सन्देह की गुँजाइश नहीं (Kahani)

October 1991

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जपयोग को सर्वश्रेष्ठ उपासना माना गया है। जप के लिए माला का प्रयोग किया जाता है। प्रश्न पूछा जा सकता है कि माला में 108 दाने ही क्यों होते है? न्यूनाधिक क्यों नहीं?

प्रथम तो माला फेरने से कितना जप हुआ, इस बात का ठीक पता लग जाता है। दूसरे अंगुष्ठ और उँगली के संघर्ष से एक विलक्षण सूक्ष्म विद्युतधारा मस्तिष्कीय केन्द्रकों के स्तर पर उत्पन्न होती है, जो सीधे हृदय चक्र को वेगस नर्व के माध्यम से प्रभावित कर मन को एकाग्र कर देती है। प्रकृति विज्ञान की दृष्टि से विश्व ब्रह्मांड में 27 नक्षत्रों को मान्यता दी गई हैं। प्रत्येक नक्षत्र के चार-चार चरण ज्योतिष शास्त्र में प्रसिद्ध हैं। 27 को 4 से गुणा करने पर 108 संख्या ही आती है। चौथे समस्त विश्व ब्रह्माण्ड को बारह भागों में विभक्त कर उन्हें राशि कहा गया है। 12 राशि व 9 ग्रहों का गुणनफल 108 होता है। इस प्रकार समष्टि चेतना से संयुक्तीकरण हेतु सर्वश्रेष्ठ संख्या 108 ही है। पाचवाँ अंतिम कारण है दिन व रात्रि के कुल श्वासों की संख्या प्रत्येक में 10, 800 है (15 प्रति मिनट की गति से )। जप प्रमुख रूप से उपाँशु किया जाता है जिसका फल सौगुना बताया गया है। इस प्रकार 108 गुणें 100 10, 800।

गायत्री उपासना के माहात्म्य से अनेकानेक ग्रन्थ भरे पड़े हैं। वस्तुतः वे सभी लाभ साधक को मिल सकते हैं, यदि बिना भटके राजमार्ग का अपनाया जाय तो आत्मोत्कर्ष की चरम परिस्थिति पूर्णता तक पहुँचाती है। साकार व निराकार उपासना जब भी सारा तत्व ज्ञान व पृष्ठभूमि समझते हुए की जाती है, तो साधना से सिद्धि के सिद्धाँत में फिर कहीं भी किसी सन्देह की गुँजाइश नहीं रह जाती।


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