(आध्यात्म धर्म का अवलम्बन)
दूसरों को अपने देश में रखने का यही जादू है, वशीकरण विद्या इससे बढ़कर और कुछ हो नहीं सकती, भलाई, परोपकार, मधुर भाषण, मुसकराहट, नम्रता आदि प्रेममय गुणों को अपनाना, असंख्य लोगों को अपना सच्चा मित्र और भला सहयोगी बनाने का वैज्ञानिक तरीका है। सब कोई जानते हैं कि थैली खरचने से थैला मिलता है, पूँजी लगाने से व्यापारिक लाभ प्राप्त होता है, बीज बोने से खलिहान बटोरने का सौभाग्य हाथ आता है, त्याग करना एक प्रकार का आध्यात्मिक व्यापार है जिसका फल इसी लोक में हाथों हाथ मिल जाता है जो अपने स्वार्थों को दूसरे के हक में छोड़ देता है गंभीर परीक्षण करके देखा जाय तो वह घाटे में नहीं रहता, जितना त्याग किया गया है, वह किसी न किसी प्रकार से फिर उसके पास वापिस लौट आता है सो अलग। अशिक्षित किसान इस ईश्वरीय अटल नियम को भली प्रकार जानता है और विश्वासपूर्वक बिना किसी को जमानतदार बनाये, खेत में जाकर चुपचाप बीज बो आता है, दूसरे समय दूसरे रूप में उसका त्याग ब्याज समेत उसको मिल जाता है। बुद्धिमान बनते जाते हैं, उतने ही उन ठोस एवं अटल नियमों से दूर हटते जाते हैं, उनको अविश्वास की दृष्टि से देखते जाते हैं। हमें पीछे लौटना होगा, आनन्द की प्राप्ति के लिए जो उलटे प्रयत्न हो रहे हैं उन्हें छोड़ना होगा। वह देखिए अशिक्षित किसान एक विद्वान प्रोफेसर की भाँति हमें अपनी मौन वाणी में कह रहा है कि-’ऐ, कुछ चाहने इच्छा करने वालों, त्याग करना सीखो। देने से मिलता है और त्याग करने से प्राप्त होता है।’