गायत्री महाविज्ञान भाग 2

भूमिका

Read Scan Version
<<   |   <  | |   >   |   >>
गायत्री के विषय में हमारे प्राचीन ग्रन्थों में सुविस्तृत वर्णन है। अनेक ग्रन्थों में गायत्री के विवेचन, इतिहास, विवरण, साधन एवं माहात्म्य के सम्बन्ध में बहुत कुछ लिखा हुआ है। विगत बीस वर्षों में गायत्री सम्बन्धी शोध के लिए हमने प्रायः दो हजार आर्ष ग्रन्थ पढ़े हैं। उनमें कितने ही प्रकरण तो ऐसे गूढ़ हैं, जिनका समझना केवल इस मार्ग के विशेषज्ञों के लिए ही सम्भव है; परन्तु सर्वसाधारण के लिए उपयोगी साहित्य भी इतना अधिक है कि उसे पढ़ने और समझने की उपयोगिता भी कम नहीं है। 
गायत्री विद्या का सर्वसुलभ प्राचीन साहित्य इस पुस्तक में संकलित किया गया है। यद्यपि हमारे तत् सम्बन्धी संकलित साहित्य का यह एक अंश मात्र ही है, फिर भी इससे यह तो जाना जा सकता है कि गायत्री विद्या का कितना अधिक महत्त्व है। यदि सुयोग हुआ तो अन्य साहित्य भी प्रकाशित करेंगे। 
गायत्री मन्त्र अकेला ही इतना सारगर्भित है, कि उसे समझने में कई जन्म लग सकते हैं। साथ ही उसके गर्भ में वह सभी तत्वज्ञान भरा हुआ है, जिसकी व्याख्या के लिए वेद, शास्त्र, पुराण, इतिहास, दर्शन, उपनिषद्, ब्राह्मण, आरण्यक, स्मृति, नीति, संहिता एवं सूत्र ग्रन्थों की रचना की गई है। इस पुस्तक में वर्णित गायत्री सम्बन्धी लघु संग्रहों से पाठक इस बात का अनुमान कर सकते हैं कि गायत्री विद्या कितनी अगाध है। 
इस पुस्तक के प्रथम खण्ड में गायत्री सम्बन्धी आवश्यक जानकारी एवं सर्वसाधारण के लिए उपयोगी साधन-विधान का विस्तारपूर्वक उल्लेख कर चुके हैं, जो बात समझ में न आये, जवाबी पत्र द्वारा उसको पूछा जा सकता है। वाममार्गी तांत्रिक साधनाओं के सम्बन्ध में पूछताछ करना निरर्थक है, क्योंकि यह विज्ञान केवल सुपरीक्षित, अधिकारी एवं उपयुक्त मनोभूमि के लोगों के लिए ही सीमित एवं सुरक्षित है। 
हमारा सुनिश्चित विश्वास है कि मनुष्य के लिए गायत्री से बढ़कर और कोई तत्वज्ञान एवं जीवनक्रम नहीं हो सकता। इस महाविद्या के प्रचार में यह पुस्तक सहायक सिद्ध होगी—ऐसा हमारा विश्वास है। 
                                                                                                                                                            
                                                                                                                                                           —श्रीराम शर्मा आचार्य 

<<   |   <  | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118