सुख संसार की किसी भी वस्तु में नहीं है, इसलिए वह किसी भी बड़े से बड़े वैभव द्वारा प्राप्त नहीं हो सकता। सुख तो मन की एक स्थिति है जो आत्म साधन द्वारा प्राप्त होती है।
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अधिक बकवाद करना और अधिक विचार करना अनावश्यक है। जिसके ज्ञान संचय का क्रम ठीक नहीं वह जितना ही अधिक विद्वान बनेगा उतना ही अधिक भ्रम में पड़ेगा।
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जब रोना हो तो एकान्त की तलाश करो, और जब हँसना हो तब मित्रों में जाओ।