श्रेष्ठतर माताएँ (Kahani)

September 1996

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माँ हर स्थिति में माँ है । बच्चे को संकट में डालकर भी शिक्षण देना उसका कर्तव्य है । घोंसले में बैठके नन्हें से परिन्दे ने पर फड़फड़ाये और सहम कर जहाँ था, चिपककर बैठ गया । बच्चे को भयभीत देख माँ ने उसे घोंसले से धकेलते हुए कहा - “ जब तक तू भय नहीं छोड़ेगा, उड़ना कहाँ से आयेगा ? “ दूसरे क्षण परिन्दा हवा में उड़ रहा था ।

चित्तौड़ के राजकुमार एक चीते का पीछा कर रहे थे । वह चोट खाकर झाड़ियों में जा छिपा था । राजकुमार घोड़े को झाड़ी के इर्द-गिर्द घुमा रहे थे ; पर छिपे चीते को बाहर निकालने में वे सफल न हो पा रहे थे ।

किसान की लड़की यह दृश्य देख रही थी । उसने राजकुमार से कहा - “ घोड़ा दौड़ाने से हमारा खेत खराब होता है । आप पेड़ की छाया में बैठे । चीते को मार कर मैं लाये देती हूँ ।” वह एक मोटा डंडा लेकर झाड़ी में घुस गई ओर मल्ल युद्ध में चीते पछाड़ दिया । उसे घसीटते हुए बाहर ले आई और राजकुमार के सामने पटक दिया ।

इस पराक्रम पर राजकुमार दंग रह गये । उन्होंने किसान से विनय करके उस लड़की से विवाह कर लिया । प्रख्यात योद्धा हमीर उस लड़की की कोख से पैदा हुआ था । माताओं के अनुरूप संतान का निर्माण होता है।

सुभद्रा की कोख से अभिमन्यु जन्मे थे । अंजनी ने हनुमान को जन्म दिया था । श्रेष्ठतर की माताएँ अपने गुण, कर्म, स्वभाव के अनुरूप ही श्रेष्ठ संतानों को जन्म देती है। हिरण्यकश्यपु के घर प्रह्लाद जैसा भक्त होना ;नारी की -उनकी धर्मप्राण माता कयाधू की योग्यता का प्रमाण है।


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