अग्नि पथ है, प्रज्वलित लपटें गगन में, स्वार्थ, हिंसा, लोभ, शोषण, नाश रण में,
चल रहे हैं पर चरण युग के निरन्तर, साँस में हुँकारते मुठभेड़ के स्वर,
युग-विरोधी शक्तियों को दे चुनौती, हर कदम पर, हम कदम पर, बढ़ रहा दृढ़ जन-समुन्दर।
ये चरण, युग के चरण हैं कब झुकेंगे, ये शहीदों के चरण हैं, कब रुकेंगे,
कौन-सा अवरोध आहत कर सकेगा, पन्थ पर तूफान आहें भर सकेगा,
ये करेंगे विश्व-नव-निर्माण बढ़कर, हर कदम पर, हम कदम पर, बढ़ रहा दृढ़ जन-समुन्दर।
नाश को ललकारती है युग-जवानी, क्राँति का आह्वान करती आज वाणी,
प्राण में उत्साह नूतन ताजगी हैं, युग-युगों की साधना की लौ जगी हैं,
सामने जिसके ठहराना हैं असम्भव, हर कदम पर, हर कदम पर, बढ़ रहा दृढ़ जन-समुन्दर।