सत्संग की सुधा
सत्संग की सुधा से, जीवन सरस बनेगा।
सत्संग की सुधा पी, मानव का यश बढ़ेगा॥
सत्संग में डूबे तुलसी, सदियों से चमक रहे हैं।
मीरा, कबीर, नानक, सत्संग से महक रहे है॥
सत्संग से ही हरि का, अनुदान भी मिलेगा॥
सत्संग का ये रस जब, आ जाता जिन्दगी में।
लग जाता है ये तन मन, तब प्रभु की बन्दगी में॥
सत्संग से ही मन का, श्रद्धा सुमन खिलेगा॥