एकबार एक पुण्यात्मा गृहस्थ के घर एक अतिथि बनकर आये उनके शरीर पर सारे कपडे काले थे। गृहस्थ ने तनिक ख्न्निता से कहा “तुमने काले कपडे क्यों पहन रक्खे हैं?” मेरे काम क्रोधादिमित्रों की मृत्यु हो गई है, उन्हीं के शोक में ये काले वस्त्र धारण कर दिए हैं। अतिथि ने उत्तर दिया।
ग्हस्थ ने उथ्त अतिथ्िको घर से बाहर निकाल देने का आदेश दिया, नौकर ने तत्काल आज्ञा पालन की । थोडी देर बाद उन्होंने अतिथि को वापिस बुलाया और पास आते ही फिर निकाल देने की आज्ञा दी इस प्रकार यह क्रमपात बार चलता रहा। किनतु अतिथि तनिक भी खिन्न न हुए अन्त में गृहस्थ ने अतिथि का सम्मान किया और अनुभव किया कि ये सच्चे इन्द्रियजित हैं।