हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों में ब्रह्माजी का जो स्वरूप वर्णित है,उसमें उनके चार मुख दिखलाए गए हैं । यह परमात्मा की सत्ता का एकआलंकारिक चित्र है । चार मुख उसके चार भेदों का दिग्दर्शन कराते हैं । इन चार मुखों को
(१) ब्रह्म
(२) ईश्वर
(३) विष्णु और
(४) भगवान कहा जाता है ।
वैसे तो परमात्मा एक ही है, पर उससे उत्पन्नविश्व व्यवस्था को समझने के लिए उसके चार विभाग कर दिएगए है|