मातृशक्ति का संरक्षण आश्वासन
‘‘प्रभाव सिद्धान्तों का पड़ेगा’’
‘‘बेटे, अगर सिद्धान्तों को हमने अपने जीवन में उतार लिया है, तो फिर चाहे तुम सब छोटो-छोटे से ही क्यों नहीं हो, तुम्हारा प्रभाव पड़ेगा। कब प्रभाव पड़ता है? प्रभाव तब पड़ता है जब हम अपने जीवन को उसके लायक बना लेते हैं। प्रभाव पड़ेगा? हां बेटे बिलकुल पड़ेगा। मैं चाहती हूँ कि हमारा प्रत्येक कार्यकर्ता इसी तरीके से बनता हुआ, निखरता हुआ, संभलता हुआ चला जाए।
बेटे हम बड़े सौभाग्यशाली हैं कि हमारे पास इतने सारे कार्यकर्ता हैं, औरों के पास कहाँ हैं? दो-दो, पाँव-पाँच हैं, फिर भी वे इतने काम कर गुजरते हैं। हम तो जाने कहाँ-कहाँ की छलांग लगाएँगे। देखते जाइए हम अगले दिनों सारे विश्व को हिलाकर रख देंगे। हमें अपना साहस यों ही रखना चाहिये, फिर तो सारे विश्व को हम मथकर रख देंगे। कौन रखेगा हिम्मत? रखेंगे तो वे ही, पर साहस तुम्हारा काम करेगा और बेटे धक्का में भी दूँगा तुम्हें। आगे-आगे चलना तुम्हें पड़ेगा और तुम्हारी पीठ पर हाथ मैं रखूँगी। मैं इसी तरीके से तुम्हें छाती से लगाए रखूँगी। तुम्हें कोई भी अभाव नहीं व्यापेगा।’’
-परम वन्दनीया माता भगवती देवी शर्मा
‘‘गुरुदेव का आश्वासन व अनुरोध’’
‘‘यह निश्चित है कि शरीर के बिना भी बहुत कुछ करते बन पड़ेगा। जीवित रहने की अपेक्षा शरीर न रहने पर समर्थता एवं सक्रियता और भी अधिक बढ़ जाती है। इसी मान्यता के आधार पर प्रज्ञा परिजनों से विशेष रूप से कहा जा रहा है कि आँखों से न दीख पडऩे पर तनिक भी उदास न हों और निरन्तर यह अनुभव करें कि हम उन्हें अधिक प्यार, अधिक उत्कर्ष और अधिक समर्थ सहयोग दे सकने की स्थिति में तब भी होंगे जब यह पंच भौतिक ढकोसला मिट्टी में मिल जाएगा। जो पुकारेगा, जो खोजेगा, उसे हम सामने ही खड़े और समर्थ सहयोग करते दीख पड़ेंगे।’’
‘परिवर्तन के महान क्षण’, पृष्ठ - 30
(महाप्रयाण से कुछ दिन पूर्व)