटिलता माता, शिशु भाव हमारा है॥
अपने दोषों का हे माँ, दिखता है छोर नहीं।
पर पाप विनाशक है माँ, तुम जैसा और नहीं॥
हमको मत त्यागो माता, इक तेरा सहारा है॥