क्या करें, परिस्थितियाँ हमारे
अनुकूल नहीं हैं, कोई हमारी सहायता नहीं करता, कोई
मौका नहीं मिलता आदि शिकायतें निरर्थक हैं। अपने दोषों को
दूसरों पर थोपने के लिए इस प्रकार की बातें अपनी दिल जमाई के
लिए की जाती हैं। लोग कभी प्रारब्ध को मानते हैं, कभी देवी
देवताओं के सामने नाक रगड़ते हैं। इन सबका कारण है अपने ऊपर
विश्वास का न होना।
दूसरों को सुखी देखकर हम परमात्मा के न्याय पर उंगली
उठाने लगते हैं। पर यह नहीं देखते कि जिस परिश्रम से इन सुखी
लोगों ने अपने काम पूरे किये हैं, क्या वह हमारे अंदर है!
ईश्वर किसी के साथ पक्षपात नहीं करता उसने वह आत्मशक्ति
सबको मुक्त हाथों से प्रदान की है जिसके आधार पर उन्नति की जा
सके।