तंत्रशास्त्र की गुप्त प्रक्रियाएं जो हठात् किसी मनुष्य को अर्द्धनिद्रित
करके वशीभूत कर लेती हैं, बहुत कठिन हैं, उनका अभ्यास खतरे से खाली नहीं।
हर कोई न तो उन्हें पार कर सकता है और न सबके लिए उनकी आवश्यकता है। वह
पात्र और अधिकारी का विषय है। कुपात्र उसे प्राप्त भी कर लें, तो दुरुपयोग
करेंगे और प्रभु की पवित्र सृष्टि में विष-बीज बोते फिरेंगे। इसी प्रकार
अनधिकारी इस ओर बढ़ेंगे, तो उन खतरों में पड़ जाएंगे, जो अक्सर तांत्रिक
अभ्यासों में अनाड़ी साधकों को उठानी पड़ती है। इन सब बातों को ध्यान में
रखते हुए एक सर्वसुलभ साधना का यहां उल्लेख कर रहे हैं।