याचकों की भीड़ है
याचकों की भीड़ है, दाता यहाँ कोई नहीं॥
विश्व के सर्वस्व दानी, भीख से पलते मिले।
इन्द्र के ऐश्वर्य भोगी, भूख से जलते मिले।
जाल में योगी फँसे, त्राता यहाँ कोई नहीं॥
काँच कण बिखरे पड़े, पारस मणि है लापता।
कल्प वृक्षी टहनियाँ, सूखी पड़ी जीवन लता।
प्राण गर्भा सम्पदा, पाता यहाँ कोई नहीं॥
खोखले स्वर चीखते, निस्पन्द जीवन की कथा।
राग और विराग ओझल, क्षीण अन्तर की व्यथा।
त्याग की रस रागिनी, गाता यहाँ कोई नहीं॥
जुगनुओं के पर चमकते, देखने भर के लिए।
दीप लौ से खेलने को, प्राण शलभों ने दिये।
ज्योति बन कर झूमने, आता यहाँ कोई नहीं॥
दूध पीते मजनूओं के हैं लगे मेले यहाँ।
दे कलेजे का लहू जो, मौत से खेल यहाँ।
प्यार का वह त्याग से, नाता यहाँ कोई नहीं॥