धर्मात्माओं के सराहनीय सद् प्रयत्न

May 1957

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महूडिया (नीमच) में चैत्रपदी अमावस्या को गायत्री यज्ञ हुआ जिसमें काफी ग्रामवासी जनता ने भाग लिया। संगीत का कार्यक्रम बड़ा मनोरंजक और प्रभावशाली हुआ। यहाँ के गायत्री उपासक सोहन लाल जी ने माता से प्रार्थना की। जिससे उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई।

- नन्द लाल शर्मा

हथगाँव (फतेहपुर) में सवा दो लाख जप और आहुतियों का यज्ञ किया गया।

- जगमोहन लाल

मोर्वी (सौराष्ट्र) में गायत्री महायज्ञ सानंदपूर्ण हुआ। जिसमें पौने दो करोड़ जप किया गया। साठ व्यक्तियों ने तीन दिन तक हवन किया और 1500 ब्राह्मणों को भोजन कराया गया। महाराज लखधीरजी और राजमातुश्री भी उपस्थित थे, उन्होंने यज्ञ के लिये ढाई हजार रु. सहायतार्थ दिया। उन्हीं के हाथों से दक्षिणा दिलाई गई। आचार्य पद पर श्री रमाकान्त कालिदास शुक्ल थे।

-श्री हेमन्त कुमार शंकर लाल दवे

गरोठ (मध्य प्रदेश)में गायत्री महायज्ञ सकुशल समाप्त हो गया । पाँच कुण्डों में पचास उपासकों ने सवालाख आहुतियाँ दीं। 15 सदस्यों को यज्ञोपवीत दिये गये। यज्ञ में सभी वर्ग के सज्जनों का सहयोग रहा और लोग गायत्री परिवार के सदस्य बने। स्वामी प्रेमानंदजी तथा नत्थासिंह जी के उपदेश और भजनों से जनता पर बड़ा प्रभाव पड़ा।

- हरीराम वैद

भगवानपुर (शाहजहाँपुर) में ता. 1 मार्च से 15 मार्च तक स्वामी योगानन्द जी के उपदेश और भाषण होते रहे। 16 मार्च को एक हजार आहुतियों का हवन हुआ। 31 मार्च को सनेता सफीपुर में 900 आहुतियों का हवन और 461 मंत्र लेखन हुआ। भविष्य के लिये यहाँ 9 कुण्डों में सवालाख आहुतियों के यज्ञ की तैयारी हो रही है। अखत्यापुर में नवरात्रि में पाँच सदस्यों ने एक लाख बीस हजार जप किया और हर रोज हवन हुआ तथा अन्तिम दिन 2400 आहुतियों का हवन किया गया।

- रघुराज सिंह सोलंकी

बह्यनी बाजार (बिलासपुर)में गायत्री शाखा स्थापित हो गई है। जिसके सदस्य पशुबलि निषेध के लिये जोरदार आँदोलन कर रहे हैं। भटगाँव से देवी के मंदिर में होने वाली पशु हिंसा को रोकने के लिये एक नोटिस भी वितरण किया गया है।

- मोहनलाल गुप्ता

जमशेदपुर में 24 लाख जप और 24 घण्टे तक आहुतियों का यज्ञ हुआ। गायत्री चालीसा और ज्ञान अंक वितरण किये गये। माता की कृपा से किसी तरह की अशान्ति नहीं हुई ।

-ऋषेश्वरना

पिलखना (इटावा)की शाखा ने प्रति मास एक यज्ञ करने का निश्चय किया है । होली पर बड़े उत्साह से लाउडस्पीकर द्वारा मन्त्रोच्चारण करके यज्ञ अनुष्ठान किया गया।

- कृष्णलाल द्विवेदी

मऊरानीपुर (झाँसी) में यज्ञ में प्रति-दिन 25 ब्राह्मणों द्वारा 2500 गायत्री मन्त्र की आहुतियाँ 11 दिन तक दी गई।

- सालिगराम पाण्डे

जुल्मी शाखा (कोटा)में हवन का कार्यक्रम 1 सप्ताह से बन्द हो गया था । यह देखकर सब को प्रेरणा की गई कि गायत्री का साप्ताहिक हवन बन्द नहीं होना चाहिये। इसके फल से सब सदस्यों ने जिन में दो तीन महिलाएँ भी थी, इकट्ठा होकर हवन किया और हवन के नियम को अब कभी खंडित न करने का निश्चय किया। गाँव बदरखान (चेचट) में न शाखा खोली नई है। खेरुद्धा, अलोद और राजपुरा गाँवों में भी प्रचार किया गया और वहाँ 5-5 कुण्डों के यज्ञों की व्यवस्था हो रही है ।

- रामकिशन शर्मा

खोरासा (सौराष्ट्र) के गायत्री-केन्द्र में माताजी की बहुत बड़ी तस्वीर बनवाकर रखी गई है। 150 धार्मिक पुस्तकें भी पुस्तकालय के लिए एकत्रित की गई हैं। सवालाख गायत्री मंत्र लिखा गया है ‘राम नाम’ भी 8 लाख लिखा है।

- नर्मदाशंकर एम. जोषी

गरोठ (म.प्र.) में श्री कमला प्रसाद जी मास्टर के यहाँ विश्वशाँति हेतु गायत्री यज्ञ हुआ जिसमें ट्रेनिंग स्कूल के मास्टरों और विद्यार्थियों ने भी श्रद्धापूर्वक भाग लिया तथा कन्हैया लाल गुप्ता मास्टर का यज्ञोपवीत संस्कार किया गया ।

- हरी राम वैद

मालेगाँव सिटी (नासिक) में तपोमूर्ति पूज्य गायत्री स्वरूप जी का आगमन स्वर्गाश्रम (हरिद्वार)से हुआ और शाखा-सभा में कई दिन तक उनके सारगर्भित उपदेश होते रहे।

- जगन्नाथ बद्रीनारायण भाँवर

व्यायर में प्रत्येक रविवार को विभिन्न स्थानों पर यज्ञ किये जाते हैं। यह क्रम 1 वर्ष तक चलता रहेगा। सेठ मुकुन्ददास राठी ने गायत्री पुस्तकालय के लिए सम्पूर्ण गायत्री साहित्य के 2 सेट मँगाकर दिए हैं। सेठ दुर्गा प्रसाद जी ने हजार चालीसा बाँटे हैं।

- मोहनलाल शर्मा

ग्राम कुल्हार (विदिशा)झाँसी में गायत्री-यज्ञ बड़े समारोह से हुआ। जिसमें झाँसी के पं. शिव कुमार शास्त्री के प्रभावशाली उपदेश हुए । यज्ञ श्री लक्ष्मण प्रसाद जी ने कराया था जिसमें हजारों ग्राम-वासियों ने भाग लिया। इसमें तीन सौ रुपये व्यय किया गया।

- बालकृष्ण अग्रवाल

कसेरकला (बुलन्दशहर) क्षेत्र में स्वामी ब्रह्मस्वरूप जी ने गायत्री-प्रचार करके बुलन्दशहर, अनुपशहर, चरौरा, कसेरकलाँ और संभल (मुरादाबाद) में शाखाओं की स्थापना कराई ।

- एक सदस्य

अमलार (शुजालपुर) में श्री प्यारेलाल वकील के यहाँ यज्ञ हुआ । इसमें गायत्री सदस्य श्री नारायण प्रसाद शर्मा ने बहुत सहयोग दिया। हनुमान जयंती पर खेड़पती हनुमान जी के स्थान पर मास्टर लक्ष्मी नारायण जी आदि के सहयोग से हवन किया गया ।

- राधाकिशन तिवारी

बकानी (भालावाड़) गुरुकुल में ता.12 से 14 अप्रैल तक गायत्री महायज्ञ श्री स्वामी रामेश्वर आश्रम जी महाराज की अध्यक्षता में हुआ। अ.मा. गायत्री परिवार के कुलपति पं. श्रीराम शर्मा आचार्य, मथुरा ने भी इस समारोह में पधारने की कृपा की थी। अन्य विद्वान और उपदेशक भी पधारे थे। इस समारोह का आस-पास की जनता पर बड़ा प्रभाव पड़ा और गायत्री के प्रचार में आशातीत वृद्धि हुई।

- भँवर लाल शर्मा

झाँसी में आगामी 16, 18, 19 मई को सवालाख आहुति और 24 लाख जप का यज्ञ करने का आयोजन किया गया है। इस अवसर पर ‘अ.मा. बुन्देलखंड गायत्री परिवार सम्मेलन करने का भी आयोजन है ।

- बालकृष्ण अग्रवाल

बीना (सागर) में 24 लाख जप तथा 24 हजार आहुतियों के यज्ञ का अनुष्ठान सानन्द पूर्ण हो गया । यज्ञ का स्थान अनेक धर्म प्रेमियों ने तन, मन, धन से सहयोग किया। रात्रि में रामलीला होती रही। पूर्णाहुति के बाद 400 व्यक्तियों का ब्रह्मभोज हुआ।

- शाजिगराम दुबे

मनसूरपुर (मुजफ्फरनगर) में एक गायत्री उपासक के यहाँ सवालाख मंत्र व हवन का अनुष्ठान विधिपूर्वक किया गया। जिसमें गायत्री परिवार के 12 सदस्यों ने भाग लिया।

-बनारसी दत्त शर्मा

तनोड़िया (शाजापुर)में गायत्री आश्रम का आठवाँ सामूहिक हवन डॉक्टर एल.पी.आनन्द के यहाँ हुआ जिसमें 3250 आहुतियाँ दी गई। इस यज्ञ में संस्कृत के विद्वान और गायत्री के अनन्य प्रेमी मद्रास निवासी श्री अनन्तराम शास्त्री ने भी भाग लिया था।

- मुन्नालाल ‘कर्मयोगी’

नरसिंहपुर (म.प्र.)में श्री हरिप्रसाद जी के स्थान पर सवालाख जप व 24 हजार आहुति, सवा हजार गायत्री चालीसा, रामायण, पुराण आदि के परायण का आयोजन किया गया है । यह यज्ञ 28, 29 अप्रैल को होगा।

- मन्त्री शाखा

घोड़ाघाट ग्राम(बहादुरज्ज,पुर्नियाँ)में सामूहिक गायत्री हवन किया गया। साथ में गीतायज्ञ, मानस-यज्ञ, अष्ठयाम संकीर्तन का भी आयोजन था । यह यज्ञ विश्व कल्याणार्थ किया गया था। स्थानों पर गायत्री-परिवार की शाखायें स्थापित करने के लिए 45 प्रतिज्ञा-पत्र दिये गये। श्री चतुरानन्द ने इस यज्ञ में आये 500 सज्जनों के भोजन का प्रबन्ध अपने ऊपर लिया और यज्ञ की सामग्री भी दी । इस तरह का सफल यज्ञ इस इलाके में बहुत समय से नहीं हुआ था।

- खुशीनाथ

आरंग (रायपुर) में गायत्री शाखा की ओर से आपके ब्रह्मास्त्र अनुष्ठान के संकल्प के अनुसार एक वर्ष तक नित्य 24 हजार जप का आयोजन किया गया है।

- विद्याप्रसाद मिश्रा

पेटलावद (स्टेशन वामनिया म.प्र.) में विश्व कल्याणार्थ नीलकंठेश्वर महादेव के मंदिर पर गायत्री महायज्ञ का आयोजन 4 मई से 9 तक के लिये किया गया है। साथ में रुद्रयज्ञ, विद्वानों के भाषण, हरिकथा, ब्राह्मण भोजन, आदि भी होंगे।

- सोमेश्वर चतुर्वेदी

गोविन्दपुर (भागलपुर) में प. द्वारका प्रसाद गोस्वामी के यहाँ यज्ञ हुआ। उस अवसर पर आगन्तुक सज्जनों में प्रचार करने बकिया, कुमादपुर, नयाटोला, पकरा, परभेली के 28 सदस्य बने और चार शाखायें स्थापित हुईं।

- मोती लाल गोस्वामी

भगौनपुर (फतेहपुर)में सदस्यों द्वारा दो कुण्डों में सामूहिक हवन हुआ। 4 सदस्यों ने यज्ञोपवीत धारण किया। सठिगवाँ, पारादान, बिजौली पतारी, सैठी, बबुरिहापुर आदि स्थानों की शाखाओं के सदस्य भी पधारे थे।

- मोहन लाल शर्मा

तूँगा (जयपुर)में जो वेस्टर्न रेलवे बाँदीकुई जंक्शन के पास है , 24 लाख जप व 24 सौ आहुतियों का यज्ञ 5 हवन कुणडों में 100 होताओं द्वारा सम्पन्न होगा। इसकी तिथियाँ गंगादशहरा से आषाढ़ कृष्णपक्ष 5 तक रखी गई हैं। तूँगा के पास के स्टेशन बक्सी है।

- कन्हैयालाल मिश्र

झाँसी की गायत्री शाखा की ओर से श्री गिरिजा सहायजी खरे प्रचारार्थ आये। उनकी प्रेरणा से जतारा में पूर्णमासी के दिन श्री रघुवीर सहाय श्रीवास्तव अ.डि. इन्सपेक्टर आफ स्कूल्स के यहाँ यज्ञ हुआ।

अन्त में यज्ञ और गायत्री के महत्व पर प्रकाश डाला गया। टीकमगढ़ में ला. मनोहर लाल श्रीवास्तव के मकान पर यज्ञ हुआ। नये सदस्य भी बनाये गये। वानपुर में श्री प्रभुदयाल जी श्रीवास्तव के यहाँ यज्ञ किया गया। शाखा के पुराने सदस्यों से ब्रह्मास्त्र अनुष्ठान को सफल बनाने के विषय में अनुरोध किया गया।

- बैजनाथ सोनकिया

खेर्डा (खामगाँव) में हनुमान जयंती के उपलक्ष्य में 6500 आहुतियों का यज्ञ किया गया। यज्ञशाला में 8 कुण्ड थे और उसकी सजावट देखने योग्य थी, श्री मुरलीधर पाटील का यज्ञ-महिमा पर भाषण हुआ। श्री किसन सखाराम जी के हाथ से पूर्णाहुति कराई गई। अन्त 500 गायत्री प्रेमियों का ब्रह्मभोज हुआ। जिसमें आस-पास के दस गाँवों के व्यक्ति हुए।

- किसन सखाराम परलीका

गुदरावन (राजस्थान)में गायत्री महायज्ञ कई दिन तक सुचारु रूप से चलता रहा। स्वामी प्रेमानंद जी के उपदेश और कुँवर नत्थासिंह जी के भजन का बड़ा प्रभाव पड़ा। उत्तराखण्ड निवासी तपसी रामलखन दास जी भी पूर्णाहुति के दिन आ गये और उनका सत्संग भी कल्याणकारी था। उस दिन तीन हजार से अधिक व्यक्ति उपस्थित थे। रामलीला में नित्य प्रति वृद्धि होती थी। सर्व श्री दामोदर जी, जयदेव जी, रामनारायण जी, मथुरालाल जी व भेंरुलाल जी आदि का परिश्रम सराहनीय रहा।

- बाबूलाल शर्मा


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