युग-परिवर्तन के सम्बन्ध में ‘कीरो’ की भविष्य-वाणी

July 1967

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‘कीरो’ विलायत के सबसे बड़े ज्योतिषी और सामुद्रिक शास्त्र के आचार्य थे। उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी कि वे जिस आदमी का हाथ देखते थे उसके जीवन की तमाम भूत और भविष्यत् घटनाएँ उनको सिनेमा के चित्रों की भाँति दिखलाई पड़ने लगती थीं। इसीलिए दुनिया के बड़े-बड़े बादशाह, राज्य-संचालक, संसार के नामी-गिरामी व्यक्ति उनको अपना हाथ दिखलाया करते थे उनकी कुछ बातें तो ऐसी मशहूर हैं कि जिनका हाल अंग्रेजी जानने वाले सभी ज्योतिष-प्रेमियों ने सुन रखा है। कीरो साहब ने दक्षिण अफ्रीका की लड़ाई, रानी विक्टोरिया की मृत्यु, बादशाह एडवर्ड सप्तम की मृत्यु का ठीक महीना और दिन, इटली के बादशाह हम्बर्ट की हत्या, रूस के जार का पतन और उसके परिवार के प्रत्येक व्यक्ति का कत्ल किया जाना, जर्मनी की पहली लड़ाई का ठीक समय आदि वर्षों पहले बतला दिया था। उनकी सबसे आश्चर्यजनक भविष्यवाणी लार्ड किचनर के सम्बन्ध में है, जिनको उन्होंने सन् 1887 में, जबकि वे सेना में एक साधारण कर्नल थे, बतला दिया था कि आपको सन् 1914 में एक बहुत बड़े महासमर की भारी जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी और उस अवसर पर आपकी मृत्यु एक सिपाही की तरह मैदान में न होकर समुद्री दुर्घटना में 66 वर्ष की आयु में होगी। उनकी यह भविष्यवाणी अक्षरशः सत्य सिद्ध हुई और लार्ड किचनर युद्ध संबंधी सलाह के लिए अमरीका जाते हुए जर्मनी की गोताखोर नाव द्वारा समुद्र में डुबा दिये गये।

अपने जीवन के अन्तिम वर्षों में कीरो ने ज्योतिष-शास्त्र संबंधी कई पुस्तकें लिखी थीं जो लोगों को बहुत पसंद आई थीं। उन्होंने च्च्ंखशह्द्यस्र श्चह्द्गस्रद्बष्ह्लद्बशठ्ठह्यज्ज् (संसार की भविष्य-वाणियाँ) नाम की पुस्तक सन् 1925 के अक्टूबर महीने में प्रकाशित होने को भेजी थी, जो सन् 1927 में छपकर तैयार हुई। इससे पहले उन्होंने इस पुस्तक को लेख के रूप में समाचार पत्रों में प्रकाशनार्थ भेजा था, पर उन सबने यह कह कर लौटा दिया कि इसकी बातें अत्यन्त ‘सनसनीपूर्ण’ हैं और जब तक इसमें बहुत अधिक उलटफेर न किया जायगा तब तक वे इसको नहीं छाप सकते।

पुस्तक रूप में प्रकाशित होने पर यह बड़ी लोकप्रिय सिद्ध हुई और कुछ ही वर्षों में इसके बहुत संस्करण हो गये और नियत कीमत से भी अधिक मूल्य पर बेची जाने लगी। अब उसकी एक भी प्रति बहुत कठिनाई से मिलती है। लोग उसके विषय में बहुत सी अन्ट-सन्ट बातें किया करते हैं और उसकी बातों का उलटा ही अर्थ निकाला करते हैं। इसलिए हम उसकी मुख्य-मुख्य बातों का साराँश, खासकर तीसरे महायुद्ध के संबंध में उसकी सम्मति यहाँ उद्धृत करना चाहते हैं।

कीरो के भविष्य-कथन का मुख्य आधार यह सिद्धाँत है कि-पृथ्वी की कक्षा अथवा धुरी अपनी जगह से बराबर हटती जाती है और इस कारण हमको सूर्य अपना स्थान बदलता जान पड़ता है। पृथ्वी क यह हटना इस प्रकार होता है कि सूर्य एक-एक करके बारहों राशियों में होकर गुजर जाता है। एक राशि से दूसरी राशि में जाने में उसे 2150 वर्ष का समय लगता है और बारह राशियों का भ्रमण 25800 वर्ष में पूरा होता है। ईसा के जमाने में सूर्य मीन राशि में था और सन् 1762 से कुँभ राशि में प्रविष्ट हुआ है।

पृथ्वी की कक्षा में होने वाले इस बदलाव का असर दुनिया की आबोहवा पर बहुत ज्यादा पड़ता है। ध्रुवों का स्थान बदल जाने से बड़े-बड़े भूकम्प आते हैं, समुद्रों की गहराई में अन्तर पड़ जाता है और दुनिया के नक्शे में बड़े-बड़े परिवर्तन दिखलाई देने लगते हैं। पृथ्वी की कक्षा में अन्तर पड़ने के सिद्धांत को वैज्ञानिक भी मानते हैं और संसार के सबसे प्राचीन ग्रंथ वेदों से भी यह सिद्ध होता है। लोकमान्य तिलक ने अपने वेद संबंधी ग्रन्थ में इस विषय पर काफी प्रकाश डाला है। उन्होंने बतलाया है कि किसी समय आर्य लोग उस भूमि में रहते थे जो इस समय ध्रुव प्रदेश (Artictic) नाम के से पुकारी जाती है। इससे सिद्ध होता है कि किसी समय यह भू-प्रदेश निवास योग्य होगा और बर्फ के कारण अगम्य प्रदेश उससे कुछ हट कर होगा।

मि. कीरो के मतानुसार अगले 50 या कुछ न्यूनाधिक वर्षों में अटलाँटिक महासागर के तल में कुछ ऐसा अन्तर पड़ जायगा कि गल्फस्ट्रीम का मार्ग बदल जायगा जिसके कारण न्यूयार्क और अमरीका का बहुत-सा पूर्वी हिस्सा, आयरलैंड, इंग्लैंड, स्वीडन, नार्वे डेनमार्क, रूस, जर्मनी, फ्राँस के उत्तरी भाग इतने ठण्डे हो जायेंगे कि वहाँ मनुष्यों का रहना कठिन हो जायगा। इसके बदले में भारत, अफ्रीका, मिस्र आदि जैसे देश जो अभी खास तौर पर गर्म समझे जाते हैं मातदिल आबोहवा वाले बन जायेंगे। इससे इन देशों में सभ्यता की बहुत उन्नति होगी और संसार में इनका महत्व अन्य देशों से बढ़ जायगा। अटलाँटिक महासागर में जमीन के ऊँचा उठने से एक नया टापू पैदा हो जायगा और उसके परिणामस्वरूप द. अफ्रीका का सहारा रेगिस्तान फिर से समुद्र बन जायगा, जिससे उस प्रदेश की कायापलट हो जायगी। इस भविष्य के अनुसार जब तक सूर्य कुम्भ राशि में रहेगा (अर्थात् सन् 3912 तक) संसार की सामाजिक अवस्था बहुत बदली हुई रहेगी। इस युग में स्त्रियों और मजदूरों की प्रधानता रहेगी। इस दृष्टि से यह युग वर्तमान समय से बहुत भिन्न होगा और उसमें वर्तमान समय में प्रचलित उन अधिकाँश प्रथाओं और रूढ़ियों का अन्त हो जायगा जिनको आज हम धर्म या समाज का आधार स्तम्भ मानते हैं। कुम्भ युग (Aquarian age) के इन महान परिवर्तनों का जिक्र करते हुये कीरो ने स्पष्ट लिखा है-

च्च्ञ्जद्धद्बह्य ह्यद्बद्दठ्ठ शद्ध भ्शस्रद्बड्डष्, द्वशह्द्ग द्बद्वद्वद्गस्रद्बड्डह्लद्गद्यब् द्बठ्ठद्धद्यह्वद्गठ्ठष्द्गस्र ड्डह्य द्बह्ल द्बह्य ड्ढब् ह्लद्धद्ग श्चद्यड्डठ्ठद्गह्लह्य ह्ड्डठ्ठह्वह्य ड्डठ्ठस्र स्ड्डह्लह्वह्ठ्ठ , द्धड्डह्य, द्बठ्ठ द्वद्बठ्ठस्रह्य शद्ध ड्डठ्ठष्द्बद्गठ्ठह्ल ह्यह्लह्वस्रद्गठ्ठह्लह्य शद्ध शष्ष्ह्वद्यह्लद्बह्यद्व द्धह्शद्व ह्लद्बद्वद्ग द्बद्वद्वद्गद्वशह्द्बड्डद्य, ड्ढद्गद्गठ्ठ ड्डह्यह्यशष्द्बड्डह्लद्गस्र ख्द्बह्लद्ध ह्लद्धद्ग द्बस्रद्गड्ड शद्ध ड्ड च्च्ठ्ठद्गख् ्नद्दद्गज्ज् ड्डठ्ठस्र ष्शद्वश्चद्यद्गह्लद्ग ष्द्धड्डठ्ठद्दद्ग द्बठ्ठ ह्लद्धद्ग द्यड्डख्ह्य ष्शठ्ठह्लह्शद्यद्यद्बठ्ठद्द ष्द्बक्द्बद्यह्यड्डद्यड्डह्लद्बशठ्ठ. ढ्ढह्ल ख्ड्डह्य ड्ढद्गद्यद्बद्गक्द्गस्र ड्डठ्ठस्र ह्वठ्ठस्रद्गह्ह्यह्लशशस्र ह्लद्धड्डह्ल ह्लद्धद्ग श्चद्गष्ह्वद्यद्बड्डह् क्द्बड्ढह्ड्डह्लद्बशठ्ठह्य ष्ड्डह्वह्यद्गस्र ड्ढब् ड्डष्ह्लद्बशठ्ठ शद्ध ह्लद्धद्ग ह्यह्वठ्ठ ह्द्गह्लह्शद्दह्ड्डस्रद्बठ्ठद्द ह्लद्धह्शह्वद्दद्ध ह्लद्धद्बह्य श्चड्डह्ह्ल शद्ध भ्शस्रद्बड्डष् ख्शह्वद्यस्र ह्यश द्गद्धद्धद्गष्ह्ल ह्लद्धद्ग द्वद्बठ्ठस्रह्य शद्ध द्धह्वद्वड्डठ्ठद्बह्लब् ह्लद्धड्डह्ल ह्लद्धद्ग द्वशह्यह्ल ड्डह्यह्लशह्वठ्ठस्रद्बठ्ठद्द ष्द्धड्डठ्ठद्दद्गह्य , ह्वश्चद्धद्गड्डक्ड्डद्यह्य ड्डठ्ठस्र ह्द्गक्शद्यह्वह्लद्बशठ्ठह्य ख्शह्वद्यस्र द्धशद्यद्यशख् द्बठ्ठ द्बह्लह्य ह्लह्ड्डद्बठ्ठ . ह्लद्धद्ग च्च््नह्नह्वड्डह्द्बड्डठ्ठज्ज् शह् च्च्हृद्गख् ्नद्दद्गज्ज् द्धड्डह्य ड्डद्यह्यश ड्ढद्गद्गठ्ठ ह्यद्गह्ल स्रशख्ठ्ठ ड्डह्य ह्लद्धद्ग श्चद्गह्द्बशस्र ख्द्धद्गठ्ठ ख्शद्वड्डठ्ठ द्बठ्ठ ह्लद्धद्ग शह्स्रद्गह् शद्ध ह्वश्चद्धद्गड्डक्ड्डद्य, ह्द्गक्शद्यह्वह्लद्बशठ्ठ ड्डठ्ठस्र ष्द्धड्डठ्ठद्दद्ग ख्शह्वद्यस्र ड्डश्चश्चद्गड्डह् शठ्ठ ह्लद्धद्ग ख्शह्द्यस्रज्ह्य ह्यह्लड्डद्दद्ग द्बठ्ठ ष्शद्वश्चद्यद्गह्लद्गद्यब् ठ्ठद्गख् ह्शद्यद्गज्ज्.

“राशि चक्र का यह चिह्न बहुत जल्दी अपना प्रभाव डालता है, क्योंकि उसके ग्रह यूरेनस और शनि हैं, जिनको गूढ़ विद्याओं के प्राचीन ज्ञाता स्मरणातीत काल से एक नये युग से सम्बन्धित मानते आये हैं। इस प्रभाव से सभ्यता का नियंत्रण करने वाले नियमों-कानूनों में भी पूरा परिवर्तन हो जाता है। लोगों का यह विश्वास है कि जब सूर्य राशिचक्र के इस विभाग में संक्रमण करने लगता है तो उसके प्रभाव से बड़े चकित करने वाले परिवर्तन, हलचल और क्रान्ति उत्पन्न होने लगते हैं। यह ‘कुम्भ युग’ अथवा ‘नवयुग’ इस बात का भी चिन्ह समझा जाता है कि इस युग के परिवर्तन, हलचल और क्राँतियों में स्त्रियाँ संसार के रंगमंच पर एक बिल्कुल नये रूप में उपस्थित होंगी।”

कीरो ने यह भी लिखा है कि - “यूरेनस एक ऐसा ग्रह है जो स्थूल पदार्थों के बजाय मनुष्यों के विचारों पर अधिक प्रभाव डालता है। इस सिद्धाँत को मान कर जब हम गत शताब्दी की घटनाओं पर एक सरसरी निगाह डालते हैं तो हमको स्पष्ट विदित होता है कि इस बीच में मनुष्यों के विचारों और विशेषतया स्त्रियों की स्थिति के संबंध में निस्संदेह बहुत बड़े परिवर्तन हो चुके हैं। हजारों वर्षों से स्त्रियाँ सभी देशों में पशु अथवा दासों की सी अवस्था में थीं और उनको अपने से सम्बन्ध रखने वाले कानूनों के निर्माण में भी बोलने का अधिकार न था। पर जब से यह ‘कुम्भ युग’ आरम्भ हुआ है (सन् 1762 से) तब से संसार के सभी देशों में स्त्रियों की स्थिति में जबर्दस्त परिवर्तन हो रहे हैं। चीन और जापान जैसे घोर रूढ़िवादी देशों में भी स्त्रियों के पुराने बन्धन टूट चुके हैं। टर्की में स्त्रियों के लिये ‘हरम’ के दरवाजे खोल दिये गये हैं और स्त्रियाँ पर्दा हटा कर सार्वजनिक स्थानों पर जाती हैं। फ्राँसीसी क्राँति में स्त्रियाँ मोरचों के पीछे पुरुषों के कन्धे से कन्धा मिलाकर लड़ी थीं। रूस की क्राँति में स्त्रियों ने बाकायदा अपनी एक पल्टन बना कर युद्ध में भाग लिया था। वर्तमान समय में महिला वैज्ञानिक, महिला डॉक्टर, महिला वकील और महिला ड्राइवर पर्याप्त संख्या में दिखलाई पड़ती हैं और वे अब मिट नहीं सकतीं। महिलाओं ने फ्राँस और इंग्लैंड के बीच के समुद्र को तैर कर पार किया, वे हवाई जहाज चलाती हैं और पुरुषों द्वारा किये जाने वाले समस्त पेशों में प्रवेश कर रही हैं।”

इन बातों का आशय यह नहीं कि लेखक इस प्रकार के परिवर्तन को पूर्णतः वाँछनीय या शुभ मानते हैं। उनका कहना है-”नवीन युग के प्रभाव से सार्वजनिक जीवन के समस्त विभागों में स्त्रियाँ सामने आयेंगी और पुरुषों का कोई भी समुदाय स्त्रियों के इस बढ़ाव को रोक नहीं सकेगा फिर चाहे इस प्रकार स्त्रियों के हाथ में शक्ति का जाना अच्छा साबित हो या बुरा!”

फिर भी कीरो का विश्वास है- “चूँकि कुम्भ राशि का चिन्ह ‘पानी ले जाने वाला’ है। इसलिये अन्त में इसके द्वारा पृथ्वी की सुख-समृद्धि की वृद्धि होगी, यह भली प्रकार फूले फलेगी और मानव जाति के समस्त विभागों में एक दूसरे के लिए विशेष प्रेम का भाव देखने में आयेगा।”

विश्व-युद्ध का होना अनिवार्य है-

‘कीरो’ के कथानुसार आगामी तीसरे महायुद्ध का कारण यहूदियों के राज्य की स्थापना होगा। उसका कथन है कि भगवान के आदेश को अमान्य करने के कारण यहूदी जाति ढाई-तीन हजार वर्ष से कष्ट भोगती रही है, फिर भी वह अभी कायम है और वर्तमान जगत में उसको एक प्रभावशाली स्थान प्राप्त है। यहूदियों को अर्थ व्यवस्था (फायनेंस) में विशेषज्ञ माना जाता है और वे युद्धों के संचालन के लिए सरकारों को करोड़ों रु. कर्ज देते रहते हैं। इसके साथ ही इस जाति वालो नें साहित्य, कला, विज्ञान के क्षेत्र में भी नाम कमाया है। वर्तमान समय के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक माने जाने वाले ‘ईन्सटीन’ यहूदी थे और जिन वैज्ञानिकों ने उनसे प्रेरणा लेकर एटम बम तैयार किया उनमें से भी कई यहूदी थे। ये वैज्ञानिक खास तौर से हिटलर के अत्याचारों के कारण जर्मनी से भाग कर अफ्रीका चले गये थे।

कीरो ने लिखा है कि- “यहूदी स्वभाव से नवीन आविष्कारों को करने की बजाय उनको सुसम्बद्ध रूप में प्रयोग में लाने में अधिक योग्य होते हैं। जिस प्रकार आज वे व्यापार, व्यवसायों को सुनियोजित रूप देते हैं, उसी प्रकार वे किसी दिन विभिन्न राष्ट्र और जातियों को एक सूत्र में संगठित करने में अपनी योग्यता को प्रदर्शित करेंगे, पर ऐसा होने के पहले यहूदियों की सम्पूर्ण जाति को संसार के सबसे बड़े महायुद्ध में फँसना पड़ेगा।”

आज कीरो की यह भविष्य-वाणी प्रत्येक व्यक्ति को सच्ची सिद्ध होती दिखाई पड़ रही है। कदाचित लोगों को हमारे कथन पर शीघ्र विश्वास न हो इसलिए हम ‘वर्ल्ड प्रीडिक्शन’ के शब्दों को यहाँ ज्यों का त्यों दे रहे हैं-

च्च््नह्य द्धद्ग (ढ्ढह्यह्ड्डद्गद्यद्बह्लद्गह्य) द्बह्य ह्लशस्रड्डब् ड्ड द्वड्डठ्ठ शद्ध श्चद्गड्डष्द्ग ह्ड्डह्लद्धद्गह् ह्लद्धड्डठ्ठ शद्ध ख्ड्डह्-द्धद्बह्य द्बठ्ठद्धद्यह्वद्गठ्ठष्द्ग द्बठ्ठ ह्लद्धद्ग द्गठ्ठस्र ख्द्बद्यद्य ड्ढद्ग ह्लश श्चह्द्गक्द्गठ्ठह्ल ख्ड्डह्. क्चद्गद्धशह्द्ग, द्धशख्द्गक्द्गह्, ह्लद्धद्बह्य ष्ड्डठ्ठ ह्लड्डद्मद्ग श्चद्यड्डष्द्ग, ह्लद्धद्ग ढ्ढह्यह्ड्डद्गद्यद्बह्लद्गह्य ड्डह्य ड्ड ह्ड्डष्द्ग ख्द्बद्यद्य ड्ढद्ग द्बठ्ठक्शद्यक्द्गस्र द्बठ्ठ ह्लद्धद्ग द्दह्द्गड्डह्लद्गह्यह्ल ष्शठ्ठद्धद्यद्बष्ह्ल ह्लद्धड्डह्ल द्धड्डह्य ब्द्गह्ल ड्ढद्गद्गठ्ठ द्मठ्ठशख्ठ्ठ ह्लद्धद्ग ह्द्गह्लह्वह्ठ्ठ ह्लश क्कड्डद्यद्गह्यह्लद्बठ्ठद्ग द्बह्य ख्द्धड्डह्ल ख्द्बद्यद्य ड्ढह्द्बठ्ठद्द ह्लद्धद्बह्य ड्डड्ढशह्वह्ल.ज्ज्

(क्कड्डद्दद्ग 156)

“चूँकि वर्तमान समय में इसराइल (यहूदी) युद्ध के बजाय शाँति के कर्त्ता बन गये हैं इसलिए अन्त में वे अपने प्रभाव का उपयोग युद्ध का अन्त करने के लिए करेंगे। पर ऐसा समय आने से पूर्व यहूदी जाति को एक ऐसे महासंग्राम में फँसना पड़ेगा जैसा आज तक कभी नहीं हुआ। इस युद्ध का कारण यहूदी जाति का पैलेस्टाइन में फिर से आकर बसना ही होगा।”

यहूदियों को इस बात का गर्व है कि उनके धर्मग्रन्थ में भावी घटनाओं की जो भविष्य वाणियाँ की गई हैं वे अभी तक पूर्णतः सत्य सिद्ध हुई हैं। इसलिये यह अन्तिम युद्ध की भविष्य वाणी भी अवश्य सिद्ध होगी, ऐसा उनका अटल विश्वास है। अब से एक हजार वर्ष पहले योरोपियन देशों के ईसाइयों की बड़ी-बड़ी सेनाओं ने जरुशलम को मुसलमानों के अधिकार से मुक्त कराने के लिए, पचासों वर्षों तक युद्ध किया था, जिसमें लाखों व्यक्ति धर्म के नाम पर मारे गये थे, पर उस समय जरुशलम का उद्धार न हो सका। कीरो के कथनानुसार इसका कारण यही था कि उस समय तक दैवी भविष्यवाणी के पूरा होने का समय पूरा नहीं हुआ था। पर अब जब वह समय आ पहुँचा तो जरुशलम विजय का लक्ष्य न होने पर भी सन् 1917 में वह इंग्लैंड के अधिकार में आ गया और उसके कुछ ही समय बाद यह घोषित कर दिया गया कि यहूदियों को वहाँ बसने का अधिकार और सुविधायें दी जायें। इसके अनुसार कार्यारम्भ होने पर सन् 1925 तक, जब ‘वर्ल्ड प्रीडिक्शन’ लिखी गई थी, डेढ़ लाख से अधिक यहूदी वहाँ जाकर बस चुके थे। सन् 1949 में वहाँ इसराइल राष्ट्र की स्थापना कर दी गई और अब वहाँ यहूदियों की संख्या 26 लाख हो गई है। अब वह राष्ट्र इतना मजबूत हो चुका है कि दो बार बड़े-बड़े अरब देशों को हरा चुका है।

कीरो की भविष्यवाणियों का महत्व हमको इस दृष्टि से अवश्य स्वीकार करना पड़ेगा कि उन्होंने सन् 1925 में जब कि यहूदियों की शक्ति नाम मात्र को ही थी, पैलेस्टाइन में उनके शासन की जड़ जम जाने और उसके एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में परिणत हो जाने के तथ्य को बड़े स्पष्ट और जोरदार शब्दों में प्रकट कर दिया था। फिर उन्होंने यह भी कह दिया कि तीसरा महायुद्ध यहूदी राष्ट्र की उन्नति के कारण ही आरम्भ होगा। यहाँ हम उनके शब्दों को ज्यों का त्यों दे रहे हैं :-

च्च्ढ्ढ ख्द्बद्यद्य ठ्ठशख् ह्यद्गह्ल शह्वह्ल ड्डह्य ड्ढह्द्बद्गद्धद्यब् ड्डह्य श्चशह्यह्यद्बड्ढद्यद्ग द्वब् ह्द्गड्डह्यशठ्ठह्य द्धशह् ह्यह्लड्डह्लद्बठ्ठद्द ह्लद्धड्डह्ल ह्लद्धद्ग ्नह्द्वड्डद्दद्गस्रस्रशठ्ठ ब्द्गह्ल ह्लश ष्शद्वद्ग ख्द्बद्यद्य ड्ढद्ग ड्ढह्शह्वद्दद्धह्ल ड्डड्ढशह्वह्ल ड्ढब् ह्लद्धद्ग ह्द्गह्लह्वह्ठ्ठ शद्ध छ्वह्वस्रड्डद्ध ड्डठ्ठस्र ढ्ढह्यह्ड्डद्गद्य ह्लश ह्लद्धद्गद्बह् ष्शह्वठ्ठह्लह्ब्.

ढ्ढठ्ठ ह्लद्धद्ग द्धद्बह्ह्यह्ल श्चद्यड्डष्द्ग क्कड्डद्यद्गह्यह्लद्बठ्ठद्ग ड्डठ्ठस्र ह्लद्धद्ग ह्यह्वह्ह्शह्वठ्ठस्रद्बठ्ठद्द ष्शह्वठ्ठह्लह्द्बद्गह्य ख्द्बद्यद्य ड्ढद्गष्शद्वद्ग ह्लद्धद्ग द्वशह्यह्ल द्धद्गह्ह्लद्बद्यद्ग ड्डठ्ठस्र शठ्ठद्ग शद्ध ह्लद्धद्ग ह्द्बष्द्धद्गह्यह्ल श्चह्शक्द्बठ्ठष्द्ग द्बठ्ठ ह्लद्धद्ग ख्शह्द्यस्र. रुद्बठ्ठद्गह्ड्डद्यह्य ड्डठ्ठस्र ह्ड्डह्द्ग द्वद्गह्लड्डद्यह्य ख्द्बद्यद्य ड्ढद्ग द्धशह्वठ्ठस्र ह्लद्धद्गह्द्ग द्बठ्ठ ड्डड्ढशह्वठ्ठस्रद्गठ्ठष्द्ग ड्डठ्ठस्र द्यड्डह्द्दद्ग स्रद्गश्चशह्यद्बह्लह्य शद्ध ष्शड्डद्य ड्डठ्ठस्र शद्बद्य ख्द्बद्यद्य ड्ढद्ग स्रद्बह्यष्शक्द्गह्द्गस्र द्बठ्ठ ह्लद्धद्बह्य श्चड्डह्ह्ल शद्ध ह्लद्धद्ग द्गड्डह्ह्लद्ध द्बठ्ठ द्बठ्ठद्गफ्द्धड्डह्वह्यह्लद्बड्ढद्यद्ग ह्नह्वड्डठ्ठह्लद्बह्लद्बद्गह्य.

्नह्य ह्लद्धद्ग ड्डठ्ठष्द्बद्गठ्ठह्ल ड्ढशह्वठ्ठस्रड्डह्द्बद्गह्य शद्ध क्कड्डद्यद्गह्यह्लद्बठ्ठद्ग शह्द्बद्दद्बठ्ठड्डद्यद्यब् द्गफ्ह्लद्गठ्ठस्रद्गस्र ह्लश च्च्ह्लद्धद्ग ह्द्बक्द्गह् शद्ध श्वद्दब्श्चह्लज्ज् ह्यश ख्द्बद्यद्य ढ्ढह्यह्ड्डद्गद्यद्बह्लद्गह्य ख्द्बह्लद्ध ह्लद्धद्गद्बह् ष्श-ख्शह्द्मद्गह्ह्य द्बठ्ठ क्कड्डद्यद्गह्यह्लद्बठ्ठद्ग शश्चद्गठ्ठ ह्वश्च श्वद्दब्श्चह्ल ख्द्धद्बष्द्ध द्धड्डह्य ड्ढद्गद्गठ्ठ ह्यश ष्द्यशह्यद्गद्यब् ड्डह्यह्यशष्द्बड्डह्लद्गस्र ख्द्बह्लद्ध ह्लद्धद्गद्बह् द्धद्बह्यह्लशह्ब् ह्यद्बठ्ठष्द्ग द्यशठ्ठद्द श्चड्डह्यह्ल ड्डद्दद्गह्य. ञ्जद्धद्बह्य स्रद्गक्द्गद्यशश्चद्वद्गठ्ठह्ल ख्द्बद्यद्य ड्डह्शह्वह्यद्ग ड्डठ्ठह्लड्डद्दशठ्ठद्बह्यद्व द्धह्शद्व ह्लद्धद्ग द्धशद्यद्यशख्द्गह्ह्य शद्ध ढ्ढह्यद्यड्डद्व ड्डठ्ठस्र ञ्जह्वह्द्मद्गब्, ड्ढड्डष्द्मद्गस्र ड्ढब् क्रह्वह्यह्यद्बड्ड ख्द्बद्यद्य द्गठ्ठस्रद्गड्डक्शह्वह् ह्लश ह्द्गष्ड्डश्चह्लह्वह्द्ग क्कड्डद्यद्गह्यह्लद्बठ्ठद्ग. ष्टद्धह्द्बह्यह्लद्बड्डठ्ठह्य ड्डठ्ठस्र ढ्ढह्यह्ड्डद्गद्यद्बह्लद्गह्य ख्द्बद्यद्य द्धद्बद्दद्धह्ल ह्यद्बस्रद्ग ड्ढब् ह्यद्बस्रद्ग द्बठ्ठ ह्लद्धद्बह्य ष्शठ्ठद्धद्यद्बष्ह्ल ख्द्धद्बष्द्ध ख्द्बद्यद्य स्रद्गक्द्गद्यशश्च द्बठ्ठह्लश ह्लद्धद्ग ख्ड्डह् शद्ध ख्ड्डह्ह्य.ज्ज्

“अब मैं जहाँ तक सम्भव है बिल्कुल संक्षेप में उन कारणों को उपस्थित करना चाहता हूँ जिनके आधार पर कि आरमागड्डन का युद्ध, जो अभी लड़ा जाने वाला है, यहूदियों के अपने देश में वापिस आने के कारण ही पैदा होगा।”

“सबसे पहली बात तो यह है कि पैलेस्टाइन और उसके आस पास के प्रदेश संसार के सबसे अधिक उपजाऊ और धन संपन्न भू-भाग बन जायेंगे। खनिज पदार्थ और बहुमूल्य धातुएँ बहुत बड़े परिमाण में वहाँ प्राप्त होने लगेंगी, कोयले और तेल के बड़े भंडार भी जो बहुत समय तक समाप्त न हो सकें, वहाँ पर मिल जायेंगे।”

“चूँकि पैलेस्टाइन की प्राचीन सीमाएं ‘मिस्र की नदी’ तक फैली हुई थीं इसलिये इसराइल अपने सहयोगियों की मदद से मिस्र में प्रवेश करने की चेष्टा करेगा, जो उनके इतिहास से प्राचीन समय से बहुत अधिक सम्बद्ध रहा है। यह घटना मुसलमानों में विरोध की भावना को भड़कायेगी और रूस की सहायता के बल पर टर्की पैलेस्टाइन पर फिर से अधिकार करने की कोशिश करेगा। इस युद्ध में जो ‘युद्धों का युद्ध’ होगा ईसाई और यहूदी कंधे से कंधा मिला कर लड़ेगा।”

इस उद्धरण में कीरो ने यहूदियों की पुनर्स्थापना तथा इसराइल राज्य की वृद्धि के विषय में जो कुछ कहा था वह पूरी तरह ठीक साबित हो रहा है। पैलेस्टाइन के एक भाग का शासनाधिकार यहूदियों को मिल गया और उन्होंने कुछ वर्षों में उसे प्रयत्न और साधनों से इतना विकसित बना दिया कि आस पास के मुसलमान देश सचमुच उससे द्वेष भाव रखने लगे और अन्त में उन्होंने मिलकर उसके खिलाफ युद्ध की घोषणा कर ही दी। आज यह तथ्य इतना स्पष्ट है कि अरब गणराज्य और इसराइल का संघर्ष होने पर समाचार पत्रों के लेखों में उसका कारण अरबों की यही द्वेष भावना बतलाई गई। 22 मई 1967 के ‘वीर अर्जुन’ में ‘मध्य पूर्व में क्या हो रहा है?’ शीर्षक लेख में कहा गया है :-

“यह तो है वर्तमान स्थिति, परन्तु इसे समझाने के लिये यह नितान्त आवश्यक है कि इसकी गहरी भूमिका में जाया जाए। असल में इस बात से कौन इन्कार कर सकता है कि अरबों को इसराइल की विद्यमानता फूटी आँखों नहीं भाती। वे उसका विनाश चाहते हैं। इसके लिये वे एक समय से दाव पेंच खेलते आ रहे हैं और यदि अब तक सफलता नहीं मिली तो इसलिये कि इसराइल कोई अशक्त, अकर्मण्य या भीरु देश नहीं है। वह हर दृष्टि से सशक्त है। उसकी जनता समृद्ध एवं सम्पन्न है। आर्थिक, सैन्य और वैज्ञानिक सभी क्षेत्रों में वह बड़े राष्ट्रों से टक्कर ले रहा है। वास्तव में उसने अपने जीवन के कुछेक वर्षों में ही ऐसे-ऐसे चमत्कार कर दिखाये हैं जिससे आश्चर्य होता है। उसकी जनता में जहाँ अपने धर्म के प्रति अगाध श्रद्धा और आस्था है वहाँ अपने देश और राष्ट्र के लिए जीवनोत्सर्ग करने की भावना भी बड़ी प्रबल है। यह बात अरब देशों के बारे में नहीं कही जा सकती। अरब स्वतः एक दूसरे से कटे हुये हैं और फिर वहाँ की जनता की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं। आर्थिक दृष्टि से तो वे पिछड़े हैं ही, विज्ञान तथा अन्य क्षेत्रों में भी उनकी उन्नति इसराइल की तुलना में नगण्य है। इससे उनमें इसराइल के प्रति जलन होना स्वाभाविक है। अतः वे इसे नष्ट करना चाहते है। और इसके लिये प्रारंभ से ही तैयारियाँ करते आ रहे हैं।”

जब हम इस बात पर विचार करते हैं कि यह संघर्ष कब तक निर्णायक स्वरूप ग्रहण कर लेगा तो कीरो की भविष्य वाणियों के अनुसार उसका समय निश्चित रूप से आगामी दस पाँच वर्षों में ही जान पड़ता है। यहूदियों के धर्म ग्रंथों उनके मुख्य परिवर्तनों (छ्वह्वड्ढद्बद्यद्गद्ग ष्टब्ष्द्यद्ग) का युग ‘सात बार सत्तर’ अथवा 490 वर्ष का बतलाया गया है। कीरो ने बाइबिल के ‘डैनियल’ अध्याय के आधार पर प्रति 490 वर्षों के बाद यहूदी इतिहास की एक-एक महान घटना का वर्णन करते हुये बतलाया कि सन् 1980 में यहूदी जाति बहुत उन्नत, शक्तिशाली और प्रमुख पद ग्रहण कर लेगी। इस सम्बन्ध में ‘वर्ल्ड प्रीडिक्शन’ में लिखा है :-

च्च्ढ्ढठ्ठ 1980, ह्लद्धद्ग द्भद्गख्ह्य, शह् ड्डह्य ह्लद्धद्गब् ख्द्बद्यद्य ड्डद्दड्डद्बठ्ठ ड्ढद्ग ष्ड्डद्यद्यद्गस्र ढ्ढह्यह्ड्डद्गद्यद्बह्लद्गह्य ख्द्बद्यद्य द्धड्डक्द्ग द्वड्डस्रद्ग द्गठ्ठशह्द्वशह्वह्य ह्यह्लह्द्बस्रद्गह्य द्बठ्ठ ख्द्गड्डद्यह्लद्ध, ख्शह्द्यस्र श्चशह्यद्बह्लद्बशठ्ठ ड्डठ्ठस्र श्चशख्द्गह्. ...क्चद्गद्धशह्द्ग ह्लद्धद्बह्य स्रद्गह्यद्बह्द्गस्र ह्लद्बद्वद्ग ष्ड्डठ्ठ स्रड्डख्ठ्ठ ह्लद्धद्ग द्दह्द्गड्डह्ल ्नह्द्वड्डद्दद्गस्रस्रशद्व द्वह्वह्यह्ल ड्ढद्ग द्धशह्वद्दद्धह्ल.ज्ज्

“सन् 1980 में यहूदी अथवा उस समय वे जिस नाम से वह प्रसिद्ध होंगे, ‘इसराइल’ जाति के लोग सम्पत्ति, सांसारिक दर्जा और शक्ति में बहुत तरक्की कर चुके होंगे, पर इस इच्छित अवसर के आने से पहले ‘आरमागड्डन’ का महान युद्ध अवश्य लड़ा जायगा।”

एक नया धर्मः-

कीरो ने विश्व युद्ध की भविष्यवाणी की है कि आगामी युग में मजदूरों की प्रधानता होगी और ‘कम्यूनिज्म’ का सिद्धान्त ही उस युग का ‘धर्म’ बन जायगा। यह सिद्धान्त वर्तमान मजहबों से बहुत अधिक भिन्न है और इसका उद्देश्य यह है कि संसार में से गरीब-अमीर का भेद मिट जाय, कोई व्यक्ति बहुत अधिक धनवान या जायदाद, कारखानों, जमींदारी आदि का मालिक न रहे और राजा, बादशाह, सरदार, रईस आदि का नाम ही मिट जाय। इसका वर्णन करते हुए लिखा हैं-

च्च्ष्ठह्वह्द्बठ्ठद्द ह्लद्धद्ग ष्शद्वद्बठ्ठद्द ब्द्गड्डह्ह्य ह्लद्धद्ग द्बठ्ठद्धद्यह्वद्गठ्ठष्द्ग शद्ध ष्टशद्वद्वह्वठ्ठद्बह्यद्व ख्द्बद्यद्य ह्यश्चह्द्गड्डस्र द्यद्बद्मद्ग ड्डठ्ठ द्बठ्ठद्धद्गष्ह्लद्बक्द्ग द्धद्गक्द्गह् ह्लद्धह्शह्वद्दद्ध ड्डद्यद्य ष्शह्वठ्ठह्लह्द्बद्गह्य, ह्लद्धद्ग द्वशह्यह्ल द्धड्डठ्ठह्लड्डह्यह्लद्बष् स्रशष्ह्लह्द्बठ्ठद्गह्य ख्द्बद्यद्य ड्ढद्ग शश्चद्गठ्ठद्यब् श्चह्द्गड्डष्द्धद्गस्र ड्डठ्ठस्र ड्डड्ढह्यशह्ड्ढद्गस्र ड्ढब् ड्डद्यद्य ष्द्यड्डह्यह्यद्गह्य. क्रद्बष्द्ध द्वड्डठ्ठ ख्द्बद्यद्य द्दद्बक्द्ग ड्डख्ड्डब् ह्लद्धष्द्बह् ख्द्गड्डद्यह्लद्ध ड्डठ्ठस्र ख्शह्द्मद्गह्ह्य ख्द्बद्यद्य स्रद्बष्ह्लड्डह्लद्ग ह्लश द्मद्बठ्ठद्दह्य. स्शठ्ठह्य ड्डठ्ठस्र स्रड्डह्वद्दद्धह्लद्गह्ह्य शद्ध द्धद्बद्दद्धद्गह्यह्ल ख्द्बद्यद्य ड्ढद्गष्शद्वद्ग ह्यशष्द्बड्डद्यद्बह्यह्लह्य ड्डठ्ठस्र ह्लद्धद्ग द्यड्डठ्ठस्र ह्लद्धद्गब् द्बठ्ठद्धद्गह्द्बह्ल ह्लद्धद्गब् ख्द्बद्यद्य द्दद्बक्द्ग ह्लश ह्लद्धद्ग श्चद्गशश्चद्यद्ग. श्वक्द्गठ्ठ ह्लद्धद्ग ष्द्धह्वह्ष्द्ध ख्द्बद्यद्य द्धड्डक्द्ग ह्द्गक्शद्यह्वह्लद्बशठ्ठ ख्द्बद्यद्य द्बह्लह्यद्गद्यद्ध द्धह्शद्व ड्डद्यद्य श्चह्वद्यश्चद्बह्लह्य.ज्ज्

“अगले वर्षों में कम्यूनिज्म (साम्यवाद ) का प्रभाव समस्त देशों में एक संक्रामक ज्वर की तरह फैल जायगा। दुनिया में बड़े-बड़े विचित्र सिद्धान्तों का प्रचार खुले तौर पर किया जायगा और सब श्रेणियों के व्यक्ति उनको मान लेंगे। अमीर लोग खुशी से अपनी धन-सम्पत्ति को त्याग देंगे और गरीब बन जाएंगे। बादशाह मजदूरों के साथ बैठ कर रोटी खायेंगे और मजदूर बादशाहों पर हुक्म चलायेंगे। बड़े-बड़े लोगों के पुत्र और पुत्रियाँ साम्यवादी बन जाएंगे, अपने बाप-दादों से प्राप्त जमीन जायदाद को जनता में बाँट देंगे। ईसाई धर्म में भी बड़ी क्राँति हो जायगी और धर्म मंच से बड़े अजीब सिद्धान्तों का प्रचार किया जाने लगेगा।”

आज संसार भर में और हमारे देश में भी मजदूर आन्दोलन जिस गति से फैलता जाता है और शक्तिशाली बन रहा है उसे देखकर ‘कीरो’ के कथन की सत्यता में कोई सन्देह नहीं कर सकता। उसने जिस समय कम्यूनिज्म की सफलता की यह भविष्यवाणी लिखी थी उस समय यद्यपि रूस की बोलशेविक क्राँति हो चुकी थी और कम्यूनिस्ट शासन की नींव पड़ चुकी थी, तो भी उसकी नैया भँवरों में पड़ी हुई थी और किसी भी समय अतल जल में डूब सकती थी। पर कीरो ने अनुभव किया कि यह परिवर्तन युग के अनुकूल है, कुम्भ-युग का लक्षण दबे हुओं को उभारना है, वह अवश्य ही रत्नजटित मुकुटों और स्वर्ण सिंहासनों को मिटा कर सबको समानता के फर्श पर ला बिठायेगा। इसलिये उसने निःसंकोच भाव से संसार में समाजवादी शासन के आगमन की घोषणा कर दी। इसका अर्थ यह नहीं कि वह कम्यूनिज्म या समाज वाद का अनुयायी था। इसके विपरित जहाँ तक हमको उसके लेखों से पता चलता है वह स्वयं भी वर्तमान समय की ‘उच्चश्रेणी’ वालों से संबंधित था, उनके समान ही वैभवयुक्त जीवन व्यतीत करता था, पर उसे अपने ज्योतिष ज्ञान द्वारा जो प्रतीत हुआ उसे प्रकट कर देना उसने अपना कर्तव्य समझा। फिर भी उसने यह आशा प्रकट की है कि यह पूँजीवाद और साम्यवाद की कलह थोड़े दिनों की है। जब एक बार पूरी तरह संघर्ष होकर शाँति हो जायगी तो स्वभावतः ऐसी सामाजिक प्रणाली का प्रचार होगा, जो किसी के विरुद्ध न होकर सबके विकास और प्रगति में सहायक सिद्ध होगी।

यह कहने की आवश्यकता नहीं कि ‘कीरो’ ने अब से 42 वर्ष जो भविष्यवाणी की थी वह आज अक्षरशः ठीक साबित हो, यह सम्भव नहीं। यह बात केवल कीरो के विषय में ही नहीं प्रत्येक भविष्यवक्ता के सम्बन्ध में कहनी पड़ती है। इसका कारण यही है कि कोई भविष्य वक्ता इतने समय पहले दिव्य-दर्शन के रूप में जो कुछ देखता है, बीच में उस पर किन्हीं नवीन विशेष शक्तियों का प्रभाव पड़ जाता है और उनमें कुछ परिवर्तन होता जान पड़ता है। उदाहरण के लिए कीरो ने इसराइल का विरोध करने वालों का मुखिया टर्की को लिखा पर अब वह कार्य मिस्र के द्वारा पूरा हो रहा है। पहले तो मिस्र एक प्रकार से टर्की के एक प्रदेश की तरह ही था और अब से 40-50 वर्ष पहले भी वह टर्की के नेतृत्व के नीचे ही था। पर इधर नासर का उदय होने से मिस्र का दर्जा बढ़ गया और वही नेता के रूप में सामने आया। पर इससे यहूदियों के सम्बन्ध में बाइबिल की प्राचीन भविष्यवाणी में कोई अन्तर नहीं पड़ता।

यही बात भारत सम्बन्धी भविष्यवाणी की है। कीरो ने लिखा है अन्तिम विश्वयुद्ध के अवसर पर अंग्रेज भारत को स्वतंत्र कर देंगे, वह मुसलमानों और हिन्दुओं के बीच दो भागों में बँट जायगा। पर जो कार्य 1965 से 1975 के बीच होने को था, वह महात्मा गाँधी की आत्म शक्ति और द्वितीय महासमर में अंग्रेजों के निर्बल हो जाने से 25 वर्ष पूर्व ही हो गया। इस प्रकार समय में अन्तर पड़ जाने पर भी कीरो ने भारत के बँटवारे की जो बात 22 वर्ष पूर्व लिख दी उसका महत्व स्वीकार करना ही चाहिए।

कीरो की मुख्य भविष्यवाणी तो यही है कि सन् 1980 से पहले यहूदियों के अस्तित्व के आधार पर एक महाभयंकर विश्वयुद्ध हो जायगा और उसके बाद एक नवयुग प्रारम्भ होगा, जिसमें सबके साथ सहानुभूति और मानवता का व्यवहार किया जायगा।


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