गृहलक्ष्मी की प्रतिष्ठा

पत्नी का सदैव सम्मान कीजिए

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

बहुत से व्यक्ति अपने को स्त्री से बड़ा समझकर अथवा लापरवाही से-अपनी पत्नियों के साथ शिष्टता का व्यवहार करना अनावश्यक समझते हैं, पर एक बडी़ भूल है । जो लोग अपने दाम्पत्य जीवन को सफल बनाने के इच्छुक हों उनको सदैव अपनी पत्नी के प्रति सम्मानयुक्त व्यवहार और वार्त्तालाप करना चाहिए । जो पुरुष उससे कठोर व्यवहार करते हैं, अपनी आश्रित समझकर तिरस्कार करते हैं, उनकी बेइज्जती करते रहते हैं, वे अश्लील हैं । गुप्त मन में उनकी स्त्रियाँ उन्हें दुष्ट राक्षसतुल्य समझती हैं । ऐसा प्रसंग ही मत आने दीजिए कि नारी को मारने-पीटने का अवसर आए। उसे अपने आचार, व्यवहार, प्रेम भरे सबोंधन से पूर्ण संतुष्ट रखिए ।

पत्नी की भावनाओं की रक्षा, उसके गुणों का आदर, उसके शील, लज्जा, व्यवहार की प्रशंसा मधुर संबंधों का मूल रहस्य है । पत्नी आपकी जीवनसहचरी है । अपने सद्व्यवहार से उसे तृप्त रखिए ।

पत्नी, पति की प्राण है, पुरुष की अर्द्धांगिनी है, पत्नी से बढ़कर कोई दूसरा मित्र नहीं पत्नी तीनों फलों- धर्म, अर्थ, काम को प्रदान करने वाली है और पत्नी संसार-सागर को पार करने में सबसे बड़ी सहायिका है । फिर किस मुँह से आप उसका तिरस्कार करते हैं ?

उससे मधुर वाणी में बोलिए । आपके मुँह पर मधुर मुस्कान हो, हृदय मे सच्चा निष्कपट प्रेम हो, वचनों में नम्रता, मृदुलता, सरलता और प्यार हो । स्मरण रखिए, स्त्रियों का 'अहं' बडा़ तेज होता है, वे स्वाभिमानी, आत्माभिमानी होती हैं । तनिक सी अशिष्टता या फूहड़पन से क्रुद्ध होकर आपके संबंध में घृणित धारणाएँ बना लेती हैं । उनकी छोटी-मोटी माँगों या फरमाइशों की अवहेलना या अवज्ञा न करें । इसमें बड़े सावधान रहें । जो स्त्री एक छोटे से उपहार से प्रसन्न होकर आपकी दासता और गुलामी करने को प्रस्तुत रहती है, उसके लिए सब कुछ करना चाहिए । अत: पत्नी का आदर करें, उसके संबंध में कभी कोई अपमानसूचक बातें ? मुँह से न निकालें और उनकी उपस्थिति में या अनुपस्थिति में या उनकी हँसी न करें ।
<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118