आपत्तियों में धैर्य

कठिनाइयों द्वारा आध्यात्मिक विकास

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मनुष्य का आध्यात्मिक विकास सदा कठिनाइयों से लड़ते रहने से होता है । जो व्यक्ति जितना ही कठिनाइयों से भागता है, वह उतना ही अपने आप को निकम्मा बनाता है और जो उन्हें जितना ही आमंत्रित करता है, वह अपने आप को उतना ही योग्य बनाता है । मनुष्य जीवन की सफलता उसकी इच्छाशक्ति के बल पर निर्भर करती है । जो व्यक्ति जितना ही यह बल रखता है वह जीवन में उतना ही सफल होता है । इच्छाशक्ति का बल बढ़ाने के लिए सदा कठिनाइयों से लड़ते रहना आवश्यक है ।

जिस व्यक्ति को कठिनाइयों से लड़ने का अभ्यास रहता है वह नई कठिनाइयों के सामने आने से भयभीत नहीं होता, वह उनका जमकर सामना करता है । कायरता की मनोवृत्ति ही मनुष्य के लिए अधिक दुःखों का कारण होती है । शूरवीर की मनोवृत्ति ही दुःखों का अंत करती है । निर्बल मन का व्यक्ति सदा अभद्र कल्पनाएँ अपने मन में लाता है । उसके मन में भली कल्पनाएँ नहीं आतीं । वह अपने आप को चारों ओर से आपत्तियों से घिरा पाता है । अतएव अपने जीवन को सुखी बनाने का सर्वोत्तम उपाय कठिनाइयों से लड़ने के लिए सदा तत्पर रहना ही है ।
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