'युग निर्माण कैसे होगा-व्यक्ति के निर्माण से’ । गायत्री परिवार का यह
ब्रह्म वाक्य है जो अकाट्य सत्य है। विशाल वट वृक्ष एक नन्हें से बीज में
छुपी रहती है, बहुमंजिली इमारतें उसकी नींव पर टिकी रहती है, ठीक वैसे ही
मानव से महामानव बनने का आधार उसका ‘ व्यक्तित्व’ ही होता है। व्यक्ति
निर्माण के आधार पर ही परिवार निर्माण, समाज निर्माण एवं राष्ट् निर्माण की
परिकल्पना की जा सकती है।
इस मार्गदर्शिका के आधार पर युवाओं के
व्यक्तित्व निर्माण से राष्ट्निर्माण की मंजिल को प्राप्त किया जा सकता है।
प्रशिक्षण के समय निर्धारित विषयों पर सैद्धांतिक मार्गदर्शन दिया
जाता है, आवश्यक बिन्दुओं को नोट भी कराया जाता है, फिर भी यह महसूस किया
गया कि जिन विषयों का प्रतिपादन हमारे प्रशिक्षक मौखिक रूप से कक्षा में
करते हैं, यदि वे सभी पुस्तक के रूप में उपलब्ध हो जाएँ तो प्रशिक्षण में
भाग लेने वाले प्रशिक्षार्थियों के लिए यह अत्यन्त लाभकारी सिद्ध होगा।
पुस्तक का अध्ययन एवं प्रत्यक्ष मार्गदर्शन के आधार पर सभी प्रशिक्षार्थी
‘व्यक्तित्व निर्माण ' युवा शिविर’ आयोजित करने एवं उन्हें सम्पादित
करने में पारंगत हो जाएँगे। गायत्री