“मैं भूखा था, तूने खाना दिया। मैं प्यासा था तूने पानी दिया मैं निराश्रित था, तुमने स्िन दिया। मैं नंगा था, तूने कपड़े पहनाये। मैं बीमार था तुमने सेवा की। मैं संकटों में जकड़ा पड़ा था तुमने मुझे सहायता पहुँचाई-चलो मेरे स्वर्ग में।”
धर्मात्माओं ने पूछा-‘हमने कब आपको भोजन, पानी ? आश्रय,वस्त्र आदि दिये और कब सेवा, सहायता की?’
ईशु ने उत्तर दिया- मैं तुमसे सच कहता हूँ-जो कुछ दीन-दुःखियों के लिए किया गया है वह मेरे ही लिए है।- बाइबिल