दुनिया में बुराई की कालिमा अधिक है पर वह भलाई की उज्ज्वलता से अधिक नहीं है। यदि यहाँ भलाई की अपेक्षा बुराई अधिक होती तो कोई भी प्राणी इस संसार में रहना पसन्द न करता।