इस संसार में रहने का सच्चा तत्वज्ञान यही है कि प्रतिदिन एक बार खिलखिला कर हँसना चाहिये। अपनी तरफ से उद्योग की पराकाष्ठा करनी चाहिये और किसी भी बात को अधिक महत्व नहीं देना चाहिये।
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सन्मार्ग पर चलते हुए अगर लोग बुरा कहें तो यह उससे अच्छा है कि लोग तुम्हारी प्रशंसा करें।
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खोया हुआ धन उद्योग से फिर प्राप्त होगा, नष्ट हुआ आरोग्य मिताहार से फिर मिलेगा, भूला हुआ ज्ञान अभ्यास से फिर ताजा होगा। परन्तु खोया हुआ घण्टा क्या किसी ने फिर देखा है या खोया हुआ अवसर फिर पाया है?