गायत्री उपासना के अनुभव

February 1957

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देव दर्शन का अलभ्य लाभ

श्री विष्णु दत्त जी, दरियागंज दिल्ली अपने पुरश्चरण काल में हुए अनुभवों को लिखते हैं- कुछ दिनों लगातार उपासना के बाद प्रथम बार मुझे भृकुटी के मध्य में प्रकाश का दर्शन हुआ प्रथम दीपक जैसा, पुनः बिंदु सी ज्योति हो गयी। फिर तो नित्य रंग-बिरंगे-प्रकाश, सूर्य, चन्द्र, अनन्त दिव्य प्रकाश दिखाई देते रहे। कभी कृष्ण, विष्णु, शिव एवं सूर्य देव साक्षात से दीख पड़ते- कभी बड़े-बड़े सुन्दर महल, मन्दिर, हंस, बैल, हाथी, घोड़े भी दिखाई दिये। कई बार हृदय देश में अत्यन्त चमकीला प्रकाश भी देखा। कई दिन तो कुछ मित्रों के सामने दीवाल पर एक उज्ज्वल प्रकाश आकर स्थिर हो गया। वे लोग देखकर आश्चर्य चकित थे।

दुर्व्यसन छूटे

श्री भैयालाल रघुवंशी अध्यापक वी.टी. कालेज भोपाल लिखते हैं- मैं गायत्री उपासना करते अवश्य ही धीरे-धीरे अनेकों दुर्गुणों एवं दुर्व्यसनों से मुक्त हो गया, पर बीस वर्षों से बीड़ी तम्बाकू पीने की बुरी लत को नहीं छोड़ सका। हार मानकर मैंने अपने गुरुदेव से इसके लिए प्रार्थना की। उनका उत्तर आते ही अन्दर से पवित्र शक्ति उमड़-उमड़कर मेरे इस बुरी लत के उठे हुए वेग को रोक देती है। मुझे आश्चर्य होता है कि पत्र में क्या जादू था जो आज माता ने मेरे अन्दर रोक सकने की शक्ति उड़ेल दी है। मुझे लगता हैं- माता का प्रत्यक्ष स्वरूप ही गुरुदेव हैं। यही हमारी श्रद्धा है।

बुरे दिन फिर गये

श्री लालमणि शर्मा, हापुड़ (मेरठ) अपना अनुभव लिखते हैं- एक सज्जन बारह वर्ष से एक महाजन के झूठे मुकदमें के फेर में पड़े हुए थे। उसकी दुकान और मकान सभी जब्त करा लिए गये थे। अन्त में अकिंचन बन कर गायत्री माता की शरण में आया। उसने सवा लाख गायत्री अनुष्ठान का संकल्प दिया। अनुष्ठान पूरा होते ही उसके इतने दिन से चलने वाले मुकदमें में विचित्र परिवर्तन और विस्मय के दृश्य उपस्थित हुए। पहले का न्याय कर्त्ता बदल गया और इस तारीख को इस उपासक के वकील ने विरोधी के वकील जिसकी फीस 4000) रु. थी, ऐसे प्रश्न पूछे कि वह स्तब्ध रह गया कोई उत्तर नहीं दे सका। यह माता की ही कृपा थी जो उसे इतने दिन बाद मुकदमे में जय मिली और उसकी दुकान एवं मकान सहित उसके भाड़े भी विरोधी को देने पड़े।

62 वर्ष की आयु में पुत्र जन्म

श्री केदारनाथ तिवारी, तरौंदा, इटारसी लिखते हैं- मैं श्रद्धापूर्वक गायत्री जप तथा एक बार गायत्री चालीसा का पाठ कर रहा हूँ- विशेष कर तब से, जब से तीन लड़की होने के बाद सन्तान होना बन्द सा हो गया। एक बार मेरी लड़की दुलारीबाई ने भी तपोभूमि आकर गुरुदेव से भाई देने की प्रार्थना की। इसके बाद ही माता की कृपा से 62 वर्ष की उम्र में कार्तिक बड़ी द्वादशी को मेरे घर में प्रातः ही पुत्र के जन्म से आनन्द का प्रकाश छा गया। मुझे तो गुरुदेव की याद करने से माता की छवि देखने को मिलती है और माता की याद से गुरुदेव का क्या रहस्य है यह तो माता ही जाने।

तोप के गोले से भी न मरा

श्री रामकुमार शर्मा, कनवास (कोटा) माता की शक्ति के बारे में लिखते हैं- दीपावली के दूसरे दिन राजस्थान में बैल पूजा का उत्सव खूब धूम-धाम से मनाया जाता है। इस उल्लास में पटाखे बन्दूक और गाड़ी में बाँध कर छोटी तोपें भी छोड़ी जाती हैं, मैं उस उत्सव में शामिल होने जा रहा था। एक जगह गाड़ी में बंधे तोप में 10-12 मुट्ठी बारूद भरकर उसमें बत्ती जलायी जा चुकी थी, बत्ती जलाने वाले आग लगा कर वहाँ से दूर हो गये थे। मैं तोप से करीब तीन हाथ फासले पर अनजाने चला गया था- मुझे देखते ही मेरे परिचित हटने की ध्वनि में चिल्ला उठे तब तक तोप छूट चुका मुझे जोर का धक्का लगा। सिर घूम गया। दिल घड़-घड़ करने लगा। मैं बैठ गया पर माता की याद करना नहीं भूला। सभी मेरी रक्षा हो जाने पर आश्चर्य चकित थे। मुझे उस धक्के के सिवाय और कोई भी चोट नहीं पहुँची थी।

भूत भाग गया

श्री विश्वनाथ पाण्डेय, दानापुर (पटना)लिखते हैं कि मैं एक बार अपनी छोटी बहिन के यहाँ आरा गया था। वहाँ उस पर प्रेत का आक्रमण हुआ करता था उस दिन भी हुआ। उसकी सास ने कहा- बेटा! सुना है तुम गायत्री जपते हो, सो जरा अपनी बहन को जाकर देखो। मैंने जाकर देखा वह बेहोश सी पड़ी थी। मैंने गायत्री मंत्र से अभिमंत्रित जल के छींटे मारे। वह झूमने लगी- कुछ देर बाद अपने होश में आ गई। शाम को फिर आक्रमण हुआ। तब मैंने अपने बड़े भाई को, जो निष्ठावान गायत्री उपासक हैं, उन्हें बुला लाने के लिए एक आदमी को रानापुर भेजा। खबर मिलते ही यज्ञ भस्म लिए यथाशीघ्र आये। उनके आने पर वह आक्रमित दशा में थीं। उन्होंने भस्म लगाकर अभिमंत्रित अच्छतों के छींटे मारे। अच्छत लगते ही वह मूर्च्छित हो गयी। फिर होश में आ गयी। उनके ससुर ने डाक्टरों से हिस्टीरिया रोग कह कर बहुत इलाज कराये थे- पर कभी आराम नहीं हुआ। भाई जी के द्वारा आक्रमण दूर होने पर फिर कभी भूत लौट कर नहीं आया। अब वह पूरी स्वस्थ है।

मुकदमे में जीत

पं. लक्ष्मी चन्द तिवारी, लखाली, माता की करुणा का वर्णन करते हैं- मेरे पास जीविका का एक मात्र साधन थोड़ी सी जमीन है। एक धनी आदमी ने पता नहीं किस आधार उस पर अधिकार पाने की पावी कर दी। मुकदमा चलते हुए चार महीने बीत गये। सभी को पैसे वाले के पक्ष में अदालत के फैसले का विश्वास था। हम लोग एक मात्र गायत्री भरोसा था रट लगा रहे थे। फैसला सुनाने के दिन हम लोगों का चूल्हा तक न जला, पर माता की कृपा से न्यायपूर्ण फैसला ही हुआ। जमीन हमारी रह गयी। धन्य हो माँ!

सूने घर में कमल फूल खिला

श्री गोविन्द प्रसाद चाँचौड़ा (म.भा.) अपनी कृपा उपलब्धि का वर्णन करते हैं-

संतान के अभाव में सब सुख होते हुए हमारा घर श्मशान सा था। सन्तान होती भी थी तो अकाल मृत्यु की गोद में चली जाती। इस बार हम लोगों ने धर्मपत्नी सहित खूब प्रेम से माता की उपासना प्रारम्भ कर दी। कुछ दिनों में सपने में माता ने दर्शन दिया बाद में पत्नी के गर्भवती होने की जानकारी मिली। हमारी उपासना अजस्र चलती रही। एक दिन सपने में माता ने कहा- तुम बड़े चिन्तित थे- लो यह फूल। इतना कहकर कमल का फूल मेरे हाथ में देकर माता तिरोहित हो गयीं। उसके पाँचवें दिन कमल सा प्रफुल्लित पुत्र उत्पन्न हुआ। जो माता की छाया में संरक्षित घर को प्रकाशित कर रहा है।

उदर रोग से मुक्ति

श्री पद्मसिंह गुप्ता, रीडर टोंक जब मैं कोटा दौरे पर गया हुआ था। तब मैंने एक सज्जन के पास गायत्री-ज्ञानाँक देखा। तभी से मैंने नित्य नियमित रूप से दस मालायें गायत्री जप का नियम बना लिया और उसका पालन हृदय से करने लगा। पिछले दो वर्ष से मैं उदर रोग से पीड़ित था और हजारों रुपये डॉक्टर और वैद्यों में व्यय कर चुका था। यहाँ तक कि उक्त बीमारी के कारण जीवन भार स्वरूप प्रतीत होता था। अभी गायत्री जप प्रारम्भ किये केवल दो ही मास हुये थे कि रोग कुछ कम हो गया। एक रुपये से बारह आना दर्द कम महसूस होने लगा। वास्तव में मेरे लिए तो गायत्री जप एक रामबाण औषधि ही सिद्ध हुआ। इससे मुझे अब पूर्ण रूप से रोग मुक्त हो जाने का विश्वास हो गया है। मैं गायत्री माता का कि तना आभारी हूँ।

बिजनौर में गायत्री परिवार का कार्य सराहनीय ढंग से चल रहा है। पतस्विनी विद्यावती जी तथा मगनदेवी जी का कार्य विशेष रूप से सराहनीय है। गायत्री यज्ञशाला पर, तीस-तीस, 40-40 की संख्या में महिलाएं जब एक साथ आसन लगाकर जप करती हैं तो वहाँ ऋषि आश्रमों का दृश्य सामने आ जाता है। मथुरा पूर्णाहुति के बाद से अब तक बिजनौर में तीन, गंगातट पर दो, इस प्रकार यहाँ पाँच बड़े-बड़े सामुदायिक यज्ञ हो चुके हैं। जिनमें लाखों आहुतियों का हवन हुआ और कम से कम 1500 ऐसे ऋत्विजों ने भाग लिया जिनने कई-कई अनुष्ठान, पूर्ण विधि-विधान के साथ किये थे। पहला यज्ञ पाँच दिन, दूसरा तीन दिन, तीसरा 4 दिन चला। यज्ञ के दिनों में प्रातः 5 बजे से 7 बजे तक माइक्रोफोन पर वेद पाठ की ध्वनि और हवन के समय गायत्री मंत्र के सामूहिक उच्चारण से शहर का वातावरण ही बदला सा जान पड़ता था। दोपहर कथा, सत्संग और रात्रि में कीर्तन रहता था। हवन के पश्चात परिक्रमा में इतनी भीड़ होती थी कि मथुरा की पूर्णाहुति का दूसरा दृश्य मालूम होता था।

इन दिनों यज्ञशाला में हर रविवार को 2 हजार आहुतियों का सामूहिक हवन होता है। गायत्री परिवार की 92 व्यक्तियों की छः शाखाएं बिजनौर बन चुकी है। प्रयत्न भी जारी है, उत्साह और परिश्रम से सच्चा प्रयत्न किया जाय तो हर जगह ऐसी ही सफलता मिल सकती है। -अशर्फीलाल मुख्तार

गायत्री कुटीर (जासलपुर) के सदस्यों ने आगामी गायत्री जयंती के अवसर पर एक बड़ा सामूहिक यज्ञ करने का निश्चय किया है। ब्राह्मण अनुष्ठान में सहयोग देने के लिए सभी सदस्य शक्ति भर प्रयत्न कर रहे हैं। -पुरुषोत्तम आत्माराम साखरे

पारडी (सौराष्ट्र) में 24 लक्ष जप तथा एक लक्ष आहुतियों का हवन का आयोजन हो रहा है। हवन की तिथियाँ फरवरी के अंत में रहेंगी। यज्ञ के साथ-साथ वैदिक धर्म परिषद तथा संस्कृत भाषा का सम्मेलन भी होगा। -मंत्री गायत्री महायज्ञ समिति

खेरालु (गुजरात) में श्री महालक्ष्मी मंदिर पर बड़े उत्साहपूर्वक गायत्री महायज्ञ हुआ। जिसमें विसनगर तथा मेहसाना तक से गायत्री उपासक आये थे। यज्ञशाला में शोभा सजावट देखते ही बनती थी। 70 ब्राह्मणों को भोजन कराया गया। अब चाणस्मा और पाटन में भी यज्ञों की तैयारी हो रही हैं।

-श्यामशंकर नाथालाल त्रिवेदी

कोंच (जालौन) में नाथूराम अवस्थी के स्थान पर गायत्री परिवार का एक अच्छा यज्ञ हुआ। धार्मिक प्रवचनों के बाद होली के अवसर पर एक बड़ा यज्ञ करने के सम्बंध में महत्वपूर्ण मंत्रणा की गयी।

-श्यामलाल पहारिया

पलासी, पूर्णिया में 24 हजार आहुतियों का हवन बड़े आनंदपूर्वक ता. 14, 15, 16 दिसम्बर को हुआ। ग्रामीणों का सहयोग प्रशंसनीय था। वाणी विलास विद्यालय के प्रधानाध्यापक पं. उमाकाँत मिश्र तथा छात्रों का उत्साह बड़ा अभिनंदनीय रहा। यहाँ से प्रेरणा प्राप्त करके अन्य ग्रामों में भी गायत्री परिवार बनने वाले हैं। -खुशीनाथ शर्मा

गत अमावस्या को भद्रपुर (फतेहपुर) के गायत्री उपासकों द्वारा एक वृहद यज्ञ हुआ। साथ ही अखंड रामायण पाठ, अखण्ड घृत दीप, प्रवचन आदि के द्वारा परम सात्विक वातावरण दृष्टिगोचर हो रहा था।

-रामाश्रय वर्मा एम.ए.

आरंग (रायपुर) की शाखा में संकल्प किया कि ब्रह्मस्त्र अनुष्ठान की पूर्ति के लिए शाखा सदस्य एक वर्ष तक प्रतिदिन 24 हजार जप, 24 गायत्री चालीसा पाठ, 600 मंत्र लेखन तथा 24 आहुतियों का हवन किया करेंगे। -विद्या प्रसाद मिश्र

कोलमी रैकोवा में वर्णे नदी के किनारे गाय अनुष्ठान की पूर्ति के उपलक्ष में पौष वदी 30 हवन तथा माघवदी को 1 ब्रह्मभोज हुआ। आमंत्रित सज्जनों को गायत्री साहित्य भेंट किया गया। -रोहिणी प्रसाद शुक्ल

मिर्जापुर (राजस्थान) में फागुन बदी 13, 14,- 30 को 24 हजार आहुतियों का एक वृहद यज्ञ होने जा रहा है। तैयारियाँ जोरों से हो रही है।

-श्रीकृष्ण शर्मा वाराँ

मंझिया (हरदोई) में बसंत पंचमी को एक बड़े सामूहिक यज्ञ की व्यवस्था की गई है। शाखा के सदस्य बढ़ाये जा रहे हैं।

-शिवराम दीक्षित

मच्छर गाँवा (चम्पारन) के सदस्यों की एक महत्वपूर्ण बैठक रानी कृष्ण राज कुमारी के यहाँ हुई, जिसमें गायत्री परिवार के संगठन कार्य को आगे बढ़ाने और अधिक मजबूत करने के लिए सभी सदस्यों ने प्रतिज्ञा की। -सीताराम गुप्त

गायत्री मंत्रों के द्वारा एक सामूहिक यज्ञ करके इंदौर में गुरव ब्राह्मण नवयुवक मंडल की स्थापना की गई। सभी सदस्यों के लिए गायत्री उपासना का एक आवश्यक नियम रखा गया है। -सदाशिव शर्मा

डभोड़ा (मेहसाना) के अज्ञान ग्रस्त आदिवासियों के क्षेत्र में 24 हजार आहुतियों का एक यज्ञ तीन दिन में बड़े ही आनंद व उत्साहवर्धक वातावरण में 1 जनवरी को सम्पन्न हुआ। पूरे गाँव की जनता सब काम छोड़कर इस आयोजन को सफल बनाने में लग गयी। तीन मन मिठाई का प्रसाद बाँटा गया। -हरिप्रसाद रविशंकर जानी

मुसावल की गायत्री शाखा के द्वारा हर पूर्णिमा को एक हजार आहुतियों का हवन तथा गायत्री सहस्र का पाठ होता है। रविवार को सत्संग क्रम उत्साहपूर्वक है। -माधव कौतिक ढ़ाके

पलायथा (राजस्थान) में 9 हवन कुण्डों की यज्ञ शाला में ता. 4, 5, 6 फरवरी को एक वृहद यज्ञ होगा। मथुरा से आचार्य जी तथा अनेक विद्वान पहुँचेंगे। आगन्तुकों के निवास भोजन आदि के लिए समुचित व्यवस्था की गयी है। -राम रत्न शर्मा पंचोली

गत महीने यहाँ गायत्री पुस्तकालय की भी स्थापना हुई, जिसमें समस्त गायत्री साहित्य मंगाया गया तथा अन्य धार्मिक पुस्तकें संग्रह की जा रही हैं। फिलहाल काम चलाकर साहित्य प्राप्त हो चुका है। स्थानीय प्रतापेश्वर मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए चंदा करके उस स्थान को बहुत सुँदर बना दिया गया है।

-बैजनाथ प्रसाद सौनकिया

सुसनेर शाखा के सदस्यों में इन दिनों अच्छा उत्साह है। चैत्र सुदी 15 या बैशाख वदी 30 को एक बड़ा यज्ञ करने के लिए प्रयत्न हो रहा है। आस-पास के गाँवों में और भी शाखाएं स्थापित होने की शीघ्र संभावना है। -नंद किशोर शर्मा

मकर संक्रान्ति के अवसर पर विजौली (फतेहपुर) के गायत्री उपासकों ने मिल कर एक अनुष्ठान पूर्ण किया। चौ. गजराज सिंह के स्थान पर सामूहिक हवन हुआ। श्रीकाँत जी मौर्य का यज्ञोपवीत भी इस अवसर पर हुआ।

-रामसनेही वर्मा

गायत्री परिवार बहेड़ी ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर 26 जनवरी को एक सामूहिक हवन करने का निश्चय किया है। धार्मिक प्रवृत्ति के अधिक लोगों को इसमें सम्मिलित करने का प्रयत्न किया जा रहा है।

-भागीरथी गुप्त

चाँपा (बिहार) की शाखा ने सामूहिक हवन पर बहुत जोर दिया है। प्रति रविवार को अच्छा हवन होता है, जिसमें बहुत लोग भाग लेते हैं।

-पुनीराम वैद्य

सतना की शाखा के रविवासरीय सत्संगों में 3 घंटे का कार्यक्रम रहता है। हवन, सामूहिक गायत्री जप, चालीसा पाठ, संगीत, पूजा, आरती में धर्म प्रेमी सदस्य श्रद्धापूर्वक भाग लेते हैं। -राधा रमन मिश्र

लघु अनुष्ठान तथा गायत्री यज्ञ का कार्यक्रम इस बार महूडिया में रखा गया। प्रत्येक अमावस्या को यही क्रम पृथक-पृथक स्थानों पर रहता है।

-नंद लाल शर्मा

बावगंज (बरेली) में प्रत्येक शुक्रवार को सामूहिक सत्संग एवं प्रत्येक पूर्णिमा को लय पर हवन होता है। पं. रामाभिलाष शास्त्री द्वारा संकल्पित 24 लक्ष मंत्र जप एवं चालीसा पाठ का क्रम उत्साहपूर्वक चल रहा है। गत मास सुन्दरी, विक्रमपुर, दलेल नगर, कचनारा में गायत्री परिवार की कई शाखाएं तडडडडड की गई जिनमें क्रमशः सर्व श्री चन्द्र प्रकाश वार, चतुर्भुज गंगवार, शिवदयाल गंगवार, विद्याराम गंगवार का सहयोग बड़ा सराहनीय।

-श्याम मनोहर कपूर

कलुआ (बरेली) में गत मास एक अच्छा सामूहिक यज्ञ हुआ जिसे सफल बनाने में श्री प्रताप नेश्वरनाथ शुक्ल एवं श्री नानकचन्द टण्डन ने शेष सहयोग दिया।

-बामूराम शर्मा

श्री शान्तवनजी मिस्त्री गुजरात प्रान्त में सवा करोड़ मंत्र लेखन कराने का संकल्प लेकर इस क्षेत्र में बड़े उत्साहपूर्वक कार्य संलग्न हैं। अब तक कई लाख मंत्र लिखे जा चुके हैं। कुछ दिन पूर्व सरढव में एक कुण्डी यज्ञ हुआ, जो सात दिन तक चलता।

-योगेन्द्रनाथ ब्रह्मचारी

कुल्हार में माघ सुदी 12 को अखण्ड गायत्री जप, यज्ञ तथा कन्याओं का ब्रह्म-भोज रखा गया है।

-रामसहाय तिवारी

हसवा (फतेहपुर) में गायत्री परिवार द्वारा सामूहिक हवन हुआ। संध्या समय कीर्तन प्रवचन हुआ। समस्त सदस्यों द्वारा मंत्र लेखन आरम्भ कर दिया गया है। -रामावतार शर्मा

रानी मूँड़ा (काला हाँडी) उड़ीसा में पौष सुदी को सामूहिक गायत्री जप तथा हवन हुआ। और प्रवचनों का भी आयोजन था।

-हरिकृष्ण शर्मा

गायत्री परिवार कानपुर का कार्यक्रम शान्त और सुव्यवस्थित रीति से चल रहा है। छठवां यज्ञ वद नगर में पं. सूर्यकुमार पाण्डेय के यहाँ, सातवाँ आर्य नगर में श्री जे.डी. कपूर के यहाँ, आठवाँ खलासी लाइन में पं. अयोध्याप्रसाद दीक्षित के यहाँ, नौवाँ यज्ञ पाँच नम्बर गुमटी पर श्री मुरारी लालजीपुरी- एजेन्ट स्टेट बैंक के यहाँ, बड़े आनन्द पूर्वक हुआ। दसवाँ रेलवे काटर्स जूही में पं. बाँकेलाल शर्मा के यहाँ होने की तैयारी हो रही है। सभी यज्ञों में अनेकों भद्र नर-नारी श्रद्धापूर्वक सम्मिलित होते हैं।

-अयोध्याप्रसाद दीक्षित

मालेगाँव (नासिक) में साप्ताहिक सत्संगों में बड़ा उत्साह रहता है। दो हजार आहुतियों तथा 40 गायत्री चालीसा का पाठ हर सप्ताह होता है। नैष्ठिक उपासकों की संख्या भी बढ़ती ही जा रही है।

-माँगी लाल पुखराज दायमा

उचावद निमाड़ में मकर संक्रान्ति के अवसर पर 5 कुण्डों की यज्ञशाला में 24 हजार आहुतियों का हवन बड़े आनन्दपूर्वक सम्पन्न हुआ। श्री राजा भारऊ केशरे तथा अन्य ग्रामीण वासियों का सहयोग देखते ही बनता था। लगभग एक हजार व्यक्ति उपस्थित थे। बाहर के गाँवों से करीब 50 साधक आये थे। गाजे-बाजे के साथ हुई नगर फेरी में सभी को बड़ा उत्साह था। यज्ञ विधि पं. व्यंकटेश शर्मा खलघाट तथा पं. वंशीधर शास्त्री महेश्वर ने कराई। बोरलाय तथा पाडल्या में भी उत्साहवर्धक यज्ञ हो चुके हैं।

-व्यंकटेश शर्मा

बिजौली (कानपुर) में 24 हजार आहुतियों का एक बड़ा यज्ञ बसन्त पंचमी को होना निश्चित हुआ है। तैयारियाँ पूर्ण हो चुकी है।

-र.स.

साँगोद (राजस्थान) में जेठ वदी 2, 3, 4 तदनुसार ता. 16, 17, 18 मई को 9 कुण्डों का हवन होगा, जिसमें 24 लक्ष जप तथा सवा लाख आहुतियों का हवन होगा।

-बद्रीप्रसाद पंचौली

धुरट (जालौन) में ता. 10, 11, 12, 13, 14 को 6 कुण्डों को एक विशाल यज्ञ होने जा रहा है।

-शिवचरणलाल


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