संसार के सारे महापुरुष
प्रारंभ में साधारण श्रेणी, योग्यता, क्षमताओं के व्यक्ति रहे
हैं। इतना होने पर भी उन्होंने अपने प्रति दृष्टिकोण हीन नहीं
बनने दिया और निराशा को पास नहीं फटकने दिया। आत्मविश्वास एवं
अविरल अध्यवसाय के बल पर वे कदम आगे बढ़ते ही गए। प्रतिकूल
परिस्थितियों में भी वे लक्ष्य से विचलित नहीं हुए। नगण्य से
साधन और अल्प योग्यता से होते हुए भी देश, धर्म, समाज और
मानवता की सेवा में अपने जीवन की आहुति समर्पित कर समाज के
सामने उदाहरण प्रस्तुत कर गए और कोटि- कोटि जनों को दिशा प्रदान
कर गए।