पाठकों को कुछ आवश्यक सूचनाएं

February 1946

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अंक न मिलने पर डाकखाने से पूछिए-

यहाँ से दो बार भली प्रकार जाँच कर हर महीने अखण्ड-ज्योति सब ग्राहकों के पास भेजी जाती है। फिर भी रास्ते में डाक की गड़बड़ी से कुछ अंक हर महीने गुम हो जाते हैं। जिनके अंक न पहुँचें, उन्हें अपने पोस्ट ऑफिस से पूछना चाहिए और वहाँ के उत्तर समेत हमें लिखना चाहिए। जिन्हें अंक नहीं मिलते हैं, उनके लिए दुबारा भेज दिये जाते हैं।

पूरे वर्ष का हिसाब रखिए-

जिन सज्जनों का चन्दा वर्ष के बीच में किसी महीने में समाप्त होता है, उनसे प्रार्थना है कि शेष महीनों का चन्दा प्रति अंक के हिसाब से भेजने की कृपा करें। अधूरे वर्ष से हिसाब रखने में हमें भी और पाठकों को भी बहुत असुविधा होती है। अखण्ड-ज्योति का वर्ष जनवरी से आरम्भ होता है।

भ्रम निवारण-

ऐसा मालूम हुआ है कि कुछ लोगों को यह भ्रम हुआ है कि विशाल भारत के यशस्वी सम्पादक और सुप्रसिद्ध साहित्यकार पं. श्रीराम शर्मा तथा अखण्ड-ज्योति के सम्पादक पं. श्रीराम शर्मा आचार्य एक ही व्यक्ति हैं। जिनकी यह धारणा है वे गलती पर हैं। उपरोक्त दोनों व्यक्ति सर्वथा भिन्न हैं।

पता साफ और पूरा लिखिए-

पत्र व्यवहार करते समय अपना ग्राहक नम्बर एवं पूरा पता अवश्य लिखना चाहिए। पते में साफ और सुन्दर अक्षरों का प्रयोग करना चाहिए। अधूरे एवं अस्पष्ट पते पर उत्तर पहुँचना कठिन है।

-मैनेजर ‘अखण्ड-ज्योति’ मथुरा।


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