जो कुछ हो, होने दो। तुम्हारे बारे में जो कहा जाए उसे कहने
दो। तुम्हें ये सब बातें मृगतृष्णा के जल के समान असार लगनी
चाहिए। यदि तुमने संसार का सच्चा त्याग किया है तो इन बातों से
तुम्हें कैसे कष्ट पहुँच सकता है। अपने आपकी समालोचना में कुछ
भी कसर मत रखना तभी वास्तविक उन्नति होगी।
प्रत्येक क्षण और अवसर का लाभ उठाओ। मार्ग लंबा है। समय वेग
से निकला जा रहा है। अपने संपूर्ण आत्मबल के साथ कार्य में लग
जाओ, लक्ष्य तक पहुँचोगे।
किसी बात के लिए भी अपने को क्षुब्ध न करो। मनुष्य में नहीं,
ईश्वर में विश्वास करो। वह तुम्हें रास्ता दिखाएगा और सन्मार्ग सुझाएगा।