मस्तिष्क में प्रेम शक्ति का स्थान कनपटी के ऊपरी भाग में है। अपने इस
स्थान को जाग्रत करने के लिए निम्न प्रकार अभ्यास कीजिए। रात को आठ और दस
बजे के बीच किसी एकांत कमरे में जाइए। दरवाजे और खिड़कियां बंद कर लीजिए,
जिसमें बाहर की खटपट सुनाई न पड़े और दृश्य दिखाई न पड़े। प्रकाश बहुत ही
मंद हो। एक पतली बत्ती का दीपक टिमटिमाना या छोटी मोमबत्ती जला लेना
पर्याप्त है। मेज-कुर्सी का प्रबंध हो सके तो उत्तम है, न हो तो आसन पर एक
फुट ऊंची लकड़ी ही संदूक को सामने रखकर उत्तराभिमुख बैठ जाइए। यह कहने की
तो आवश्यकता नहीं है कि मल-मूत्र से निवृत्त होकर एवं हाथ-पांव, मुख आदि
धोकर अभ्यास पर बैठना चाहिए। आरंभ में पालथी मारकर मेरुदंड को सीधा रखते
हुए आंखें बंद करके बैठ जाइए। दस मिनट तक मन ही मन ॐ, राम या जो मंत्र
प्रिय हो उसे जपते रहिए और मन को एकाग्र करने का प्रयत्न कीजिए। दस मिनट
बाद जप बंद कर दीजिए और हाथों की दोनों कुहनियों मेज या संदूकची पर जमाइए
तथा जबड़े के निचले भाग को हथेलियों पर रख लीजिए, उंगली को ऊपर कनपटी की ओर
उठा दीजिए। इस प्रकार आपके दोनों हाथ दोनों गालों को ढक लेंगे। हथेलियां
जबड़े से सटी हुई होंगी और उंगलियां कनपटी के पास पहुंच जावेंगी। अब उंगली
के पोरुओं को कुछ नीचे की ओर झुकाइए और कान के ऊपरी भाग की सीध कनपटी से
तर्जनी, मध्यमा और अनामिका की उंगलियों के पोरुओं के अंतिम सिरे से सटा
दीजिए। हथेलियों पर सिर का अधिक जोर न देना चाहिए, थोड़ा-सा सहारा पर्याप्त
है। विज्ञान बताता है कि उंगली के पोरुओं में बहुत अधिक मात्रा में मानवीय
विद्युत् रहती हैं। उंगलियों के छोरों का स्पर्श होने पर मस्तिष्क के
प्रेम शक्ति संस्थान में उत्तेजना और हलचल पैदा होती है।
उपरोक्त
प्रकार से बैठकर नेत्र बंद कर लेने चाहिए और मानस जगत् में पीले रंग का
ध्यान करना चाहिए। निखिल विश्व में सुनहरे पीले रंग का ही प्रकाश भरा हुआ
है, यह ध्यान दृढ़ता से करना चाहिए। केवल पीले रंग का अनंत आकाश ही चारों
ओर फैला हुआ देखने से मस्तिष्क के प्रेम केंद्र में एक प्रकार का चुंबकत्व
उत्पन्न होता है। जब जो मनुष्य प्रेमपूर्ण विचार कर रहा हो, तो उसके
मस्तिष्क से पीले रंग की किरणें फूटती हुई यंत्रों द्वारा देखी गई हैं। इसी
प्रकार यह भी अनुभव किया जा चुका है कि जब मन में केवल पीले ही रंग का
ध्यान हो, तब प्रेम केंद्र उत्तेजित हो जाता है। कई बार परीक्षा के लिए
पीले रंग का ध्यान करते हुए व्यक्तियों के शरीर पर जहरीले डंकों वाली
मक्खियां और बिच्छू छोड़े गए, किंतु उन्होंने रत्ती भर भी कष्ट न दिया। एक
आयरिश डॉक्टर शहद की मक्खियों का छत्ता नंगे शरीर होकर तोड़ लेता था,
मक्खियां उसके चारों ओर भिनभिनाती रहतीं, पर उसे जरा भी नुकसान न पहुंचाती
थीं। जिस व्यक्ति का वशीकरण करना हो उसको पीले रंग से रंगा हुआ ध्यान करने
पर वह अपनी ओर आकर्षित होता है।