गायत्री महामन्त्र से लाभ उठाने के लिए-इस साहित्य को पढ़िए!

August 1954

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गायत्री महामन्त्र से लाभ उठाने के लिए यह आवश्यक है कि गायत्री विद्या का पूरा परिचय एवं विधान भली प्रकार सीख लिया जाय। अधूरी जानकारी का परिणाम अधूरा ही होता है। साइन्स डाक्टरी, इंजीनियरिंग, कानून, रसायन, शिल्प आदि की भाँति गायत्री भी एक महत्वपूर्ण विद्या है। जिसकी पूरी जानकारी प्राप्त करके ही पूरा लाभ उठाया जाना सम्भव है।

हजारों ग्रन्थों की खोज, अगणित गायत्री उपासकों एवं सिद्ध पुरुषों के सहयोग तथा दीर्घकालीन अनुभवों के आधार पर, जो ज्ञान एकत्रित किया गया है उसको पुस्तक रूप में प्रकाशित कर दिया है। इनमें उन सभी प्रश्नों का उत्तर, शंकाओं का समाधान तथा विभिन्न प्रयोजनों के लिए गायत्री प्रयोगों का पूरा वर्णन है। इन्हें पढ़ने के बाद कोई बात पूछने लायक नहीं बचती। फिर भी कोई बात पूछनी हो तो जवाबी पत्र भेज कर प्रसन्नता पूर्वक पूछी जा सकती है। स्मरण रहे साधारण पत्र की 10-20 पंक्तियों में किन्हीं साधनाओं का पूरा विधान या विज्ञान बताया जाना सम्भव नहीं। संचित और अधूरे उत्तरों से जिज्ञासुओं का ठीक प्रकार समाधान नहीं होता। इसलिए कोई पूछताछ करने से पहले गायत्री महाविद्या आदि ग्रन्थों को मंगा लेते हैं व गायत्री परिवार के सदस्य माने जाते हैं और उनकी उन्नति के लिए समय-समय पर अनेक आवश्यक बातें एवं सूचनायें इधर से ही भेजी जाती रहती हैं।

(1) गायत्री महाविज्ञान (प्रथम भाग)

विषय- गायत्री विद्या का वैज्ञानिक परिचय, तथ्य तथा मूल आधार, साधना द्वारा गुप्त 24 शक्तियों का जागरण, अनेक शक्तियों का आविर्भाव वेद शास्त्रों तथा महापुरुषों द्वारा गायत्री का गुणगान, अनेकों अनुभव, गायत्री का शाप मोचन और उत्कीलन यज्ञोपवीत और गायत्री का सम्बन्ध निष्काम और सकाम साधना, गायत्री साधना के नौ रत्न, अन्यत् आवश्यक नियम गायत्री द्वारा संध्या वन्दन, प्राणायाम, ध्यान, अनुष्ठान, हवन तथा तपश्चर्या की विस्तृत विधियाँ अनेक प्रयोजनों के लिए गायत्री के अनेक प्रयोग, स्त्रियों की पृथक साधनाएं मन्त्र का अर्थ माता का साक्षात्कार, साधक में प्रकट होने वाली दस विशेषताएं, गायत्री द्वारा वाममार्गी भयंकर तान्त्रिक साधनाएं, कुण्डलिनी जागरण का विस्तृत विधान आदि।

(2) गायत्री महाविज्ञान (द्वितीय भाग)

विषय- गायत्री विद्या सम्बन्धी छोटे-छोटे किन्तु बड़े ही महत्वपूर्ण रत्नों का संस्कृत श्लोक और हिन्दी अर्थी समेत संग्रह है। गायत्री महात्म्य, गायत्री गीता, गायत्री स्मृति, गायत्री उपनिषद्, गायत्री रामायण, गायत्री पंजर, गायत्री संहिता, गायत्री तन्त्र, गायत्री अभिचार, 24 गायत्री, गायत्री पुरश्चरण, गायत्री सहस्रनाम, गायत्री स्त्रोत, गायत्री लहरी आदि के इस संग्रह को गागर में सागर कहा जा सकता है।

(3) गायत्री महाविज्ञान (तृतीय भाग)

विषय- गायत्री द्वारा 84 प्रकार की महत्वपूर्ण एवं चमत्कारी योग साधना का विस्तृत वर्णन है। गायत्री के पाँच मुख तथा दस भुजाओं का रहस्य स्थूल, सूक्ष्म, कारण शरीरों का परिचय, अन्नमय, मनोमय, विज्ञानमय आदि पंचकोषों की साधना, हठयोग, राजयोग, लययोग नादयोग, ऋजुयोग प्राणयोग, शब्दयोग, स्वरयोग की विधियाँ। बन्ध, मुद्रा, पंच तन्मात्रा, ग्रन्थि भेदन, पंचीकरण, भूत शुद्धि समाधि, तुरीयावस्था, आत्म दर्शन, सोऽहं का अजपा जाप, तन्त्र तथा वाममार्ग मनोनिग्रह मैस्मरेजम की बेधक दृष्टि, गायत्री द्वारा अनेक सिद्धियों की साधना का विधिवत विधान इस पुस्तक में है। इसे योग विद्या का अद्वितीय ग्रन्थ ही समझना चाहिए।

(4) गायत्री के प्रत्यक्ष चमत्कार

विषय- अनेकों साधकों को, अपनी-अपनी साधना में अनुभवों का उन्हीं की लेखनी से वर्णन इस पुस्तक में है। किन व्यक्तियों को किस-किस गायत्री साधना से किस प्रकार क्या अद्भुत लाभ प्राप्त हुए, निराशा एवं असफलता के अंधकारपूर्ण वातावरण पलट कर किस प्रकार आशा और सफलता के प्रकाश उपलब्ध हुए, इसके सैकड़ों सचित्र उदाहरण इस पुस्तक में छपे हैं।

गायत्री यज्ञ विधान -

यज्ञ का रहस्य, विज्ञान, विधान विवेचन, कारण हेतु महत्व आदि को पूरे विस्तार एवं प्रमाणों के साथ समझाया गया है। गायत्री के छोटे होम बड़े यज्ञ, विवेक विधियों और विवेचनाओं एवं मंत्रों के साथ विस्तारपूर्ण समझाये गये हैं। इस पुस्तक के आधार पर पूर्ण शास्त्रोक्त विधि विज्ञान का यज्ञ कोई भी व्यक्ति बड़ी आसानी से कर सकता है और देव शक्तियों द्वारा अनेक सहायताएं प्राप्त कर सकता है।

(5) सचित्र गायत्री शिक्षा -

विषय- गायत्री के 24 अक्षरों में 24 महान सिद्धाँत छिपे हुए हैं। उनको समझने के लिए 24 श्लोक, 24 लेख, 24 भावपूर्ण कविताएं तथा 26 आर्ट पेपर पर छपे हुए कलात्मक तिरंगे चित्र हैं। पुस्तक बड़ी ही शिक्षाप्रद तथा प्रभावोत्पादक है।

(6) गायत्री चित्रावली -

विषय- विविध प्रयोजनों के लिए गायत्री के विविध ध्यानों के लिए आर्ट पेपर पर छपे हुए 24 तिरंगे चित्र तथा उनका पूरा परिचय।

(7) गायत्री मन्त्रार्थ -

विषय- गायत्री के एक-एक अक्षर की विस्तृत शास्त्रीय व्याख्या तथा अनेक ऋषियों के अनेक प्रकार से किये गये अर्थों का संग्रह। राक्षसराज रावण की गायत्री व्याख्या भी इसमें है।

छोटा सैट

उपरोक्त पुस्तकों के कुछ स्थलों का संचित साराँश लेकर यह पुस्तकें भी छापी गई है।

(1) गायत्री ही कामधेनु है।

(2) गायत्री का वैज्ञानिक आधार

(3) वेद शास्त्रों का निचोड़ गायत्री

(4) गायत्री की सर्व सुलभ साधनाएं

(5) अनादि गुरु मन्त्र गायत्री

(6) सचित्र गायत्री

(7) गायत्री के 14 रत्न(प्रथम भाग)

(8) गायत्री के 14 रत्न (द्वितीय भाग)

(9) विपत्ति निवारण गायत्री

(10) स्त्रियों का गायत्री अधिकार

(11) गायत्री सहस्रनाम पाठ

(12) गायत्री हवन विधि

अत्यन्त सस्ती एवं सुन्दर वितरण योग्य पुस्तकें

(1) गायत्री की गुप्त शक्ति

(2) सुख शान्ति दायिनी गायत्री

(3) गायत्री से बुद्धि विकास

(4) गायत्री की दिव्य सिद्धियाँ

(5) गायत्री का अर्थ सन्देश

(6) स्त्रियों की गायत्री साधना

(7) गायत्री उपासना कैसे करें

(8) गायत्री से यज्ञ का सम्बन्ध

(9) गायत्री चालीसा

(10) गायत्री का तिरंगा चित्र

मूल्य में कमी के लिए लिखना बिल्कुल व्यर्थ है। हाँ 6 से अधिक मूल्य की पुस्तकें लेने पर डाक खर्च अपना लगा दिया जाता है।

‘अखण्ड-ज्योति’- यह गायत्री संस्था की मुख्य पत्रिका है। यह गत 14 वर्ष से निरन्तर प्रकाशित हो रही है। इसमें हर महीने गायत्री सम्बन्धी लेख रंगीन चित्र तथा समय-समय पर गायत्री उपासना सम्बन्धी आवश्यक सूचनाएं विज्ञप्तियाँ तथा जानकारियाँ प्रकाशित होती रहती हैं। जुलाई में हर साल एक गायत्री अंक निकलता है। गायत्री संस्था से सम्बन्ध रखने के लिए- अखण्ड-ज्योति का ग्राहक रहना आवश्यक है।

गायत्री तपोभूमि- जब कभी आप मथुरा पधारें तब मथुरा से एक मील की दूर (वृन्दावन रोड पर स्थित) गायत्री तपोभूमि अवश्य पधारें। यहाँ गायत्री माता का मन्दिर, 2400 तीर्थों की रज, जल, 60 करोड़ हस्त लिखित मंत्रों का संग्रह, अखण्ड अग्नि की स्थापना, नित्य यज्ञ, तुलसी का वन, गायत्री पुस्तकालय, सत्संग आदि से आपको बहुत शाँति मिलेगी। साधना के लिए वह उत्तम स्थान है।

वर्ष-14 संपादक-श्री राम शर्मा, आचार्य अंक-8


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