स्वर्ग का द्वार हर मनुष्य के लिए खुला हुआ है। जो चाहे सो उसमें बड़ी आसानी के साथ प्रवेश कर सकता है। परमात्मा ने श्रेष्ठ, शुभ और पुण्य कार्यों को बड़ा ही सरल बनाया है, इस राजमार्ग पर चलने का हर कोई अधिकारी हैं। झूठ बोलने में बहुत सोचने समझने, विचारने और संभल संभल कर बात करने की जरूरत होती है परन्तु सत्य बोलने में जरा भी खटपट नहीं। चोरी करने के लिए बड़ी तिकड़म लड़ानी पड़ती है परन्तु ईमानदारी से रहना बेहद आसान है, एक कम बुद्धि का आदमी भी ईमानदारी का व्यवहार बड़ी सुगमता से कर सकता है इसमें उसे कुछ भी परेशानी न उठानी पड़ेगी। इसी प्रकार जुआ व्यभिचार, ढोंग, छल आदि में पग पग पर कठिनाई पड़ती हैं परन्तु पावन कर्तव्यों का पालन करते रहना बेहद आसान है, उसमें कोई आपकी बदनामी या कठिनाई नहीं है।
लोग समझते हैं कि असत्य का, पाप का रास्ता सरल और सत्य का, धर्म का रास्ता कठिन है परन्तु असल बात ऐसी नहीं है। नरक के द्वार तक पहुँचने में बहुत कठिनाई है और स्वर्ग का द्वार सड़क के किनारे है जहाँ हर कोई बड़ी आसानी के साथ पहुँच सकता है। यह द्वार हर किसी के लिए हर घड़ी खुला रहता है। आप चाहें तो आज ही-अभी ही, उसमें बे रोक टोक प्रवेश कर सकते हैं। अपने अन्तःकरण को टटोलिए, आत्म निरीक्षण कीजिए, आपके अन्दर जो ईश्वरीय दिव्य तेज जगमगा रहा है उसके दर्शन कीजिए विवेक के प्रकाश में अपनी सद्भावनाओं और सद्वृत्तियों की सम्पत्ति को तलाश कीजिए यही आपकी अमर सहचरी है। यह अप्सराएं आपको क्षण भर में स्वर्ग के दरवाजे तक पहुँचा सकती हैं।