वंदनीया माताजी के आशीर्वाद से ३ दिसम्बर १९९२ को मेरे छोटे भाई बैजनाथ
की शादी कलकत्ता आवास पर निश्चित हुई। शादी की तैयारी बड़े जोर-
शोर से चल रही थी। घर में हँसी- खुशी का माहौल था। विवाह के १८ दिन पहले १५ नवम्बर ९२ को सबसे छोटे भाई रामनाथ को चिरकुण्डा स्थित फैक्ट्री के अन्दर दिन में २ बजे किसी अज्ञात व्यक्ति ने गोली मार दी। गोली लगने के बावजूद रामनाथ स्वयं पेट में गमछा बाँधकर स्कूटर चलाकर १
किलोमीटर पर स्थित एक प्राइवेट नर्सिंग होम पहुँचे थे लेकिन
वहाँ उपचार की समुचित सुविधा न होने पर भाइयों द्वारा उन्हें
अस्पताल धनबाद ले जाया गया।
माताजी गुरुदेव की कृपा थी, जिसके कारण रविवार अवकाश होने पर
भी सभी डॉक्टर अस्पताल में मौजूद थे। डॉक्टरों ने केस की
गम्भीरता से हमारे पिताजी श्री राम प्रसाद जायसवाल को अवगत कराया तथा न बचने की बात कही।
डॉक्टर की बात सुनकर सभी लोग बहुत परेशान हो उठे। लेकिन मेरे
पिताजी को वंदनीया माताजी के आशीर्वाद पर पूरा भरोसा था। इसलिए
डॉक्टर से ऑपरेशन करने को कह दिया। डॉक्टरों ने ऑपरेशन शुरू
किया। इधर हम सभी लोग बैठकर माताजी से प्रार्थना करने लगे। मन
में बार- बार भाव उठता, कुछ भी हो जाए माताजी ने घर में मांगलिक
कार्यक्रम के लिए आशीर्वाद दिया है तो अमंगल कैसे हो सकता है?
हम सभी के मन में यही भाव थे कि माताजी अवश्य ही अपना
आशीर्वाद फलीभूत करेंगी।
हम सभी बैठकर माताजी का ध्यान कर मन ही मन गायत्री मंत्र जप कर रहे थे। करीब ४
घंटे के अथक प्रयास के बाद गोली निकाली जा सकी। सभी डॉक्टर
बहुत अचंभित थे। डॉक्टरों ने मेरे पिताजी को बधाई देते हुए कहा
कि इस ऑपरेशन में किसी अदृश्य शक्ति का संरक्षण मिल रहा था।
इतने दुरूह ऑपरेशन के लिए काफी अधिक दक्षता की जरूरत थी। डॉक्टर
साहब ने कहा कि गोली पेट को चीरते हुए किडनी के रास्ते रीढ़
की हड्डी में जा घुसी थी, जिसे निकालना आसानी से संभव नहीं था,
लेकिन किसी अदृश्य शक्ति ने उस काम को बहुत आसानी से सम्पन्न
करा दिया। इसके पश्चात् शक्तिपीठ से वन्दनीया माताजी द्वारा
अभिमंत्रित जल की एक बूँद मुँह में डालने के ठीक दो घंटे बाद रामनाथ को होश आ गया। गुरु कृपा से मात्र १८
दिन में ही सारे उपचार हो गए। विवाह में उसे देखकर लोगों को
विश्वास नहीं हो रहा था कि जो लड़का विवाह की सारी व्यवस्था देख
रहा है, उसे ही गोली लगी थी।
इस प्रकार माताजी के आशीर्वाद से घर में अमंगल भी मांगलिक कार्य में विघ्न नहीं डाल सका।
प्रस्तुति :- विश्वासनाथ प्रसाद जायसवाल
चिरकुंडा, धनबाद (झारखण्ड)