इन पृष्ठों का प्रयोजन

March 1947

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

पिछले पृष्ठों पर कुछ थोड़े से जादू के खेलों का परिचय कराया गया है। हमने यह बताने की चेष्टा की है कि इन खेलों के पीछे क्या रहस्य छिपा होता है। चूँकि यह विषय पाठकों के लिए बिल्कुल नया है, इस विषय में उनकी पूरी जानकारी प्रायः नहीं के बराबर होगी, ऐसी दशा में पिछले पृष्ठों पर लिखे गये रहस्य उनकी समझ में भली प्रकार आ जावेंगे, इसकी हमें आशा नहीं है। जो विद्यार्थी ज्योमेट्री नहीं जानता उसके लिए कितने ही अच्छे ढंग से लिखी हुई ज्योमेट्री की पुस्तक अपने आप पढ़कर समझ में आ जाय यह कठिन है। उन पर बड़े अच्छे ढंग से लिखी हुई पुस्तकें मौजूद हैं, पर साधारण पाठक उन पुस्तकों को पढ़ कर कुछ विशेष लाभ नहीं उठा सकते। इस प्रकार की शिक्षा अध्यापक के समक्ष उपस्थित होकर प्रश्नोत्तर के साथ विद्यार्थी प्राप्त करता है। अध्यापक उसे प्रत्यक्ष, प्रमाण, उदाहरण के आधार पर समझाता है तब वह पुस्तकों में लिखी हुई शिक्षा विद्यार्थी की समझ में आती है। यही बात जादूगरी के रहस्यों के संबंध में है। हमने शक्ति भर यह प्रयत्न किया है कि खेलों का रहस्य सरल और सुबोध ढंग से लिख कर पाठकों को उनके भेदों को भली प्रकार समझाएं पर हमें यह आशा नहीं है कि पिछले पृष्ठों को पढ़ कर पाठक भली प्रकार उन बातों को समझ गये होंगे। पृष्ठ अधिक न बढ़ने पावें इस बात को ध्यान में रखकर संक्षिप्त ढंग से लिखने का भी ध्यान रखा गया है, ऐसी दशा में कठिनाई और भी बढ़ी है। यदि हर छोटे खेल को समझाने में तीन चार पृष्ठ लिखे गये होते तो संभव था कि पाठकों को समझने में अधिक सुविधा होती पर ऐसी दशा में इतने पृष्ठों पर आठ दस खेल से अधिक न लिखे जा सकते।

इन पंक्तियों को लिखने का हमारा उद्देश्य किसी को जादूगर बनाने को नहीं है, और न हम यह चाहते हैं कि इन पृष्ठों को पढ़ कर कोई व्यक्ति जादू के खेल दिखाने लगे। क्योंकि यह कला झूठ, छल, फरेब और धोखा प्रधान है। कोई खेल ऐसा नहीं है जिसमें यह चारों बातें न हों। मनोरंजन के लिए ही सही पर इन कुवृत्तियों का पोषण किसी भी दशा में उचित नहीं। मन में इनको स्थान मिलने से वे जीवन को अन्य दिशाओं में भी धर दौड़ती हैं और कलुषित तत्वों को एकत्रित कर देती हैं यही कारण है कि इस प्रकार के कारोबार करने वालों का खेल तमाशे दिखाने वालों का आत्मिक जीवन उच्चता की ओर अग्रसर नहीं हो पाता। इन बातों पर विचार करते हुए हम नहीं चाहते कि हमारा एक भी पाठक जादूगर बने। जादू के खेल दिखाकर किसी को भ्रम में डाले या इस प्रकार जीविका उपार्जित करे। इस लिए खेल दिखाने के लिए जितनी विस्तृत जानकारी की आवश्यकता है वह हमने अनावश्यक समझ कर लेखबद्ध नहीं की है। पोल खोलने के लिए संक्षिप्त रूप से लिख देने पर भी काम चल सकता है। पाठकों जादूगरी के फरेब को समझ जाएं यही हमारा उद्देश्य था और उद्देश्य की पूर्ति संक्षिप्त भाषा में वर्णन कर देने से भी हो सकती है यह समझ कर हमने लेखों के रहस्य को संक्षेप में ही लिखा है।

इन पृष्ठों को पढ़कर पाठक यह बात भली प्रकार समझ जावेगा कि जादूगरी का योग या आध्यात्म से कोई संबंध नहीं है। सेबड़े की विद्या मसान सिद्धि, जोगिनी की चौकी, मंत्र की शक्ति आदि भ्रान्त धारणाएं जो जादूगरों के संबंध में फैली हुई हैं, उनका अब नव नारायण की बेला में अन्त होना ही चाहिए। जादूगरों के पास कोई विशेष शक्ति, यह मान्यता बिलकुल भ्रम पूर्ण है। उन्हें कोई भूत पिशाच, देवी देवता, सिद्ध नहीं होता इसलिए पाठकों से हमारा अनुरोध है कि जादू के आकर्षण को मन से बिलकुल निकाल दें। जीव की सच्ची सिद्धि सच्चे योग में है। आत्म शुद्धि करके परमात्मा की समीपता के लिए हमें सच्चे हृदय से कदम बढ़ाना चाहिए। इस मार्ग में एक से एक आश्चर्यजनक सिद्धियाँ अपने आप मिलती हैं। यही कल्याण का मार्ग है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118