तुम ही अपनी दृष्टि से सब वस्तुओं को चित्ताकर्षक बनाते हो। उन आँखों से जब तुम उनकी ओर देखते हो, तो तुम्हीं स्वयं अपना तेज उस पदार्थ पर डाल देते हो।
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प्रत्येक व्यक्ति अपने विचारों के वायु मण्डल में ही निवास करता है और प्रत्येक की आत्म सूचना का प्रभाव उस पर अप्रतिहत हुआ करता है।