हँसमुख रुजवेल्ट

July 1943

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(लेखक-श्री महादेव प्रसाद गुप्त)

संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति श्री फ्रेंकलिन रुजवेल्ट किसी समय पक्षाघात रोग से पीड़ित थे। यदि भारत में कोई व्यक्ति पक्षाघात रोग से पीड़ित होता तो समझ लेता कि मृत्यु का पूर्वाभास आरम्भ हो गया है। पर राष्ट्रपति रुजवेल्ट दूसरे ही मसाले से बने हैं। उन्होंने खूब लग कर व्यायाम किया और भोजन आदि के सम्बन्ध में सतर्कता से काम लिया अब उनका स्वास्थ्य पक्षाघात का दौरा गिरने के पहले से भी अच्छा है।

अब से बीस वर्ष पहिले की बात है। बालकों में पक्षाघात का रोग बुरी तरह फैल निकला कहीं -कहीं उसने वयस्क स्त्री पुरुषों पर भी हाथ साफ किया। इन्हीं में एक रुजवेल्ट थे। कई दिनों तक वह जीवन और मृत्यु के बीच में लटकते रहे। इसके बाद यकायक उनका रोग शान्त हुआ। पर अब वह बिलकुल ही दूसरे मनुष्य हो गये थे न हाथ हिला सकते थे न पैर। उनके मित्रों ने समझ लिया कि बस, अब बाकी उम्र पहिया दार कुर्सी पर काटेंगे।

पर यदि उनके मित्रों का ऐसा विचार था तो राष्ट्रपति रुजवेल्ट उनसे सहमत न थे। वह जार्जियो गये और वहाँ गर्म सोतों में स्नान किया। धीरे-धीरे उनके हाथ-पाँव खुलने लगे। उन्होंने हाथ-पाँव निकम्मे होने पर भी पानी में तैरने की एक ऐसी नई विधि निकाली जिसके द्वारा वह केवल छाती की सहायता से तैर सकते थे। जल से बाहर निकलने पर वह अपनी सारी शारीरिक और मानसिक शक्ति अपने हाथों पर अधिकार रखने में लगा देते। धीरे-धीरे उनके पाँव हिलने लगे।

इस समय स्वास्थ्य की कान्ति उनके शरीर से फूट पड़ती है। उनकी बांहें किसी पहलवान की बाँह की भाँति स्वस्थ हैं। हाँ, उनकी टाँग अभी तक प्रायः निकम्मी है। काम करते समय वह अपनी टाँगों को लोहे के फीतों से जकड़े रहते हैं। उनमें कार्यकारिणी शक्ति की इतनी प्रचुरता है कि वह सुबह के चार बजे से रात के बारह बजे तक लगातार काम करते रहते हैं।

उनका कलेवा बड़ा सादा है। संतरे का रस और एक गिलास दूध। पर सप्ताह में वह चार बार रोटी और मक्खन भी खाते हैं। उनका दोपहर का भोजन उनकी काम करने की मेज पर ही लगा दिया जाता है। उन्हें इतनी फुरसत नहीं कि अपने परिवार के साथ भोजन कर सकें। पर जब वह परिवार के साथ भोजन करते हैं तो एक दो नहीं, बीसों आदमी आमन्त्रित होते हैं। वे सब स्वादिष्ट पदार्थों पर हाथ साफ करते हैं। पर राष्ट्रपति रुजवेल्ट हल्के भोजन से ही अपना सन्तोष कर लेते हैं। वह कभी कुछ और कभी कुछ उठाते जाते हैं और उस समय उपस्थित डाक्टरों को उनकी विवेचन बुद्धि की सराहना करनी पड़ती है।

पर यदि यह कहा जाय कि राष्ट्रपति रुजवेल्ट के स्वास्थ्य में कायापलट व्यायाम या भोजन ने किया, तो भूल होगी। उनके कायाकल्प का रहस्य है उनका जीवन सम्बन्धी दृष्टिकोण। वह बड़े ही आशावादी हैं और हमेशा हँसते रहते हैं। उनकी मुस्कराहट अब इतनी प्रसिद्ध हो गई है कि वह संसार भर में ‘मुस्कराने वाले राष्ट्रपति’ के नाम से प्रसिद्ध हैं। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र के प्रधान शासन पद पर काम करते हुये भी उनका स्वास्थ्य बना हुआ है। यह पद इतना उत्तर-दायित्वपूर्ण है कि हार्डिज और विलसन अपनी अवधि समाप्त होने के बाद अधिक दिनों तक जीवित न रह सके। एक रुजवेल्ट हैं जिनके बारे में एक चिकित्सक ने कहा है कि वह छः वर्ष तक राष्ट्रपति के पद पर काम करने के बाद अपेक्षाकृत अधिक स्वस्थ दिखाई पड़ते हैं।

दिन भर में कम से कम तीस बार भेंट मुलाकात करनी पड़ती है। इन सारे अवसरों पर राष्ट्रपति रुजवेल्ट मुलाकातियों के साथ बात करते हैं और बीच-बीच में खिलखिला कर हँस पड़ते हैं। वह किसी का उपहास करते हों, सो बात नहीं है। वास्तव में वह संसार को क्रीड़ा स्थल समझते हैं और उन्होंने निश्चय कर लिया है कि जहाँ तक उनसे सम्भव होगा, वह चिन्ता और उदासी को पास न फटकने देंगे। वैसे राज्य की चिन्ता ने उनके चेहरे पर झुर्रियां डाल दी हैं, पर उन्हें देखने से ऐसा प्रतीत होता है मानो वह चिन्ताओं से दिन रात कभी न समाप्त होने वाला संघर्ष करते रहते हैं।

राष्ट्रपति रुजवेल्ट संध्या के 6ः30 बजे अपने लिये खासतौर से तैयार किये गये तालाब में जाते हैं। तालाब में कूदने से पहले एक सादा सा बनियान पहन लेते हैं। इसके बाद खूब तैरते हैं। साथ ही उनकी धर्मपत्नी भी रहती हैं। इसके बाद वह निकल कर वाष्प स्नान करते हैं और फिर शरीर पर मालिश करवाते हैं। कभी-कभी वह केवल वाष्प स्नान और मालिश ही काफी समझते हैं।

जब उन्होंने पहली बार राष्ट्रपति का पद ग्रहण किया था तो उनकी आयु 51 वर्ष की थी। अब वह 57 वर्ष से अधिक हैं। चेहरे पर गम्भीरता की एक हल्की मुद्रा आ विराजी है। पर वैसे शरीर में पहले से भी अधिक फुर्ती है।


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