सफलता के मणि मुक्तकों की प्राप्ति

October 1973

Read Scan Version
<<   |   <  | |   >   |   >>

सफलता के मणि मुक्तक धूलि में बिखरे नहीं पड़े हैं। उन्हें पाना है तो गहरे उतरने की हिम्मत इकट्ठी करो। कठोर परिश्रम के लिए शपथ ग्रहण करो। कठोर, दमतोड़ और टपकते स्वेद कणों वाला परिश्रम ही जीवन का महान पुरस्कार है। इसी के फलस्वरूप सफलताओं और विभूतियों को पाया जा सकता है।

सुअवसरों की प्रतीक्षा में न बैठे रहो। उद्यम के लिए हर घड़ी शुभ मुहूर्त है और हर पल सुअवसर। सस्ती सफलता के फेर में पड़े रहने से कुछ लाभ नहीं। चिरस्थायी प्रगति के लिए राजमार्ग पर अनवरत परिश्रम और अपराजेय साहस साथ लेकर चलना पड़ता है। पगडण्डियाँ ढूँढ़ना बेकार है। वे भटका सकती हैं। जिनने भी कुछ कहने लायक सफलता पाई है उन्हें गहराई तक खोदने और उतरने के लिए कटिबद्ध होना पड़ा है। विजय श्री का वरण करने के लिए कमर कसना - आस्तीन चढ़ाना और खोदना आवश्यक है पर ध्यान यह भी रखना चाहिए कि कहीं कुदाली से पैर ही न कट जाय।

परिस्थितियाँ, साधन, क्षमता का समन्वय करना समझदारी है पर सफलता केवल समझदारी पर हो तो निर्भर नहीं है उसका मूल्य माथे से टपकने वाले श्रम सीकरों से ही चुकाना पड़ता है।


<<   |   <  | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles