सम्पादक विभाग-ब्रह्मवर्चस् शान्तिकुञ्ज, हरिद्वार
प्रभु! समर्पण हैं तुम्हें ये भावना के फूल।
भेंट क्या दूँ सोचता था,
आ गया है आज सम्मुख,
अब सभी कुछ है तुम्हारा,
-त्रिलोकीनाथ ब्रजवाल