वेद हिन्दू धर्म के मूलभूत धर्म शास्त्र हैं भारतीय संस्कृति का उद्गम वेद ही है। वेद मंत्रों में सन्निहित रहस्यों को सुलभ बनाने के लिये उनकी व्यवस्था के रूप में उपनिषदों, स्मृतियों, पुराणों एवं अन्य धर्मग्रन्थों की रचना की गई। भारत किसी समय जिस ज्ञान और विज्ञान के कारण संसार में सर्वोच्च स्थान पर उपस्थित था, जिस तत्वज्ञान का साक्षात्कार कर ऋषियों ने सब कुछ पाया था, वह सारी की सारी ज्ञान सम्पदा वेदों में सन्निहित है। विदेशों लोग इस वेद ज्ञान को अपने यहाँ ले गये और उसके आधार पर उन्होंने अपनी प्रगति के लिये बहुत कुछ प्राप्त किया।
वेद की प्रत्येक ऋचा में एक विलक्षण रत्न भण्डार भरा हुआ है, एक अनुपम अमृत सागर लहलहा रहा है। उसके कुछ कण, कुछ बिन्दु जिन्हें प्राप्त हो जाते हैं, उनका जीवन सफल हो जाता है, धन्य हो जाता है। वेद का पढ़ना-पढ़ाना प्रत्येक हिन्दू धर्माभिमानी का परम पवित्र कर्तव्य माना गया है। प्राचीन काल में घर-घर वेद पाठ होता था। वेद की कथायें कही जाती थी। वेद से विहीन कोई भी धर्म प्रेमी न होता था। फलस्वरूप उनको लोक और परलोक की सुख शान्ति के, सफलता और समृद्धि के सभी सत्परिणाम सहज ही प्राप्त होते रहते थे।
चारों वेदों के भाष्य ऐसी सरल भाषाओं में किया जाना आवश्यक था जो प्राचीन संस्कृत भाष्यों के आधार पर होने के साथ सस्ता भी हो। अब तक कहीं वेद छपे भी हैं तो वे इतने महंगे हैं कि साधारण जनता उन्हें खरीद नहीं पाती। दूसरे उनकी भाषा भी इतनी कठिन हैं कि साधारण पढ़े-लिखें लोग समझ नहीं पाते। इस कठिनाई को दूर करने के लिये गायत्री तपोभूमि द्वारा चारों वेदों के अत्यन्त सस्ता, बढ़िया कागज पर छपा, कपड़े की मजबूत जिल्दों से सुरक्षित संस्करण प्रकाशित किया है। गायत्री परिवार के कुलपति परमपूज्य पं॰ श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा प्राचीन सायण भाष्य के आधार पर यह हिन्दी संस्करण सम्पादित हुआ है। मूल वेद मंत्रों के साथ-साथ सरल हिन्दी अनुवाद बड़े सुयोग्य ढंग से प्रस्तुत किया गया है। यदि पाठकों ने इस प्रयत्न का समुचित स्वागत किया तो आगे अध्यात्म परक और विज्ञान परक भाष्य भी उपलब्ध होने की आशा की जा सकती है।
ऋग्वेद की 3, अथर्ववेद की 2, यजुर्वेद की 1 सामवेद की 1, इस प्रकार कुल 7 जिल्दें चारों वेदों की हैं। इन सातों का मूल्य 44) है। पर प्रचारार्थ कुछ समय के लिये इनका मूल्य 35) ही लिये जायगा। यह जिल्दें काफी भारी हैं इसलिये यदि अपने लिये स्टेशन बहुत दूर न हो तो रेल से मँगाने में ही फायदा रहेगा। रेल भाड़ा करीब 2-3 रुपया बैठेगा पर डाक से मंगाने में 5-6 रु. से कम न लगेगा। डाक का खर्च मंगाने वाले को ही देना होगा।
इस अलभ्य अवसर को चूकिये मत, अपने घर में वेद स्थापना करके अपने धर्म प्रेम को चरितार्थ कीजिये और अपने लिये एक सैट मंगाने के लिए 5) पेशगी के साथ आर्डर भेजिये।
व्यवस्थापक :-
गायत्री प्रकाशन, गायत्री तपोभूमि मथुरा।