‘युग निर्माण कैसे होगा-व्यक्ति के निर्माण से’। गायत्री परिवार का यह ब्रह्म वाक्य है जो अकाट्य सत्य है। विशाल वट वृक्ष एक नन्हें से बीज में छुपी रहती है, बहुमंजिली इमारतें उसकी नींव पर टिकी रहती है, ठीक वैसे ही मानव से महामानव बनने का आधार उसका ‘व्यक्तित्व’ ही होता है। संसार के सभी मनुष्य सम्मान एवं प्रशंसा प्राप्त करना चाहते हैं, सवाल यह है कि उसे यह सम्मान मिलेगा कैसे? सिर्फ एक ही कसौटी है उसका ‘व्यक्तित्व’ कितना खरा है। व्यक्ति निर्माण के आधार पर ही परिवार निर्माण, समाज निर्माण एवं राष्ट् निर्माण की परिकल्पना की जा सकती है। अत: युग ऋषि पं० श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने गायत्री परिवार को प्रारम्भ में ही यह मूलमंत्र बताते हुए नारा दिया था कि-‘‘युग निर्माण कैसे होगा-व्यक्ति के निर्माण से।’’
व्यक्ति निर्माण तो किसी भी उम्र मे एवं कभी भी शुरू किया जा सकता है, उसका लाभ तो मिलना ही है, लेकिन यदि व्यक्ति निर्माण की पाठशाला में किशोर वय एवं युवाकाल में प्रवेश मिल जाए तो जीवन की दिशा ही बदल जाती है, तथा ऊपर दिए गए उदाहरण जीवन्त हो उठता है। पूरे विश्व में भारत देश की महत्ता उसके आध्यात्मिक मूल्यों को लेकर ही है, और यह सुखद संयोग है कि पूर्व की भांति वर्तमान में भी युवाओं की एक बड़ी संख्या युग निर्माण आन्दोलन में अपनी भूमिका सम्पादित करने जा रही है। क्योंकि युवा ही क्रांति की सूत्रपात करने में सक्षम है। पूर्व में जितनी भी क्रांति हुई है चाहे वह राजनैतिक हो या सामाजिक, आर्थिक हो या आध्यात्मिक। इनमें युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। वर्तमान में देश जिस उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है लोग आशंकित है आगे क्या होगा? पर्यावरण का प्रदूषण भ्रष्टाचार का दावानल, सूखती जल स्त्रोत, बढ़ती बेरोजगारी, बढ़ती नशा, बढ़ती अराजकता की भयावह दृश्य को केवल और केवल ‘‘युवाशक्ति’’ ही मिटा सकती है। पूर्व में हुई क्रांति की ही भांति आज युग एक क्रांति की आवश्यकता है। सारे देश की निगाहें आज युवा शक्ति पर टिकी हुई है। आवश्यकता है इन युवाओं को सही मार्गदर्शन देने की। इनकी दृष्टि को सही दिशा में नियोजित करने की, इनके चिंतन को राष्ट्रधर्म के साथ जोडऩे की, इनके व्यक्तित्व निर्माण की। कहावत है लोहा लोहे को काटता है, हम उम्र की बात को व्यक्ति अधिक गहराई से सुनता है, इसलिए आज यदि युवा पीढ़ी को दिशा देना है तो सुलझे हुए युवा ही दे सकते हैं। अब सवाल यह उठता है कि सुलझे हुए युवा मिलेंगे कहाँ से? इसी समस्या का समाधान के लिये यह मार्गदर्शिका प्रकाशित की गई है। इस मार्गदर्शिका के आधार पर युवाओं के व्यक्तित्व निर्माण सक राष्ट्निर्माण की मंजिल को प्राप्त किया जा सकता है।
प्रशिक्षण के समय निर्धारित विषयों पर सैद्धांतिक मार्गदर्शन दिया जाता है, आवश्यक बिन्दुओं को नोट भी कराया जाता है, फिर भी यह महसूस किया गया कि जिन विषयों का प्रतिपादन हमारे प्रशिक्षक मौखिक रूप से कक्षा में करते हैं, यदि वे सभी पुस्तक के रूप में उपलब्ध हो जाएँ तो प्रशिक्षण में भाग लेने वाले प्रशिक्षार्थियों के लिए यह अत्यन्त लाभकारी सिद्ध होगा। पुस्तक का अध्ययन एवं प्रत्यक्ष मार्गदर्शन के आधार पर सभी प्रशिक्षार्थी ‘व्यक्तित्व निर्माण '
युवा शिविर’ आयोजित करने एवं उन्हें सम्पादित करने में पारंगत हो जाएँगे।
गायत्री परिवार के ऐसे कार्यकत्र्ता जिन्हें मिशन के प्रति दर्द है, जो भावी पीढ़ी को तैयार करने में रूचि रखता हो, जो मिशन के कार्यों को आगे बढ़ाने में अपना उत्तराधिकारी तैयार करने की सोंच रखता हो, जो भटकते युवा पीढ़ी को सही दिशा देने मे अपना कर्तव्य समझता हो। वे इस अभियान के साथ जुड़े और अपनी भूमिका संपादित करे।
युवा जोड़ो अभियान का स्वरूप क्या है,कैसे उन्हें जोड़ें, कैसे उन्हें व्यक्तित्व निर्माण से राष्ट्र निर्माण की बातें करें, कैसे उनके चिंतन को बदलें आदि समस्त विषयों पर मार्गदर्शिका में विस्तार से प्रकाश डाला गया है। एक दिवसीय युवा जागरण शिविर, तीन, पांच एवं छ: दिवसीय व्यक्तित्व निर्माण शिविर के माध्यम से किस तरह कार्य करना है इसकी विस्तार से जानकारी प्रदान की गई है। प्रशिक्षण प्राप्त कर एवं मार्गदर्शिका के आधार पर काई भी रूचिकर कार्यकत्र्ताओं की 4-5 की टोली शिविर का संचालन कर सकता है। इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में 10-10 गावों के बीच एक दिन का लघु शिविर एवं तालुका/विकास खण्ड स्तर पर छ: दिवसीय शिविर का आयोजन शक्तिपीठ/प्रज्ञापीठ/शाखा स्तर पर किया जा सकता है। शहरी क्षेत्रों में वार्डों का आधार बनाकर शिविर सम्पन्न किया जा सकता है। शिविर में शामिल होने वाले युवा जहाँ स्वयं के लिए व्यक्ति निर्माण कर सकल व्यक्तित्व बनने की ओर अग्रसर होंगे वही आपके लिये सहयोगी साबित होंगे। शिविर के पश्चात यदि आपने इन्हें अपनी स्नेह एवं आत्मीयता की डोर में बाँधने में सफल रहे तो शीघ्र ही वह युवक सक्रिय कार्यकत्र्ता के रूप में परिणित हो सकता है। इस प्रकार यह शिविर आयोजक एवं प्रतिभागी दोनों के लिये कायदेमंद होता है।
केन्द्र द्वारा घोषित सप्तसूत्रीय आंदोलन को व्यवहारिक स्वरूप प्रदान करने में यह युवा शक्ति बड़ी भूमिका निभा सकती है, जिसके अभाव में रचनात्मक आंदोलन को अपेक्षित गति नहीं मिल पा रही है। आशा है गायत्री परिवार के सभी शक्तिपीठ/प्रज्ञापीठ/शाखा एवं समर्थ सक्रिय परिजन इस आंदोलन में अपनी सक्रिय भागीदारी निभायेंगे।
प्रशिक्षण के समय निर्धारित विषयों पर सैद्धांतिक मार्गदर्शन दिया जाता है, आवश्यक बिन्दुओं को नोट भी कराया जाता है, फिर भी यह महसूस किया गया कि जिन विषयों का प्रतिपादन हमारे प्रशिक्षक मौखिक रूप से कक्षा में करते हैं, यदि वे सभी पुस्तक के रूप में उपलब्ध हो जाएँ तो प्रशिक्षण में भाग लेने वाले प्रशिक्षार्थियों के लिए यह अत्यन्त लाभकारी सिद्ध होगा। पुस्तक का अध्ययन एवं प्रत्यक्ष मार्गदर्शन के आधार पर सभी प्रशिक्षार्थी ‘व्यक्तित्व निर्माण युवा शिविर’ आयोजित करने एवं उन्हें सम्पादित करने में पारंगत हो जाएँगे।