‘गायत्री’ महामंत्र से लाभ उठाने के लिए

November 1955

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गायत्री महामन्त्र से लाभ उठाने के लिये यह आवश्यक है कि गायत्री विद्या का पूरा परिचय एवं विधान भली प्रकार सीख लिया जाय। अधूरी जानकारी का परिणाम अधूरा ही होता है। साइन्स, डाक्टरी, इंजीनियरिंग, कानून, रसायन, शिल्प आदि की भांति गायत्री भी एक महत्वपूर्ण विद्या है, जिसकी पूरी जानकारी प्राप्त करके ही पूरा लाभ उठाया जाना सम्भव है।

हजारों ग्रन्थों की खोज, अगणित गायत्री उपासकों एवं सिद्ध पुरुषों के सहयोग तथा दीर्घ कालीन अनुभवों के आधार पर जो ज्ञान एकत्रित किया गया है, उसको पुस्तक रूप में प्रकाशित कर दिया है। इनमें उन सभी प्रश्नों का उत्तर, शंकाओं का समाधान तथा विभिन्न प्रयोजनों के लिए गायत्री प्रयोगों का पूरा वर्णन है। इन्हें पढ़ने के बाद कोई बात पूछनी हो तो जवाबी पत्र देकर प्रसन्नता पूर्वक पूछी जा सकती है। स्मरण रहे- साधारण पत्र की 10-10 पंक्तियों में किन्हीं साधनाओं का पूरा विधान या विज्ञान बताया जाना सम्भव नहीं। संक्षिप्त और अधूरे उत्तरों से जिज्ञासुओं का ठीक प्रकार समाधान नहीं होता। इसलिए कोई पूछ ताछ करने से पहले गायत्री महाविज्ञान आदि ग्रन्थों को पढ़ना आवश्यक है। जो सज्जन इन पुस्तकों को मंगा लेते हैं वे गायत्री परिवार के सदस्य माने जाते हैं और उनकी उन्नति के लिए समय पर अनेक आवश्यक बातें एवं सूचनाएं इधर से ही भेजी जाती रहती हैं।

(1) गायत्री महाविज्ञान (प्रथम भाग) मू. 3।।)

विषय- गायत्री विद्या का वैज्ञानिक परिचय, तथ्य तथा मूल आधार, साधना द्वारा गुप्त 24 शक्तियों का जागरण, अनेक शक्तियों का आविर्भाव, वेद शास्त्रों तथा महापुरुषों द्वारा गायत्री का गुणगान अनेकों के अनुभव, गायत्री का शाप मोचन और उत्कीलन, यज्ञोपवीत और गायत्री का सम्बन्ध, निष्काम और सकाम साधना, गायत्री साधना के नौ रत्न, अत्यन्त आवश्यक नियम, गायत्री द्वारा सन्ध्या वंदन, प्राणायाम ध्यान, अनुष्ठान, हवन तथा तपश्चर्या की विस्तृत विधियां, अनेक प्रयोजनों के लिए गायक के अनेक प्रयोग, स्त्रियों की पृथक साधनाएं, मन्त्र का अथ, माता का साक्षात्कार, साधन में प्रकट होने वाली दस विशेषताएं गायत्री द्वारा, वाममार्गी भयंकर तांत्रिक साधनाएं, कुण्डलिनी जागरण का विस्तृत विधान आदि।

(2) गायत्री महाविज्ञान (द्वितीय भग) मू. 3।।)

विषय- गायत्री विद्या सम्बन्धी छोटे-छोटे किन्तु बड़े ही महत्वपूर्ण रत्नों का संस्कृत श्लोक और हिन्दी अर्थों समेत संग्रह है। गायत्री महात्म्य, गायत्री गीता, गायत्री स्मृति, गायत्री उपनिषद्, गायत्री तन्त्र, गायत्री अभिचार, 24 गायत्री, गायत्री पुरश्चरण, गायत्री सहस्रनाम, गायत्री स्तोत्र, गायत्री लहरी आदि के इस संग्रह को गागर में सागर कहा जा सकता है।

(3) गायत्री महाविज्ञान (तृतीय भाग) मू. 3।।)

विषय- गायत्री द्वारा 24 प्रकार की महत्वपूर्ण एवं चमत्कारी योग-साधना का विस्तृत वर्णन है। गायत्री के पांच मुख तथा दस भुजाओं का रहस्य, स्थूल सूक्ष्म कारण शरीरों का परिचय, अन्नमय, मनोमय, विज्ञानमय आदि पंच कोषों की साधना, हठ योग, राजयोग, लययोग, नादयोग, ऋजु योग, प्राण योग, शब्द योग, स्वर योग की विधियां। बन्ध, मुद्रा, पंच तन्मात्रा ग्रन्थिभेदन, पंचीकरण, भूत शुद्धि, समाधि, तुरीयावस्था, आत्म दर्शन सोऽह का अजपा जाप, तन्त्र तथा वाममार्ग, मनोनिग्रह मैस्मरेजम की वेधक दृष्टि, गायत्री द्वारा अनेक सिद्धियों की साधना का विधिवत् विधान इस पुस्तक में है। इसे योग विद्या का अद्वितीय ग्रन्थ ही समझना चाहिये।

(4) गायत्री के प्रत्यक्ष चमत्कार मू. 3।।)

विषय- अनेकों साधकों को, अपनी-अपनी साधना में हुए अनुभवों का उन्हीं की लेखनी से वर्णन इस पुस्तक में है। किन व्यक्तियों को किस-किस गायत्री साधना से किस प्रकार क्या अद्भुत लाभ प्राप्त हुए निराशा एवं असफलता के अन्धकारपूर्ण वातावरण को पलटकर किस प्रकार आशा और सफलता के प्रकाश उपलब्ध हुए इसके सैकड़ों सचित्र उदाहरण इस पुस्तक में छपे हैं।

(5) गायत्री यज्ञ विधान-मू. 3)

यज्ञ का रहस्य, विज्ञान, विधान, विवेचन, कारण, हेतु, महत्व आदि को पूरे विस्तार एवं प्रमाणों के साथ समझाया गया है। गायत्री के छोटे होम, बड़े यज्ञ, विशेष विधियों और विवेचनाओं एवं मन्त्रों के साथ विस्तारपूर्वक समझाये गये हैं। इस पुस्तक के आधार का पूर्ण शास्त्रोक्त विधि-विधान का यज्ञ कोई भी व्यक्ति बड़ी आसानी से कर सकता है और देव शक्तियों द्वारा अनेक सहायताएँ प्राप्त कर सकता है।

(6) गायत्री शिक्षा-मु0 2)

विषय-गायत्री के 24 अक्षरों में 24 महान सिद्धाँत छिपे हुए हैं। उनको समझाने के लिये 24 श्लोक, 24 लेख, 24 भावपूर्ण कविताएँ तथा 26 आर्ट पेपर पर छपे हुए कलात्मक तिरंगे चित्र हैं। पुस्तक बड़ी ही शिक्षाप्रद तथा प्रभावोत्पादक है।

(7) गायत्री चित्रावली- मू. 1)

विषय- विविध प्रयोजनों के लिए गायत्री के विविध विधानों के लिए आर्ट पेपर पर छपे हुए 24 तिरंगे चित्र तथा उनका परा परिचय।

(8) गायत्री का मन्त्रार्थ-मू. 1)

विषय-गायत्री के एक-एक अक्षर की विस्तृत शास्त्रियों द्वारा व्याख्या तथा अनेक ऋषियों के अनेक सार से किये हुए अर्थों का संग्रह। राक्षस-राज रावण गायत्री-व्यवस्था भी इसमें है।

‘अखण्ड-ज्योति’-यह गायत्री संस्था की पत्रिका है। यह गत 24 वर्ष से निरन्तर प्रकाशित रही है। ग्राहक-संख्या की दृष्टि में कल्याण के बाद धार्मिक पत्रों में ‘अखण्ड-ज्योति’ का दूसरा नम्बर है। उसकी उपयोगिता तथा सस्तेपन की सर्वत्र भूरि-भूरि प्रशंसा हो रही है। इसमें हर महीने गायत्री सम्बन्धी लेख रंगीन चित्र तथा समय-समय पर गायत्री उपासना सम्बन्धी आवश्यक सूचनाएँ, विज्ञप्तियाँ तथा जानकारियां प्रकाशित होती रहती है।,

समाज-विज्ञान, नीति, धर्म, स्वास्थ्य, मनोविज्ञान, दर्शन-शास्त्र, साधना, अध्यात्म, संस्कृति, शिक्षा आदि अनेक समस्याओं पर परिमार्जित दृष्टिकोण से लिखे हुए उच्चकोटि के लेख हर महीने इस पत्रिका में छपते हैं, जिन्हें पढ़कर घर बैठे उच्चकोटि के आध्यात्मिक सत्संग का लाभ उठाया जा सकता है।

आचार्य जी से, अखण्ड-ज्योति परिवार के अनेक अनुभवी विज्ञ पुरुषों से तथा गायत्री संस्था आध्यात्मिक केन्द्र से जिनकी किसी प्रकार का सम्बन्ध रखने की इच्छा है, उन्हें ‘अखण्ड-ज्योति’ का पाठक रहना आवश्यक है। यही सम्बन्ध सूत्र हैं, जो पाठकों को इस आध्यात्मिक केन्द्र से जोड़े रहता है, पथ -प्रदर्शन और प्रकाश देता है। यदि यह सम्बन्ध-सूत्र टूटा रहे, अखण्ड ज्योति द्वारा प्रकाशित प्रकाश एवं सन्देश प्राप्त न होते रहें, तो फिर लाभ को उठा सकने की कोई सम्भावना नहीं रहती , जो इस परिवार के सदस्य रहने पर मिलना सम्भव है।

यदि आप अब तक ‘अखण्ड-ज्योति’ के ग्राहक नहीं बने है, तो आज ही 2।।) भेज कर ग्राहक बन जाइये। यदि आप ग्राहक हैं तो और नये सदस्य बढ़ाने का प्रयत्न कीजिये।

छोटा सैट उपरोक्त पुस्तकों के कुछ स्थलों का संक्षिप्त सारांश लेकर यह पुस्तकें भी छापी है

(1) गायत्री ही कामधेनु है।

(2) गायत्री का वैज्ञानिक आधार

(3) वेद शास्त्रों का निचोड़ गायत्री

(4) गायत्री की सर्व सुलभ साधनाएँ

(5) अनादि गुरुमंत्र गायत्री

(6) सचित्र गायत्री

(7) गायत्री के 14 रत्न (प्रथम भाग)

(8) गायत्री के 14 रत्न (द्वितीय भाग)

(9) विपत्ति निवारिणी गायत्री

(10)स्त्रियों का गायत्री अधिकार

(11) गायत्री सहस्रनाम पाठ

(12) गायत्री हवन विधि

(13) गायत्री चालीसा

(14) गायत्री का तिरंगा चित्र

मूल्य में कमी के लिये लिखना बिलकुल व्यर्थ है। हाँ 6) से अधिक मूल्य की पुस्तकें लेने पर डाक खर्च अपना लगा दिया जाता है। 3) से कम मूल्य करें वी0पी0 नहीं भेजी जाती । 3) की पुस्तकों पर करीब) पोस्टेज लगता है।

पता-‘अखण्ड ज्योति’ प्रेस, मथुरा।


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