हमारे कुछ अमूल्य ग्रन्थ रत्न

June 1960

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हजारों ग्रन्थों की खोज, अगणित गायत्री-उपासकों के सहयोग से तीस वर्ष की व्यक्ति गत साधना के फलस्वरूप विनिर्मित इन ग्रन्थों की एक-एक पंक्ति अनुभव के आधार पर लिखी गई है। गायत्री उपासना से समुचित लाभ उठाने के इच्छुकों के लिए यह साहित्य अनुभवी गुरु के समान पथ प्रदर्शन करता है। इस विषय की सभी जिज्ञासाओं तथा शंकाओं का इन पुस्तकों में समुचित समाधान मौजूद है।

1. गायत्री महाविज्ञान (तीनों भाग) मूल्य 10॥)

प्रथम भाग-गायत्री विद्या का वैज्ञानिक आधार, गुप्त शक्तियों का रहस्य, नित्य उपासना, अनुष्ठान विधि, गायत्री सम्बन्धी शंकाओं का समाधान, अनेक कष्टों का निवारण एवं अनेक कामनाओं की पूर्ति के लिये लगाये जाने वाले बीज-मन्त्रों को साधना विधान, आत्म-साक्षात्कार एवं ऋद्धि-सिद्धियों का मार्ग, स्त्रियों की विशेष उपासना विधियाँ आदि अनेक महत्व पूर्ण विषयों का सुबोध ढंग से प्रतिपादन । मूल्य 3॥)

द्वितीय भाग- गायत्री द्वारा वाम मार्गी ताँत्रिक विधान के अनुसार मारण, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण, मुद्रा आदि अनेक विधानों का वर्णन तथा गायत्री गीता, गायत्री स्मृति, गायत्री संहिता, गायत्री उपनिषद्, गायत्री रामायण, गायत्री हृदय, गायत्री पज्नर, गायत्री लहरी, गायत्री सहस्रनाम आदि का संग्रह। मूल्य 3॥)

तृतीय भाग-गायत्री महामन्त्र द्वारा 24 प्रकार के योगाभ्यासों का साधना-विधान। जप-योग, ऋजु-योग, प्राण-योग, शब्द-योग, नाद-योग, हठ-योग, कुंडलिनी-योग, षट्चक्र वेधन की साधनाएं तथा अन्नमय कोष, मनोमय-कोष, प्राणमय-कोष, विज्ञानमय-कोष आनन्दमय-कोष को सिद्ध करने के रहस्यमय मार्ग दर्शना । मूल्य 3॥)

2.गायत्री यज्ञ विधान (दोनों भाग) मू. 4)

प्रथम भाग-गायत्री यज्ञ का विज्ञान, लाभ एवं महत्व का तर्क, प्रमाण, शास्त्र एवं साइन्स के आधार पर बहुत ही खोजपूर्ण वर्णन। मूल्य 2)

द्वितीय भाग-गायत्री यज्ञ करने की शास्त्रोक्त विधि, प्रक्रिया, जलयात्रा, मंडप प्रवेश, वेदी पूजन, कुशकण्डिका, अग्नि स्थापन, आहुति मंत्र, पूर्णाहुति, वसोधरा, अवध्राण भस्म धारण, अभिसिंचन आदि का पूरा विधि विधान, जिसे समझकर बड़े यज्ञों का आचार्यत्व किया जा सकता है। मू.2)

3.गायत्री चित्रावली (दोनों भाग) मू॰ 3॥)

प्रथम भाग-विविध प्रयोजनों के लिए गायत्री माता का ध्यान करने योग्य आर्ट पेपर पर छपे 24 तिरंगे चित्र तथा सरल भाषा में उनका महत्व प्रतिपादन। मू॰ 1॥)

द्वितीय भाग-व्याहृति समेत गायत्री के 26 अक्षरों में सन्निहित 26 महान् आदर्शों के 26 श्लोक, 26 लेख एवं 26 आर्ट पेपर पर छपे तिरंगे चित्रों द्वारा समझाया गया है। मू॰ 2)

4. गायत्री मन्त्रार्थ मू॰ 1॥)

अनेकों ग्रन्थों में, अनेकों ऋषियों द्वारा गायत्री महामन्त्र के अनेकों प्रकार से किये हुए अर्थों का संग्रह। राक्षसराज रावण का किया हुआ अर्थ भी उसमें हैं।

5. सूक्त संहिता-मू॰ 1॥) इस पुस्तक में चारों वेदों से ऐसे 40 सूक्त संग्रह किये गये हैं जिनके पाठ एवं मनन से मनुष्य की 40 भौतिक साँसारिक कठिनाइयाँ दूर हो सकती हैं। वैदिक मंत्र विद्या की यह अत्यन्त ही महत्वपूर्ण पुस्तक है।

भारतीय संस्कृति की रूपरेखा - मू॰ 2

हिन्दू-धर्म के आदर्शों, सिद्धान्तों, विश्वासों, रीति-रिवाजों, मान्यताओं और प्रथा-परम्पराओं पर दार्शनिक, वैज्ञानिक एवं विवेचनात्मक ढंग से प्रकाश डालते हुए उनकी उत्कृष्टता सिद्ध की है। प्रत्येक हिन्दू धर्माभिमानी के लिये यह पुस्तक अवश्य ही पड़ने योग्य है।

6) से अधिक की पुस्तक लेने पर डाक खर्च मुफ्त।

-अखण्ड ज्योति प्रेस मथुरा।


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