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December 1950

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तिनके के समान हलका बनने से, वृक्ष के समान सहिष्णु बनने से, मान छाड़ कर दूसरों को मान देने से, इष्ट की महिमा समझने से तथा अभिमान का त्याग करने से साधना शीघ्र सफल होती है। इस प्रकार योग्यता प्राप्त करने के लिये सत्संग, धर्मग्रन्थ, और भक्त चरित्र का अभ्यास, गुरु आशा का पालन तथा माता-पिता आदि गुरुजनों की तथा भक्तों की सेवा-पूजा करना बहुत आवश्यक है।

-विजयकृष्ण गो.।


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