प्राणघातक व्यसन

तंबाकू का हानिकारक प्रभाव

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तंबाकू का प्रचार इन दिनों बेहद बढ़ गया है । पुराने जमाने में इसे कभी-कभी औषधि के रूप में काम में लाया जाता था, पर इधर कुछ सौ वर्षों से इसने एक बहुत बड़े दुर्व्यसन का रूप धारण कर लिया है । बच्चे से लेकर वृद्ध तक बीड़ी, सिगरेट मुँह से लगाए देखे जाते हैं और स्त्रियाँ तक इससे नहीं बची हैं । इसके जहरीले धुएँ से मनुष्य निर्बल, आलसी, विलासी और उत्तेजक स्वभाव का बनता है । तंबाकू का अधिक सेवन करने वालों में क्षय रोग, हृदय रोग, उदर रोग, नेत्रों की खराबी, नपुंसकता, पागलपन आदि तरह- तरह की बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं । विलायत के बड़े-बड़े डॉक्टरों ने खोज करके बतलाया है कि महाभयानक 'कैंसर' रोग का एक बड़ा कारण धूम्रपान ही होता है ।

तंबाकू में एक महा भयंकर विष पाया जाता है जिसे 'निकोटिन' कहते हैं । तीन सेर तंबाकू की सूखी पत्तियों में से एक छटाँक 'निकोटिन' निकाला जा सकता है । निकोटिन संखिए से भी तीव्र विष है, जो मनुष्य पर धीरे-धीरे प्रभाव डालकर प्राणांत करता है । निकोटिन की एक बूँद खरगोश की त्वचा पर डालने से उसकी मृत्यु हो जाती है । चीन में आत्महत्या करने का यह एक सुगम साधन बन गया था । वहाँ लोग जीवन से तंग आकर हुक्के का सड़ा पानी पीकर जीवन लीला समाप्त कर लेते थे । आरंभ में तंबाकू पीने से वमन, दस्त, चक्कर आने शुरू हो जाते हैं ।

डॉ. केलाग ने बतलाया है कि आधा सेर तंबाकू में ३८० ग्रेन निकोटिन विष होता है । यह इतना भयंकर होता है कि एक ग्रेन का दसवाँ हिस्सा कुत्ते को तीन मिनट में मार सकता है । एक व्यक्ति इस विष से तीस सेकेंड में मर गया था । आधा सेर तंबाकू का निकोटिन तीन सौ आदमियों के प्राण ले सकता है । एक साधारण सिगरेट में जितनी तंबाकू होती है, उसके विष से दो आदमियों के प्राण लिए जा सकते हैं । भयंकर विषधर सर्प तंबाकू के विष सें इस तरह मर गए मानो उन पर बिजली गिर पड़ी हो ।

तंबाकू का सबसे घातक प्रभाव हमारे रक्त पर पड़ता है । विषैले परमाणु फेंफडे़ और हृदय तक पहुँचकर मनुष्य के रक्त को विकारमय, रोगी और निर्बल बना देते हैं, जब यह विषैला रक्त नलिकाओं में प्रवाहित रहता है तो रोग धीरे-धीरे उस पर अपना अधिकार जमा लेते हैं ।

सर्वप्रथम रोग क्षय या तपेदिक है । तपेदिक का कारण दूषित वायु है । सिगरेट, हुक्का या बीड़ी का दूषित धुओं जब पुनः पुनः श्वासोच्छवास द्वारा अंदर पहुँचता है तो इसका विषैला प्रभाव हमारी जीवनीशक्ति पर पड़ता है । अधिक धूम्रपान करने वालों के फेंफडे़ सड़ जाते हैं । तंबाकू मस्तिष्क को निष्क्रिय करता है । हृदय रोग तंबाकू की विशेष देन है । इसका विष हमारे फेंफड़ों और हृदय पर आक्रमण किया करता है । तंबाकू के विष के प्रभाव से हृदय की आवरणात्मक त्वचा सुन्न पड़ जाती है और हृदय की गति को विषम बना देती है ।
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