आपने कष्ट मिटाने में हमारी सेवा स्वीकार कीजिये।
‘आनन्द प्रतिष्ठान, तन्त्र विद्या की उपासना का एक केन्द्र है। इसके साधक तन्त्र विज्ञान की दुरूह क्रियाएं करके जो शक्ति प्राप्त करते हैं, उसे जनहित में बाँट देते हैं। अब यह निश्चित हो चुका है कि योरोप के डॉक्टर मैस्मरेजम, हिप्नोटिज्म, मैगनेटिज्म, मनो विज्ञान आदि के द्वारा लोगों पर जितना असर डालते हैं तन्त्र विज्ञान द्वारा उन सब से कई गुना असर लोगों पर डाला जा सकता है, क्योंकि मैस्मरेजम आदि के जो सिद्धान्त हैं वह सब तो तन्त्र विद्या के भीतर हैं ही, वरन् उससे भी बहुत अधिक बातें उसमें हैं।
मैस्मरेजम आदि की शक्ति स्थूल होने के कारण केवल इतनी ही होती है कि सामने बैठे हुए आदमी पर तात्कालिक असर डाला जा सके। तंत्र-विद्या इससे कहीं सूक्ष्म है। इसकी गूढ़ क्रियाओं द्वारा उत्पन्न किये सूक्ष्म कम्पन इतने शक्तिशाली होते है कि हजारों मील बैठे हुए आदमी पर भी उतना ही असर डालते हैं जितना पास बैठे हुए पर। उन मंत्रों का प्रभाव क्षण भर खेल दिखाकर ही समाप्त नहीं हो जाता वरन् जिसके ऊपर उपचार किया जाता है उसके गुप्त मन में इतना गहरा उतर जाता है कि साधक में शारीरिक तथा मानसिक विचित्र परिवर्तन हो जाते हैं।
‘आनन्द प्रतिष्ठान, ने अपना एक ऐसा कार्यक्रम बना रखा है कि कठिन साधना द्वारा शक्ति को पीड़ितों की सेवा में लगाया जाय और इसके बदले किसी गरीब अमीर से पाई पैसा का कोई ठहराव न किया जाय। अर्थात् लोगों के कष्टों को दूर करने का उपचार बिल्कुल मुफ्त किया जाय। लाभ होने पर बिना माँगे कोई कुछ दे दे तो संतोषपूर्वक उसी से साधक जीवन निर्वाह करें।
तन्त्र विद्या द्वारा कठिन से कठिन शारीरिक रोग, मानसिक रोग, बुरी आदतें, संतान संबंधी चिन्ता, गृह कलह, बुरे दिन, अनिष्ट की आशंका भूत बाधा, अशान्ति आदि का आसानी से उपचार हो सकता है। जिन लोगों को कोई ऐसा रोग है जिससे जिन्दगी को खतरा है उनका हम उपचार करते हैं (अब शारीरिक रोगियों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि उपचारक कठिन परिश्रम के कारण स्वयं बीमार पड़ने लगे हैं। इसलिए शारीरिक रोगों की चिकित्सा के लिए यह नियम बना दिया गया है कि केवल वे ही रोगी पत्र व्यवहार करें जिन्हें जीवन का खतरा है। साधारण छोटे मोटे रोगों के लिए अपने यहाँ के चिकित्सकों से ही इलाज करा लेना चाहिए। हाँ मानसिक रोगों की उपचार व्यवस्था पूर्ववत् ही चालू है। ) स्मरण शक्ति की कमी, सिर में भारीपन, उद्विग्नता, चिन्ता, उदासी, निराशा, निरुत्साह, भय, हीनता की भावना, बुरे कामों की प्रवृत्ति, क्रोध, बुरी आदतें, चिड़चिड़ापन, नींद की कमी आदि मानसिक रोगों के लिए तंत्रोपचार रामबाण है। कुटुम्ब, मित्र या पत्नी से झगड़ा रहता है, संतान नहीं होती, होकर मर जाती है या लड़कियाँ ही लड़कियाँ होती हैं, किसी शत्रु द्वारा अपना अनिष्ट होने की आशंका है, भूत प्रेतादि के उपद्रव होते हैं तो भी इस विद्या द्वारा आश्चर्यजनक लाभ उठाया जा सकता है। एक बात हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हम मारण, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण, स्तंभन आदि पाप-पूर्ण क्रियाएँ किसी के पक्ष विपक्ष में किसी दशा में नहीं करते इसके लिए कोई सज्जन लिखा-पढ़ी न करें। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि तेजी मन्दी का भाव, दड़ा, सट्टा, फ्यूचर, गढ़ा धन, चोरी का माल, भविष्य, हस्तरेखा, जन्मपत्र आदि भी हम नहीं बताते इसलिए कोई महानुभाव इन कामों के लिए भी पूछने ताछने का कष्ट न उठावें।
एक और बात भी समझ रखनी चाहिये कि हमारा उद्देश्य शारीरिक, मानसिक तथा बाहरी कष्टों से अपने भाई बहिनों को बचाने का यत्न करने मात्र का है और इसके लिए मनोविज्ञान के डाक्टरों के मत से विशुद्ध वैज्ञानिक आध्यात्मिक क्रियाओं का ही उपयोग करते हैं। किसी अंधविश्वास, ढोंग, भ्रमजाल के फैलाने का हमारा कोई मन्तव्य नहीं है। स्पष्ट है कि जब हम किसी से कोई ठहराव नहीं करते, फीस नहीं माँगते, रुपये नहीं ऐंठते तो क्यों किसी को धोखे में डालेंगे! और क्यों ढोंग फैलावेंगे।
जिन्हें इस विज्ञान पर विश्वास हो, या कम से कम जितने दिनों इस विज्ञान से लाभ उठावें उतने ही दिन तक परीक्षा के तौर पर जो विश्वास रख सकें वे निःसंकोच बन्द लिफाफे में अपना पूरा विवरण लिख भेजें, हम तुरंत ही उपचार सामग्री भेजेंगे इसके बदले में किसी प्रकार की कीमत नहीं लेंगे। उपचार आरंभ करते समय हमें रोगी की चार चीजों की जरूरत पड़ती है। (1) रोग का कारण, वर्तमान स्थिति और रोगी का वर्तमान समय का पूरा परिचय (2) रोगी फोटो (यह पाँच वर्ष से अधिक पुराना न हो) (3) रोगी के शिखा स्थान (चोटी) के 11 बाल (4) सफेद स्याही सोख (ब्लाटिंग पेपर) पर लटकाया हुआ रोगी के बाँए अंगूठे में से एक बूँद खून। यह चारों चीजें पास होने पर पूरी तरह उपचार आरंभ हो सकता है, यदि फोटो तैयार न हो तो वह पीछे भेजा जा सकता है। यदि रोगी छोटा बालक हो या बहुत डरपोक हो तो खून से भी छुट्टी दी जा सकती है। पर सफलता में जरा देर लग जाती है।
आध्यात्म विद्या की शिक्षा देने की भी व्यवस्था की गई है। जो सज्जन अपनी आध्यात्मिक उन्नति करना चाहते हैं दूसरों की चिकित्सा करने की शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं, अलौकिक और गुप्त बात को जानने की योग्यता प्राप्त करना चाहते हैं, वे निष्कपट भाव से बिलकुल मुफ्त शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। किन्तु उन्हें यह प्रतिज्ञा अवश्य करने पड़ेगी कि वे इस विद्या का उपयोग परोपकार के लिए ही करेंगे। अपनी नीच वासनाओं की पूर्ति या अपना अनुचित स्वार्थ साधन करने के लिए इस विद्या को उपयोग करने वाले लोगों को हमारे द्वारा किसी प्रकार की शिक्षा प्राप्त करने की आशा न करनी चाहिए।
यह पहले ही कहा जा चुका है कि किसी भी उपचार के लिए न तो फीस माँगी जाती है और न ठहराई जाती है न पीछे कोई झगड़ा किया जाता है। कुछ देने न देने में रोगी बिलकुल स्वतन्त्र है। बहुमूल्य रामबाण दवाएं, रसायनें, जड़ी बूटियां, साधना यंत्र, कवच, रक्षा विधान आदि सब चीजें अपने पैसे से बिलकुल मुफ्त भेजते हैं। पर डाक खर्च का भी भार उठाने में हम अभी असमर्थ है। इसके लिए रोगी को ही व्यवस्था करनी पड़ेगी। पत्र के साथ एक आने का टिकट जरूर भेजना चाहिए अन्यथा उत्तर न दिया जा सकेगा।
विज्ञान-सम्मत तन्त्र विद्या के अपूर्व लाभों को उठाने से आप वंचित न रहिये। हमसे अपनी कुछ सेवा लीजिये तो सही, शायद ईश्वर इसी बहाने आपका कुछ भला करने की सोच रहा हो।
पत्र व्यवहार का पता—
आनन्द प्रतिष्ठान, फ्रीगंज, आगरा।