राजयोग के प्रति अमरीका में सर्वप्रथम उल्लेखनीय आकर्षण विवेकानन्द के कारण जागा। जून ......... में उन्होंने मिस एस. ई. वाल्डो को बोल-बोलकर राजयोग पर अपनी प्रसिद्ध टीका लिखाई। इसमें विलियम जेम्स प्रभृत अमरीकी शरीर शास्त्रियों का ध्यान आकृष्ट किया। टाल्स्टाय में भी तभी राजयोग के प्रति उत्साह जागा था। किन्तु ऐसा लगता है कि राजयोग के प्रति अमरीकी मुख्यतः उसके शारीरिक स्वरुप के कारण ही आकर्षित हुए। यही प्रवृत्ति अमरीकियों में हठयोग के प्रति प्रचण्ड आकर्षण जगाती है।
वस्तुतः अमरीकी लोग योग को भौतिक उपयोगिता की दृष्टि से ही तौलते हैं। वे उसे भौतिक सामर्थ्य बढ़ाने वाले एक साधन के रुप में ही देखते हैं। अमरीकी जनता आकार में दैत्य के समान और बुद्धि में बालक के समान है। वह केवल उसी सृझ में रुचि लेती है जिससे उसे कोई भौतिक लाभ मिल सके। वहाँ तत्वमीमाँसा और धर्म को बिगाडद्यकर झठ वैज्ञानिक प्रयोगों का रुप दे दिया जाता है जिसका वास्तविक उद्देश्य होता है, सत्ता की, धन की, बल की, संसार-सुख की सिद्धि। विवेकानन्द इस तथ्य को शीघ्र ही समझ गये, इसी से उन्होने वहाँ शीघ्र ही राजयोग पर व्याख्यान बन्द कर दिये और उनके व्याख्यानों का नया विषय ज्ञानयोग हो गया।
-रोम्याँ रोलाँ