वेदों के स्वर्ण सूत्र

September 1953

Read Scan Version
<<   |   <  | |   >   |   >>

“स नः पर्षद अतिद्विषः”

अथर्ववेद 6। 34। 1

हे ईश्वर! हमें द्वेषों से पृथक कर दे।

“भद्रं कर्णेभिः श्रृणुयाम”

यजुर्वेद 25। 21

हम कानों से सदा भद्र मंगलकारी वचन ही सुनें।

“एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति”

ऋग्वेद 1।164। 46

उस एक प्रभु को विद्वान लोग अनेक नामों से पुकारते हैं।

“तमेव विद्वान विभाय मृत्योः”

अथर्ववेद 10। 8। 44

आत्मा को जानने पर मनुष्य मृत्यु से नहीं डरता।

“अग्निर्मेघाँ दधातु मे”

अथर्ववेद 1। 943। 1

परमात्मा देव भुक्त में सर्वश्रेष्ठ बुद्धि को धारण करावें।

“अनुव्रतः पितुः पुत्रों”

अथर्ववेद 3। 30। 2


<<   |   <  | |   >   |   >>

Write Your Comments Here: