व्यक्तित्व निर्माण युवा शिविर - 1

शिविर की प्रयाज प्रक्रिया (आयोजकों द्वारा)

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7. यदि युवतियों हेतु नारी जागरण परिवार निर्माण विषय रखें तो उसी समय पर युवाओं को श्रमदान कराया जाए। श्रमदान के नियोजन, उपकरण की व्यवस्था पूर्व में ही बना लिया जाए।

8. व्याख्यान शिक्षण हेतु विषय का चयन, शिविरार्थीयों की शिक्षा का स्तर, स्थान एवं समय का अनुरूप हो। एक दिन में योग की कक्षा के पश्चात भोजन अवकांश के पूर्व अधिकतम दो बौद्धिक हो। भोजन पश्चात के सत्र में हल्के और प्रायोगिक विषय हों। संध्या 7 बजे के बाद कोई गरिष्ठ विषय न रखकर मनोरंजक खेल/गोष्ठी/अनौपचारिक चर्चा, सांस्कृतिक कार्यक्रम/वीडियो संन्देश आदि रखा जाए।

9. प्रत्येक कक्षा डेढ़ घंटे की हो, जिसमें आरम्भ के 10 मिनट संगीत तथा अन्तिम 15 मिनट प्रश्नोत्तरी हेतु सुरक्षित हो। दो कक्षओं के बीच 20-30 मिनट का लघु अवकाश हो। दोपहर कालीन भोजन अवकाश व विश्राम का समय 2.30 घंटा पर्याप्त है। यथासम्भव इससे कम भी न हो।

10. संगीत विषय के अनुरुप हो एवं समय पर सम्पन्न हो। संगीत के नाम से अनावश्यक रूप से कक्षा प्रभावित न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाए।

11. अतिथियों को उद्घाटन या समापन के समय पर ही आमन्त्रित करना अधिक उपयुक्त होता है। निर्धारित कक्षा के समय पर बाहरी अतिथियों का भाषण होने पर उस विषय की भरपाई के लिए अतिरिक्त समय उपलब्ध नहीं हो पाता तथा दूसरी ओर अधिकतर अतिथि द्वारा उन्हीं बातों को (अनजाने में) दुहराया जाता है जिसे पूर्व के वक्ता अपनी निर्धारित कक्षा में प्रस्तुत कर चुक होते हैं इसस उबाउपन की स्थिति आती है। इस तरह दुहरा नुकसान होता है।

12. शिविर हेतु छपने वाले पाम्पलेट में शिविर की सूचना व नियमों के साथ सम्पूर्ण शिविर अवधि में सम्पन्न होने वाले कार्यक्रम की समय सारिणी (प्रात: से सायं तक) स्पष्ट हो एवं विषय का उल्लेख भी हो। (प्रारुप संलग्न है)

(7) भोजन व्यवस्था सम्बन्धी जानकारी....।
(8) अर्थ व्यवस्था पर विचार....।

(9) शिविर संचालन के क्रम में काम आने वाली आवश्यक सामग्री की सूची दे दें:-
शिविर संचालन के क्रम में काम में आने वाली आवश्यक सामग्री-

1. शिविरार्थी तैयार करने एवं शिविर के प्रचार हेतु पाम्पलेट-1000 प्रतियाँ। (प्रारूप संलग्र है।)
2. शिविरार्थीयों के पंजीयन हेतु ‘‘भागीदारी संकल्प पत्र’’-350 प्रतियाँ। (प्रारूप संलग्र है।)
3. ‘युवा जागरण संकल्प पत्र’ 25 प्रतियाँ। (प्रारूप संलग्र है।)
4. सत्प्रवृत्ति संवर्धन एवं दुष्प्रवृत्ति उन्मूलन संकल्प पत्र- 200 प्रतियाँ। (प्रारूप संलग्र है।)
5. शिविरार्थीयों हेतु परिचय पत्र (कार्ड) एवं सेफ्टीपिन-200 नग। (कार्ड का प्रारूप संलग्र है।)
6. वितरण हेतु प्रमाण पत्र- यह जोन कार्यलय से मिलेगा।
7. शिविर के सभागार को सजाने के लिए प्रदर्शनी के फ्लैक्स या सद्वाक्य आदि।
8. कार्यक्रम का मुख्य बैनर (मंच हेतु) 1 नगा (प्रारुप पृष्ठ 12 पर)।
9. स्वालम्बन की कक्षा में वस्तु निर्माण के प्रशिक्षण हेतु सामग्री। (सूची पृष्ठ 12 पर)।
10. एक बड़ा ब्लैक बोर्ड (लकड़ी का), चॉक, डस्टर।
11. आवास हेतु पर्याप्त व्यवस्थएँ यथा- शौच जाने हेतु लोटा, दरी, पेयजल व्यवस्था, झाडू, कूडादान।
12. सभागार की नित्य सफाई के लिए बड़े झाडू-4 नग, एवं कूडादान-2।
13. व्यसन मुक्ति रैली हेतु आवश्यकताएँ। (सूची पृष्ठ 12 पर)।
14. पौध शाला निर्माण के प्रशिक्षण हेतु-भुरभुरी व सूखी काली मिट्टी एक तसला, गोबर खाद सूखा एक तसला, रेत एक तसला, बड़ी पलिथीन मोटा-10 नग, पीपल के 5 एवं नीम के 5 छोटे पौधे।
15. श्रमदान हेतु- झाडू, फावड़ा, तसला, बाल्टी आदि पर्याप्त संख्या में।
16. प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण हेतु- गौमूत्र 1 लीटर पुराना, ताजा गोबर 1 कि.ग्रा., बेसर 1 पाव, पुराना गुड़ 1 पाव, पीपल पेड़ के जड़ की मिट्टी 100 gm, प्लास्टिक की बड़ी बाल्टी, पानी 20 लीटर, घोलने हेतु बड़ा लकड़ी।
17. मिशन की गीतों, युवा जागरण, नादयोग व ध्यान साधना की सी.ड़ी. कैसेट।
18. बाल संस्कार शाला के प्रशिक्षण के समय आवश्यक सामग्रियाँ। (सूची पृष्ठ 12 पर)
19. विक्रय हेतु साहित्य स्टॉल।

(स) बैठक में सम्मिलित किए जाने वाले चर्चा के बिन्दु:-

(1) शिविर उद्देश्य एवं लाभ (उदाहरण सहित) समझाए।
(2) शिविरार्थीयों हेतु आवश्यक नियम (शिविरार्थी कौन होंगे, शिविर में भाग लेने के नियम क्या होंगे आदि)।
(3) शिविरार्थीयों को तैयार करने की पद्धति:-
शिविरार्थीयों व उनके पालकों से हमारे कार्यकर्ता व्यक्तिगत सम्पर्क करें एवं सर्वप्रथम पम्पलेट में उल्लेखित विषयों यथा- योग कक्षा, ब्रह्मचर्य साधना, व्यक्तित्व निर्माण के सूत्र (over Confidence  ) व्यसन मुक्ति रैली, खेलकूद मनोरंजन आदि का जिक्र करते हुए बताए कि-

    ‘‘ऐसे शिविरों में सैकड़ों रूपये फीस देकर लोग जाते हैं। परन्तु आपको लगभग मुफ्त में ही ऐसे आध्यात्मिक पिकनिक में भागी करने तथा योग जैसे विषय में मास्टर बन जाने का अवसर मिल रहा है। शिविर में जो जीवन विद्या सिखाई जाएगी, उसे किसी भी विद्यालय, महाविद्यालय के कोचिंग इंस्टीट्यूट में मोटी फीस देकर भी नहीं सीखी जा सकती। केवल पढ़ लेखकर डिग्री ले लेना या सीख लेना ही पर्याप्त नहीं है। जीवन को सही तरीके से जीने और अपनी समस्याओं के समाधान के लिए स्वयं समर्थ बनने के प्रशिक्षण भी जरूरी है। खासकर युवाओं में इस विषय की समझ विकसित होने से उनके जीवन में चमत्कारिक मोड़ आ जाते हैं। उनका कार्यकल्प हो जाता है। इस बात की गारंटी है कि आपको शिविर में न तो बोरियत होगी न ही समय की बर्बाद लगेगी। बल्कि शिविर समापन के दिन आपको लगेगा कि इसकी अवधि कुछ दिन और बढ़ा दी जाती तो अच्छा होता। आप इस बात को स्वयं महसूस करेंगे। अत:इस आध्यात्मिक पिकनिक जैसे-अद्धत कार्यक्रम में जरूर भागीदारी बनें।’’

    यदि युवा-युवतियाँ उपरोक्त बातों से सहमत होते हैं, तो उनका पंजीयन (निर्धारित प्रपन्न में) कर लें। इस कार्य के लिए युवा युवतियों से एक से अधिक बार सम्पर्क करना होगा। शिविरार्थी कवल अपने परिचितों की प्रेरणा से ही शिविर में आते हैं, केवन सम्पलेट के प्रचार या मध्यस्थता के आधार पर नहीं आते, यह बात विशेष रूप से ध्यान रखने योग्य है।
    युवतियों को तैयार करने हेतु उनके पालकों को समझाएँ कि शिविर स्थल पर लडक़े व लड़कियों की आवास व्यवस्था पृथक-पृथक व पूर्ण सूरक्षित रहेगी। लड़कियों के लिए श्रेष्ठ व आदर्श कन्या तथा वधू बनने की पृथक से कक्षा भी होगी।
(4) प्रयाज टोली- शिविरार्थी तैयार करने हेतु प्रयाज टोली गठित कर दी जाए जिनका कार्य निम्रानुसार होगा-
कार्य :-
(1) शिविर स्थल के आस-पास पूर्व में एक दिवसीय युवा जागरण शिविर के प्रथम एवं द्वितीय चरण सम्पन्न हो चुका हो। शहरी क्षेत्रा में विभिन्न वार्डों में एक दिवसीय युवा शिविर करना चाहिए।
(2) ऐसे दस शिविर सम्पन्न होने के पश्चात् यह छ: दिवसीय आवासीय शिविर का आयोजन होता है।
(3) इस शिविर में भागीदारी हेतू उन्हीं शिविराॢथयों को आमंत्रित किया जाता है जो पूर्व में एक दिवसीय शिविर के दोनों चरणों में सम्मिलित हुए हो  तथा कुछ न कुछ रचनात्मक गतिविधियों में संलग्र हो।
(4) उपरोक्त युवाओं से सम्पर्क करने हेतू कार्य कर्ताओं की टोली को भ्रमन करना होगा।
(5) शिविर स्थल के चयन संबंधी जानकारी....।
(6) समय सारिणी बनाते समय ध्यान देने योग्य बातें-

1. गम्भीर बौद्धिक (सैद्धांतिक) विषया की कक्षाएँ प्रात:काल योग के पश्चात ही हो  क्योंकि मस्तिष्क में गंभीर विषयों को ग्रहण करने की क्षमता प्रात:काल अधिक होता है।
2. प्रायोगिक कक्षाएँ जैसे-व्यसन मुक्ति, नारी जागरण, स्वावलम्बन, जैविक कृषि, बाल संस्कार शाला प्रशिक्षण, प्रर्यावरण आदि प्रयोगिक विषय यथासम्भव भोजनोपरान्त अपरान्ह में हो। जिससे आसपास के क्षेत्र के परिजनों को भी शामिल होने का अवसर मिल सके।
3. संस्कार शाला आचार्य प्रशिक्षण अन्तिम के पहिले दिन रखा जाए। तीन चार दिन बीत जाने पर शिविरार्थीयों में सेवा का मानस बन चुका होता।
4. गायत्री महाविज्ञान, संस्कार या युग निर्माण योजना जैसे विषय आरम्भ में न हो। शुरुआत में स्वास्थ्या, व्यक्तित्व निर्माण के सूत्र, सफलता के सूत्र जैसे विषय रखे जाएँ।
5. ब्रह्मचर्य साधना एवं नारी स्वास्थ्य सुसंतति उत्पादन की कक्षा की व्यवस्था युवक एवं युवतियों के लिए एक समय में पृथक-पृथक हो। बहिनों की कक्षा महिला कार्यकर्ता एवं भाईयों की कक्षा पुरुष कार्यकर्ता द्वारा लेना मर्यादा की दृष्टि से उचित होता है।
6. व्यसन मुक्ति की कक्षा एवं व्यसन मुक्ति रैली (दोनों एक ही दिन क्रमश:) शिविर के तीसरे दिन होने से शिविरार्थीयों का स्वस्थ मनोरंजन होता है, साथ ही वे एकरसता से बच जाते हैं।
7. यदि युवतियों हेतु नारी जागरण परिवार निर्माण विषय रखें तो उसी समय पर युवाओं को श्रमदान कराया जाए। श्रमदान के नियोजन, उपकरण की व्यवस्था पूर्व में ही बना लिया जाए।
8. व्याख्यान शिक्षण हेतु विषय का चयन, शिविरार्थीयों की शिक्षा का स्तर, स्थान एवं समय का अनुरूप हो। एक दिन में योग की कक्षा के पश्चात भोजन अवकांश के पूर्व अधिकतम दो बौद्धिक हो। भोजन पश्चात के सत्र में हल्के और प्रायोगिक विषय हों। संध्या 7 बजे के बाद कोई गरिष्ठ विषय न रखकर मनोरंजक खेल/गोष्ठी/अनौपचारिक चर्चा, सांस्कृतिक कार्यक्रम/वीडियो संन्देश आदि रखा जाए।
9. प्रत्येक कक्षा डेढ़ घंटे की हो, जिसमें आरम्भ के 10 मिनट संगीत तथा अन्तिम 15 मिनट प्रश्नोत्तरी हेतु सुरक्षित हो। दो कक्षओं के बीच 20-30 मिनट का लघु अवकाश हो। दोपहर कालीन भोजन अवकाश व विश्राम का समय 2.30 घंटा पर्याप्त है। यथासम्भव इससे कम भी न हो।
10. संगीत विषय के अनुरुप हो एवं समय पर सम्पन्न हो। संगीत के नाम से अनावश्यक रूप से कक्षा प्रभावित न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाए।
11. अतिथियों को उद्घाटन या समापन के समय पर ही आमन्त्रित करना अधिक उपयुक्त होता है। निर्धारित कक्षा के समय पर बाहरी अतिथियों का भाषण होने पर उस विषय की भरपाई के लिए अतिरिक्त समय उपलब्ध नहीं हो पाता तथा दूसरी ओर अधिकतर अतिथि द्वारा उन्हीं बातों को (अनजाने में) दुहराया जाता है जिसे पूर्व के वक्ता अपनी निर्धारित कक्षा में प्रस्तुत कर चुक होते हैं इसस उबाउपन की स्थिति आती है। इस तरह दुहरा नुकसान होता है।
12. शिविर हेतु छपने वाले पाम्पलेट में शिविर की सूचना व नियमों के साथ सम्पूर्ण शिविर अवधि में सम्पन्न होने वाले कार्यक्रम की समय सारिणी (प्रात: से सायं तक) स्पष्ट हो एवं विषय का उल्लेख भी हो। (प्रारुप संलग्न है)
(7) भोजन व्यवस्था सम्बन्धी जानकारी....।
(8) अर्थ व्यवस्था पर विचार....।
(9) शिविर संचालन के क्रम में काम आने वाली आवश्यक सामग्री की सूची दे दें:-
शिविर संचालन के क्रम में काम में आने वाली आवश्यक सामग्री-
1. शिविरार्थी तैयार करने एवं शिविर के प्रचार हेतु पाम्पलेट-1000 प्रतियाँ। (प्रारूप संलग्र है।)
2. शिविरार्थीयों के पंजीयन हेतु ‘‘भागीदारी संकल्प पत्र’’-350 प्रतियाँ। (प्रारूप संलग्र है।)
3. ‘युवा जागरण संकल्प पत्र’ 25 प्रतियाँ। (प्रारूप संलग्र है।)
4. सत्प्रवृत्ति संवर्धन एवं दुष्प्रवृत्ति उन्मूलन संकल्प पत्र- 200 प्रतियाँ। (प्रारूप संलग्र है।)
5. शिविरार्थीयों हेतु परिचय पत्र (कार्ड) एवं सेफ्टीपिन-200 नग। (कार्ड का प्रारूप संलग्र है।)
6. वितरण हेतु प्रमाण पत्र- यह जोन कार्यलय से मिलेगा।
7. शिविर के सभागार को सजाने के लिए प्रदर्शनी के फ्लैक्स या सद्वाक्य आदि।
8. कार्यक्रम का मुख्य बैनर (मंच हेतु) 1 नगा (प्रारुप पृष्ठ 12 पर)।
9. स्वालम्बन की कक्षा में वस्तु निर्माण के प्रशिक्षण हेतु सामग्री। (सूची पृष्ठ 12 पर)।
10. एक बड़ा ब्लैक बोर्ड (लकड़ी का), चॉक, डस्टर।
11. आवास हेतु पर्याप्त व्यवस्थएँ यथा- शौच जाने हेतु लोटा, दरी, पेयजल व्यवस्था, झाडू, कूडादान।
12. सभागार की नित्य सफाई के लिए बड़े झाडू-4 नग, एवं कूडादान-2।
13. व्यसन मुक्ति रैली हेतु आवश्यकताएँ। (सूची पृष्ठ 12 पर)।
14. पौध शाला निर्माण के प्रशिक्षण हेतु-भुरभुरी व सूखी काली मिट्टी एक तसला, गोबर खाद सूखा एक तसला, रेत एक तसला, बड़ी पलिथीन मोटा-10 नग, पीपल के 5 एवं नीम के 5 छोटे पौधे।
15. श्रमदान हेतु- झाडू, फावड़ा, तसला, बाल्टी आदि पर्याप्त संख्या में।
16. प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण हेतु- गौमूत्र 1 लीटर पुराना, ताजा गोबर 1 कि.ग्रा., बेसर 1 पाव, पुराना गुड़ 1 पाव, पीपल पेड़ के जड़ की मिट्टी 1 मु_ी, प्लास्टिक की बड़ी बाल्टी, पानी 20 लीटर, घोलने हेतु बड़ा लकड़ी।
17. मिशन की गीतों, युवा जागरण, नादयोग व ध्यान साधना की सी.ड़ी. कैसेट।
18. बाल संस्कार शाला के प्रशिक्षण के समय आवश्यक सामग्रियाँ। (सूची पृष्ठ 12 पर)
19. विक्रय हेतु साहित्य स्टॉल।
20. पुरस्कार वितरण हेतु साहित्य-स्वस्थ व सुन्दर बनने की विद्या, हारिए न हिमत, सफल जीवन की दिशा धारा, स्वस्थ रहने के सरल उपाय, मन्त्र लेखन पुस्तिका, ब्रह्मचर्य जीवन की अनिवार्य आवश्यकता आदि।
(10) बैठक से पूर्व सम्बन्धी पाम्पलेट (समय सारिणी सहित) व शिविरार्थी पंजीयन फार्म छप चुका हो तो सभी कार्यकर्ता बैठक के उपरान्त शिविरार्थी पंजीयन का कार्य आरम्भ कर दें या अविलम्ब छपवाकर कार्य आरम्भ कर लें।

(घ) सतत्-सम्पर्क:-
     आयोजकों के बीच-बीच में संचालक पण्डल द्वारा फोन या व्यक्तिगत सम्पर्क कर शिविर की व्यवस्था एवं विशेष रूप से शिविरार्थीयों के पंजीयन के विषय में जानकारी लेते रहें। शिविरार्थी अपेक्षित संख्या से कम न हो, निर्धारित आयु सिमा का ध्यान रखा जाए। इन बातों को याद दिलाते रहने से आयोजक सतर्क रहते हैं। अक्सर बड़े स्तर के कार्यकर्ता over Confidence में शिविरार्थीयों की अपेक्षित संख्या नहीं जुटा पाते।

(ङ) शिवर संचालन हेतु कार्य विभाजन:-
    शिविर आरम्भ होने के 10-15 दिन पूर्व गोष्ठी करके समयदानी सभी सहयोगी कार्यकर्ताओं के बीच विभिन्न कार्यों का विभाजन कर दिया जाए। शिविर की निर्धारित स्थिति से 3-4 दिन पूर्व सभी बाहरी कार्य पूर्ण करके शिविर स्थल की आन्तरिक व्यवस्था पर ध्यान दिया जाए। शिविर आरम्भ होने के एक दिन पूर्व सभी तैयारियों के प्रति पूरी तरह आश्वस्त हो जाएँ।
शिविर संचालन हेतु कार्य विभाजन निम्रानुसार करें-
नोट:- एक विभाग के प्रभारी व सहयोगी दूसरे विभाग में भी सहयोगी हो सकते हैं, पर प्रभारी की पूरी व अनिवार्य जिम्मेदारी अपने विभाग की रहेगी।

(1) लेखा (कार्यालय) विभाग:-
    प्रभारी-1, सहयोगी-2
कार्य:-1, भागीदारी संकल्प पत्र भर जाने पर जमा करना एवं क्षेत्रवार व्यवस्थित करना।
2. पंजीयन शुल्क व सहयोग राशि जमा करना।
3. कार्यक्रम सम्बन्धी विविध खर्चों का बिल सहित हिसाब रखना।
4. कार्यक्रम के प्रथम दिन पंजीयन के समय से पहिले स्वागत कक्ष में बैठकर आगन्तुक शिविरार्थी व कार्यकर्ताओं का पंजीयन करके आवास प्रभारी से सम्पर्क करवाना।
5. शिविरार्थी परिचय पत्र जारी करना।
6. प्रमाण-पत्र में नाम लिखना।
7. पुरस्कार वितरण सूची एवं सामग्री की तैयारी करना।

(2) भोजन व्यवस्था विभाग:-
    प्रभारी-1, सहयोगी-6 कार्यकर्ता का हलवाई ग्रुप भी हो सकता है।
कार्य:-1. शिविर के समय सारिणी के अनुसार जलपान व भोजन निश्चित से पूर्व समय पर तैयार करने की व्यवस्था बनाएँ।
2. भोजन में निम्र वस्तुओं का प्रयोग न हो इसका विशेष ध्यान रखें:- प्लास्टिक का डिस्पोजल गिलास कटोरी पत्तल, रिफाइन्ड तेल, चायपत्ती, प्याज, लहसून, लाल मिर्च।
3. भोजन कम न पड़े व नुकसान भी न हो इसका ध्यान रखा जाए।
4. भोजन में मिर्च मसाले, तेल व नमक तेज न रहे।
5. नाश्ता व पेय पदार्थ भी बैठाकर ही परोसवाने की व्यवस्था बनाएँ।
6. समय से 5 मिनट पहले ही टाटपट्टी बिछा दें व परोसने की तैयारी ऐसी रखें कि सभी शिविरार्थी एक ही पाली में निवृत हो सकें यह जरूरी है।
7. भोजनालय सुव्यवस्थित व साफ सुथरा रखे।

(3) कालांश प्रभारी एवं मंच लाईट, माईक टैट विभाग:- प्रभारी-1, सहयोगी-1
कार्य:-1. कक्षा का समय होने के 5 मिनट पहिले ही दोनों मंच को व्यवस्थित करना।
2. एनाउंस करके शिविरार्थीयों को बैठाना।
3. दरी, टेंट, फ्लैक्स, लाईट आदि की समुचित व्यवस्था पर बराबर ध्यान देना।
4. खाली समय में मिशन के गाने (सी.ड़ी) बजाएँ। योग के समय तैयारी रखें।
5. प्रात: जागरण के समय ही गायत्री मंत्र या आरती चालीसा बाजाएँ।

(4) पेयजल विभाग:-
    प्रभारी-1, सहयोगी-1
कार्य:-1. पर्याप्त मटका, गिलास, ट्रे, जग की व्यवस्था बनाना।
2. पानी पीने के लिए शिविरार्थीयों को कक्षा में उठाना न पड़े इसका ध्यान रखना।
3. पानी हमेशा बैठाकर ही पिलाएँ।
4. रात्रि के सभी मटकों या बाल्टियों में पानी भरना।

(5) आवास व्यवस्था:-
कन्या प्रभारी-1, युवा प्रभारी-1
कार्य:-1. पंजीकृत शिविरार्थीयों को समुचित स्थान पर ठहराना।
2. प्रात:काल व शौच आदि की समुचित व्यवस्था पर ध्यान देना ताकि तैयार होने में बिलम्ब न हो।
3. रात्रि में समय पर सबको सुलाना।
4. सबके लिए दातौन की व्यवस्था करना।
5. आवास परिसर में स्वच्छता सफाई रहे इसका ध्यान रखना।

(6) जूता चप्पल एवं सफाई व्यवस्था:-
प्रभारी-1, सहयोगी-1
कार्य:- 1. परिसर में जूता चप्पल बेतरतीब न रहे व्यवस्थित करना।
2. पूरे परिसर में सफाई सुव्यवस्था पर ध्यान देना।

(7) संगीत विभाग:-
1. यदि प्रशिक्षण टोली में संगीतज्ञ न आने की बात हो तो स्थानीय संगीत टोली की व्यवस्था बना लिया जाए।
2. संगीत लिए सभी साज बाज हो तो उत्तम अन्यथा परेशानी की बात नहीं है केवल ढपली पर भी गीत प्रस्तुत किया सकता है।
3. संगीत कक्षा के समय को 5 मिनट पहले से ही प्रारम्भ करा देंवे।
4. कक्षा के विषय के अनुरुप  ही संगीत दिया जाय।
5. संगीत 15 मिनट में समाप्त करें।

(8) फोटो कापी व प्रेस विज्ञप्ति विभाग:-
कार्य:- यह विभाग लेखा विभाग के कार्यकर्ता भी सम्भाल सकते हैं अन्यथा एक प्रभारी नियुक्त कर दिया जाए।

(9) साहित्य स्टॉल विभाग:-
प्रभारी -1, सहयोगी-1
कार्य:-1. शिविर के तीसरे दिन से स्टॉल लगाई जाएँ।
2. स्टॉल में मिशन की प्राथमिक किताबें व पाकेट बुक्स हो, स्टीकर, दीक्षा सेट व स्वावलम्बन उत्पाद भी रखे जाएँ।

(10) प्राथमिक चिकित्सा विभाग:- शिविर के दौरान कब्ज, उल्टी, दस्त, बुखार, चोट आदि आपातकालीन समस्याओं के समाधान हेतु आयुर्वेदिक व प्राकृतिक व्यवस्था की जिम्मेदारी चिकित्सक को दी जाए। इमरजेंसी के लिए एलोपैथी दवाएँ भी रखी जा सकती है।

(11) सुरक्षा विभाग एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण सामग्री व्यवस्था:
- प्रभारी-1, सहयोगी-4
कार्य:-1. कार्यक्रम स्थल की रात्रि में दो पाली में सुरक्षा व्यवस्था करें।
2. दिन में भी ध्यान रखें कि समाज के खुरापाती लोग सक्रिया तो नहीं है।
3. विभिन्न प्रायोगिक कक्षाओं में आवश्यक सामग्री सूची लेकर व्यवस्था बनाएँ।(सूची पृ.क्र.12)

(12) व्यसन मुक्ति रैली विभाग:-
    प्रभारी-1, सहयोगी-4
कार्य:-1. रैली से सम्बन्धित आवश्यक सामग्री की व्यवस्था करें।
2. रैली के दिन प्रात:मुर्दा व ठठरी बना लें, फूल माला, गुलाल आदि से सजा लें।
3. प्रशिक्षकों के निर्देशानुसार रैली का कार्य करें।
4. रैली समाप्त होने पर सभी सामान गिनकर व्यवस्थित जमा कर लें।

(13) पञ्चकुण्डीय यज्ञ व्यवस्था:-
    प्रभारी-1, सहयोगी उपाचार्य-6
कार्य:- समापन के पहले दिन ही यज्ञ से सम्बन्धित सारा सामान सूची के अनुसार सकत्र कर लें।
2. घी देशी गाय का ही हो यह ध्यान रखें।
3. समापन के दिन प्रात: योग की कक्षा समाप्त होते ही कुण्डों को सजाकर यज्ञ पूजन आदि की सारी व्यवस्था दुरुस्त कर लें।
4. सभी उपाचार्य वेशभूषा में रहें।

(14) शिविर प्रभारी:-
कार्य:- 1. उपरोक्त सभी विभागों की समस्याओं का निदान करें।
2. सभी विभाग को सक्रिय रखें, सम्पर्क रखें।
3. विशिष्ट आगन्तुकों का अभिवादन स्वागत जलपान की व्यवस्था करवाएँ।
4. प्रमाण पत्रों में हस्ताक्षर करें।
5. शिविर के उद्घाटन व समापन में मंच संचालन करें।
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