1- साधकों को सूर्योदय से कम से कम एक घन्टा पूर्व उठना चाहिए और नित्य कर्म से निवृत्त होकर साधना में लग जाना चाहिए। साधना के लिए सर्वोत्तम समय प्रातःकाल का ही है।
2- ऋतु और स्वास्थ्य अनुकूल हो तो स्नान करके साधना पर बैठना चाहिए। यदि सुविधा न हो तो हाथ पैर मुख धोकर कार्य आरम्भ कर देना चाहिए।
3- साधकों का आहार विहार सात्विक होना चाहिए। ब्रह्मचर्य का जिस हद तक अधिक पालन हो सके उतना ही अच्छा है।
4- रात्रि को जल्दी सो जाना आवश्यक है। अधिक रात्रि तक जगने वालों के लिए प्रातः जल्दी उठने में असुविधा होती है।
5- साधना का आसन माला आदि अलग रखने चाहिए उसे दूसरे लोग प्रयोग न करें। एक नियत स्थान अभ्यास के लिए चुन लेना चाहिए रोज-रोज जगह बदलना ठीक नहीं।
6- साधना काल में कम से कम वस्त्र शरीर पर रखने चाहिएं। स्वच्छ वस्त्र ही शरीर पर रहें।