नकसीर फूटना।

March 1950

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(श्री. गणेशदत्त गौड़ “इन्द्र” आगरा)

नाक से बिना किसी चोट या आघात के खून गिरने को “नकसीर” कहते है। मस्तिष्क की किसी केशिका के फट या फूट जाने से उसके द्वारा रक्त बहने लगता है। वह रक्त नाक के जरिए बाहर टपकने या बहने लग जाता है।

कोशिका के इस प्रकार अकस्मात फट जाने का मुख्य कारण गर्मी होती है। जो व्यक्ति उष्ण प्रकृति के होते हैं उन्हें गर्मी के मौसम में प्रायः नकसीर फूटने की शिकायत होती है। कभी-कभी खून का दबाव बढ़ जाने से भी नाक से खून बह सकता है। मलेरिया ज्वर के पुराने होने पर भी कभी-कभी नकसीर बहने लगती है। साराँश यह है कि जब तक शरीर में गर्मी की वृद्धि होकर मस्तिष्क पर उसका प्रभाव नहीं होता तब तक नकसीर नहीं फूटती। जिन लोगों का खान-पान गर्म है, जो लोग गर्मी या धूप में काम-काज करते हैं उन्हें नकसीर की प्रायः शिकायत रहती है।

जिन्हें नकसीर की बीमारी हो, उन्हें कोई भी अधिक श्रम का काम नहीं करना चाहिए, धूप में नहीं घूमना चाहिए। गर्म प्रकृति के पदार्थ नहीं खाने पीने चाहिए। तेल, गुड़, मिर्च, मसाले, लहसुन, पूरी कचौरी, मिठाई वगैरह से दूर रहना चाहिए। बाजारू पेय जैसे आइस्क्रीम, मलाई का बर्फ, पानी का बर्फ, चाय वगैरह नहीं पीने चाहिए। तमाखू, गाँजा, भाँग, शराब, कोकीन, अफीम, पान, बीड़ी, सिगरेट वगैरह नहीं पीने चाहिए। पेट को भारी करने वाले भोजन से बचना चाहिए। लघुपाक और ठंडी प्रकृति का भोजन करना चाहिए। जब कभी पेट भारी जान पड़े तब 6 माशा त्रिफला का चूर्ण या छोटी पाँच सात हर्रे का चूर्ण 3 माशा काले नमक के साथ सोते वक्त रात को लेकर ऊपर से ठंडा पानी पीकर सो जाना चाहिए। सुबह दस्त साफ होकर पेट हल्का हो जावेगा। खान-पान और रहन-सहन की ओर विशेष ध्यान देने से नकसीर फूटने का भय नहीं रह जाता। इतने पर भी नकसीर फूटे तो-

1. सिर पर ठण्डे पानी की धार देना चाहिए पानी यदि काफी ठंडा न हो तो थोड़ा सा पानी का बर्फ डालकर उसे शीतल बना लेना चाहिए। पानी डालने से रक्त गाड़ा होकर बहने से रुक जावेगा। सबसे सरल और अच्छा यही उपाय है।

2. जिन लोगों को नकसीर की शिकायत रहती हो उन्हें गर्मी के दिनों में सायंप्रातः दोनों समय शीतल जल से स्नान करना चाहिए। यदि दो वक्त स्नान न बन पड़े तो सिर को दोनों समय ठंडे पानी से धोना चाहिए।

3. अनन्तमूल और सूखे आँवलों के चूर्ण को पानी में मिलाकर मस्तक पर लेप करने से नकसीर रुक जाती है।

4. गुलकन्द (बिना नशे का) नित्य एक तोला खिलाइये। नकसीर की शिकायत न सेवती का गुलकन्द विशेष लाभ पहुँचावेगा।

5. गाय के दूध की लस्सी नित्य चाहिए। दूध के बराबर पानी मिलाकर बनाने योग्य देशी शक्कर डालने से लस्सी जाती है। अथवा गोदुग्ध नित पीने से भी नकसीर मिटती है। स्मरण रहे भैंस का दूध नकसीर फूटने में सहायक होता है।

6. अंगूर, संतरे, मौसम्बी, केले आदि फल नकसीर में परम लाभदायक है। किन्तु खिरनी, खजूरे, प्रमृत गर्मी के मौसम में आने वाले फल हानिकारक है।

नकसीर रोग को साधारण नहीं मानना चाहिए। इससे मस्तिष्क में निर्बलता और स्मरणशक्ति का नाश, चित्त भ्रम, मूर्च्छा, चक्कर आना, दृष्टिमाँद्य आदि विविध रोग उत्पन्न हो जाते हैं। शरीर भी कमजोर हो जाता है। लिये इसका उपचार अवश्य करना चाहिए। हाँ, यदि खून के दबाव से नकसीर चली हो तो उसे निकलने देना चाहिए। इसके अलावा निमित्त वैद्य डाक्टरों के यहाँ पहुँचने की जरूरत नहीं है। साधारण उपचार और तनिक सी सावधानी से इससे बचा जा सकता है।

इसके उपचार में इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि गर्मी उत्पन्न करने वाले खान-पान आहार-विहार से बहुत बचा जाय तथा शीतलता देने वाले पदार्थों को विशेषतया उपयोग में लाया जाय। यही सबसे अच्छा इलाज नकसीर का है।


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