मेवे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं।

October 1951

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(श्री डा. सुरेन्द्रप्रसाद जी)

किशमिश, मुनक्का, अंजीर, काजू, पिस्ता खुमानी, चिरोंजी आदि की गिनती सूखे मेवों में होती है वास्तव में सूखे मेवे स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त उपयोगी होते हैं। कौन सी चीज किस व्यक्ति के लिये लाभदायक और किसके लिए हानिकारक है यह तो व्यक्तिगत स्वास्थ्य तथा स्वभाव पर निर्भर करता है, लेकिन सूखे मेवे साधारण तौर पर फायदेमन्द ही होते हैं, इसमें सन्देह नहीं। यों तो हरेक ऋतु में इनका प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन जाड़ो के दिनों में मेवे विशेष रुप से गुणकारी हैं। शरीर में शक्ति लाने उसे स्फूर्तिमय बनाने के लिये गर्मी की आवश्यकता होती है और गर्मी मीठे पदार्थ खाने से मिलती है, लेकिन मीठे पदार्थ वे ही गुणकारी होते हैं जो स्वाभाविक हों, अर्थात् जिन्हें बाहरी उपायों से गुड़ अथवा चीनी द्वारा मीठा न बनाया गया हो। स्वाभाविकता की दृष्टि से सूखे मेवे अपनी सानी नहीं रखते। चीनी गुड़ आदि के अधिकाँश उपयोगी तत्व उन्हें साफ करने की क्रिया में नष्ट हो जाते हैं, लेकिन सूखे मेवों के पौष्टिक तत्व ज्यों के त्यों बने रहते हैं उनसे शरीर को पुष्टि मिलती है और पर्याप्त प्रात्रा में गर्मी भी।

हमारा देश निर्धन है अधिकाँश लोगों की स्थिति ऐसी है कि मेवे खाना तो दूर उन्हें पेट भरने के भी लाले पड़े रहते हैं। लेकिन जो सम्पन्न हैं, उन्हें जाड़े के दिनों में मेवों का खूब प्रयोग करना चाहिए।

हम देखते हैं कि प्रायः बच्चों को उनके माँ-बाप मिठाई अथवा गरिष्ठ पदार्थ खिलाया करते हैं। स्वयं भी यही चीजें खातें हैं हमारी राय में बच्चों को मिठाई के स्थान पर मेवे खिलाना कहीं अधिक उपयोगी और स्वास्थ्यप्रद हैं।

मेवों में अनेक गुण होते हैं। सबसे पहला तो यह है कि वे दस्त साफ लाते हैं। कारण यह है कि मेवों में विटामिन अधिक मात्रा में पाया जाता है, जो आँतों को स्वस्थ रखता है। मेवों में पौष्टिक तत्व तो होते ही हैं, साथ ही आटे के न पचने वाली चोकर के समान कुछ ऐसे पदार्थ जैसे बीज, रेशा, गूदा आदि भी होते हैं, जिनकी मदद से भोजन का बचा अंश आसानी से बाहर निकल आता है। रोटी में पाये गये स्टार्च या श्वेतसार की भाँति इनका पाचन भी छोटी आँत में होता है और इन्हें पचाने में शरीर को अधिक श्रम नहीं करना पड़ता। कारण इनमें शर्करा उसी रुप में रहती है, जिस रुप में वह हमारे रक्त में हैं। अतः शरीर में इनका रुपान्तर हुए बिना ही इनका एकीकरण हो जाता है और इनके पचकर बाहर आने में बहुत कम समय लगता है।

सूखे मेवों के खाने से पूर्व उन्हें पानी से धो लेना चाहिये। सर्वोत्तम उपाय तो यह है कि उन्हें थोड़ी देर पानी में पड़ा रहने दिया जाये। लेकिन एक बात ध्यान रहे-भिगोने के लिए मिट्टी या चीनी का बर्तन होना चाहिए धातु का नहीं। कुछ देर भीगने पर मेवे और अधिक गुणकारी एवं उपयोगी हो जाते हैं। भीगने पर उनका वजन बढ़ जाता है और स्वादवश हम उन्हें अधिक नहीं खा सकते।

बहुत लोग मुनक्का और छुहारों को दूध में उबाल कर खाते हैं। पर यह तरीका बहुत अच्छा नहीं है आग पर उबलने से उनके पौष्टिक तत्व थोड़े बहुत अवश्य नष्ट हो जाते हैं। हाँ बिना चीनी के दूध के साथ उन्हें खाना उपयोगी होता है।


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