लोभों के झोंके, मोहों के झोंके, नामवरी के झोंके, यश के झोंके, दबाव के झोंके ऐसे हैं कि आदमी को लंबी राह पर चलने के लिए मजबूर कर देते हैं और कहॉं से कहॉं
घसीट कर ले जाते हैं। हमको भी घसीट ले गये होते। ये सामान्य
आदमियों को घसीट ले जाते हैं। बहुत से व्यक्तियों में जो
सिद्धान्तवाद की राह पर चले इन्हीं के कारण भटक कर कहॉं से कहॉं जा पहुँचे।
आप भटकना मत। आपको जब कभी भटकन आये तो आप अपने उस दिन की उस समय की मन:स्थिति
को याद कर लेना, जब कि आपके भीतर से श्रद्धा का एक अंकुर उगा
था। उसी बात को याद रखना कि परिश्रम करने के प्रति जो हमारी
उमंग और तरंग होनी चाहिए उसमें कमी तो नहीं आ रही।