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May 1967

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आध्यात्म की एक छोटी-सी किरण मात्र से मानव-जीवन कमल की तरह खिल उठता है। सारी विकृतियाँ एक क्षण में विलीन हो जाती हैं। हृदय में प्रसन्नता, सदाचार, निर्भयता, उदारता और करुणा की वरुणा लहरा उठती है। आध्यात्मिक व्यक्ति का तन-मन शरद-ज्योत्स्ना की भाँति शीतल हो उठता है। न केवल वह ही शीतल हो उठता है अपितु उसके संपर्क में आकर ताप-संतप्त व्यक्ति भी शीतल हो उठता है। लोग आध्यात्म लाभ के लिये वर्षों प्रयत्न करते रहते हैं। किन्तु उसका अनुभव नहीं कर पाते । इसका कारण यह है कि वे केवल बाह्य साधनों पूजा-पाठ में ही अधिक संलग्न रहते हैं। आध्यात्म से वस्तुतः हृदय को पवित्र बनाइये मन को निर्मल कीजिये तत्काल ईश्वरीय प्रकाश, आध्यात्म की अनुभूति होगी।

-तपस्विनी श्रद्धा


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